रिपोर्ट : प्रकाश कपरूवाण।
जोशीमठ : सीमान्त धार्मिक एवं पर्यटन नगरी जोशीमठ जिसका अपना ऐतिहासिक व विशिष्ठ महत्व है,लगातार हो रहे भू धंसाव के कारण भयावह स्थिति मे पहुंच गया है। जोशीमठ नगर का कोई भी मोहल्ला इस भूगर्भीय हलचल की त्रासदी से अछूता नहीं है।
आद्य गुरु शंकराचार्य की तपस्थली ज्योतिर्मठ पर जमींदोज होने का खतरा मंडरा रहा है,कुदरत के क्रोध की तस्वीर जोशीमठ के मारवाड़ी से लेकर सुनील व होसी-खोन से लेकर औली तक स्पष्ट दिख रही है।
जोशीमठ मे भूगर्भीय हलचल का आलम यह है कि कहीं जमीनें धंस रही है तो कही जमीन फट रही है। आवाशीय मकान दरक रहे हैं, इस प्रकार की घटना से हैरान और परेशान लोग अपने घरों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों का रुख कर रहे है।
जोशीमठ मे आज जो कुछ भी दिख रहा है उसकी परिणिति दशकों पूर्व लिखी जा चुकी थी,तब गढ़वाल के तत्कालीन कमिश्नर महेश चन्द्र मिश्रा की अध्यक्षता मे गठित हाई पावर कमेटी ने जोशीमठ नगर का ब्यापक सर्वेक्षण कर जोशीमठ के अस्तित्व को बचाने के लिए अनेक सुझाव दिए थे,जिनमें जोशीमठ मे भारी भरकम निर्माण पर प्रतिबंध लगाने,नालियों व नालों को व्यवस्थित करने,अलकनंदा नदी के तट पर सुरक्षात्मक उपाय करने,व जोशीमठ की तलहटी मे बृहद वृक्षारोपण करने आदि प्रमुख हैं।
लेकिन मिश्रा कमेटी की रिपोर्ट को नजरअंदाज कर न केवल मारवाड़ी से लेकर औली तक इमारतें खड़ी हुई बल्कि हेलंग-मारवाड़ी बाईपास, जेपी एशोसिएट की जल विद्युत परियोजना और अब एनटीपीसी की परियोजना का निर्माण भी हो रहा है,तो क्या इन सभी निर्माणों मे मिश्रा कमेटी की रिपोर्ट की अनदेखी की गई? यदि ऐसा हुआ है तो निश्चित ही यह तबाही का ही सिंग्नल है।
जोशीमठ नगर की डरावनी तस्वीर से चिन्तित नगर वासियों ने आस्तित्व को बचाने के लिए जनांदोलन का मार्ग चुन लिया है, जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के आव्हान पर हुई बैठक मे शनिवार 24 दिसंबर को विशाल आंदोलन की रूप रेखा तय की गई, और संघर्ष समिति की टीम नगर के वार्डो मे पहुंचकर नगरवासियों से जोशीमठ को बचाने के लिए आगे आने का आव्हान कर रहे हैं।
24 दिसंबर का प्रदर्शन विशाल होगा, सरकारों तक सीमान्त नगर की आवाज भी पहुंचेगी लेकिन जिन ज्ञात/अज्ञात कारणों से जोशीमठ की यह दशा हुई है सरकारें उन पर पुनर्विचार के लिए तैयार होगी ? इसके लिए भी रणनीति बनाने की आवश्यकता होगी।
जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष/पालिकाध्यक्ष शैलेन्द्र पंवार एवं संयोजक अतुल सती ने 24 दिसंबर के प्रदर्शन को सफल बनाने का आव्हान करते हुए कहा अब आंदोलन से ही जोशीमठ के अस्तित्व को बचाया जा सकता है, 24 दिसंबर के विशाल प्रदर्शन के बाद भी आगे के आंदोलनात्मक कार्यक्रमों के लिए तैयार रहना होगा।
बहरहाल अपने अस्तित्व को बचाने के लिए छटपटा रहा भारत-चीन सीमा के पहले नगर जोशीमठ को बचाने के लिए राज्य व केन्द्र सरकार क्या निर्णय लेती है इस पर सीमान्तवासियों की नजरें रहेंगी।