
प्रकाश कपरूवाण।
आद्य जगद्गुरु शंकराचार्य की तपस्थली धार्मिक एवं पर्यटन नगरी जोशीमठ इन दिनों भू धंसाव व मकानों मे दिन प्रतिदिन बढ़ती दरारों के कारण देश-दुनिया मे चर्चाओं में है।
आद्य जगद्गुरु शंकराचार्य ने जिस पवित्र धरती पर ज्ञान रूपी ज्योति के दर्शन किए और इसी धरती से देश के चार पीठों की स्थापना की,यदि वह धरती भू धंसाव व भूस्खलन के आगोश मे समाने को आतुर हो तो चर्चा व चिंतन होना स्वाभाविक ही है।
जोशीमठ नगर में दरकते मकानों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, प्रभावित मकानों से किरायेदारों का अन्यंत्र शिफ्ट होना जारी है तो भवन स्वामी भगवान भरोसे दरकते मकानों में ही रहने को विवश हैं।
सीमान्त नगर जोशीमठ मे आज जो कुछ हो रहा है, उसका उल्लेख तो 46 वर्ष पूर्व गठित मिश्रा कमेटी ने भी करते हुए अनेक सुझाव दिए थे। वर्ष 1976 मे तत्कालीन गढ़वाल कमिश्नर महेश चन्द्र मिश्रा की कमेटी जिसने जोशीमठ का ब्यापक सर्वेक्षण कर अपनी रिपोर्ट मे जो सुझाव दिए थे यदि इन 46 वर्षों मे उन पर अमल होता तो शायद आज इतनी विकट स्थिति देखने को नहीं मिलती।
मिश्रा कमेटी ने सुझाव दिए थे कि जोशीमठ में अनियंत्रित बहने वाले नालों को ब्यवस्थित करने,अलकनंदा के बाईं ओर भू धंसाव रोकने के लिए उचित प्रबंध करने,जोशीमठ नगर मे नियंत्रित निर्माण व तय मानकों के अनुसार ही निर्माण की स्वीकृति दिए जाने,तथा जोशीमठ के निचले हिस्से में न केवल ब्लास्ट को प्रतिबंधित करने बल्कि नदी के किनारे पत्थरों के टिपान को भी वर्जित करते हुए कई अन्य सुझाव दिये थे।
यहाँ यह उल्लेख किया जाना भी आवश्यक है कि जब मिश्रा कमेटी की रिपार्ट को आधार मानते हुए वर्ष 1991 मे इलाहाबाद हाईकोर्ट हेलंग-मारवाड़ी बाईपास पर स्थगन आदेश दे सकता है तो आखिर क्या कारण रहे कि जोशीमठ में बड़े निर्माणों व परियोजनाओं को मंजूरी मिलती रही?
बहरहाल 46 वर्षों मे जो भी त्रुटियाँ हुई उसका खामियाजा आज पूरा जोशीमठ नगर भुगत रहा है,जोशीमठ का कोई घर-मकान ऐसा नहीं है जो भू धंसाव की जद मे ना हो।
मौसम का रुख बदलते ही भू धंसाव प्रभावित परिवारों की धड़कनें भी बढ़ रही है,लोग आशंकित है कि बर्फबारी व बारिश का पानी फटती भूमि व दरकते मकानों को भारी नुकसान पहुंचा सकता है। आज पुनः मौसम ने करवट बदली है, तो भू धंसाव प्रभावितों की चिंता बढ़ना भी स्वाभाविक है।
देखना होगा कि विभिन्न एजंसियों द्वारा किए गए भू सर्वेक्षणों एवं जिलाधिकारी के स्थलीय निरीक्षण के बाद भू धंसाव रोकने के लिए कब तक ट्रीटमेंट कार्य शुरू हो सकेगा? इस पर मौत के साए मे जी रहे प्रभावितों की नजरें गढ़ी हैं।
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