चारधाम यात्रा में टूटे सारे रिकॉर्ड, केदारनाथ में 10 लाख के ज्यादा रही श्रद्धालुओं की संख्या
भैया दूज के पवित्र मौके पर सुबह 8.30 मिनट पर भगवान केदारनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। मुख्य पुजारी केदार लिंग ने पूजा अर्चना के साथ वैदिक मंत्रोचार के बीच कपाट बंद किए। इस मौके पर 1200 यात्रियों ने दर्शन के बाद बाबा केदार की उत्सव डोली यात्रा में भाग लिया। अब छह महीने शीतकाल में केदारनाथ की पूजा अर्चना ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में होगी। भैय्यादूज के दिन यमुनोत्री धाम के कपाट भी बंद किए गए।
विश्व प्रसिद्ध केदारनाथ धाम के कपाट मंगलवार को भैया दूज पर परम्परानुसार बंद कर दिए गए। जम्मू.कश्मीर लाईट इन्फैंट्री बैंड की मधुर धुनों के बीच जय बाबा केदार के जयघोषों के बीच बाबा की पंचमुखी डोली देर सांय रामपुर पहुंची। जहां बड़ी संख्या में भक्तों ने डोली का स्वागत किया। बाबा की डोली 30 अक्टूबर बुधवार को विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी और 31 अक्टूबर को शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ पहुंचेगी।
इस मौके पर मुख्य पुजारी केदार लिंग, बीकेटीसी के मुख्य कार्याधिकारी बीडी सिंह, पुलिस अधीक्षक अजय सिंह, एसडीएम वरूण अग्रवाल, एसडीएम सुधीर कुमार, सीओ दीपक सिंह, जम्मू.कश्मीर लाईट इन्फैंट्री के टूएसी कैप्टन कारज सिंह संधू, चौकी प्रभारी मंजुल रावत, लेखाकार आरसी तिवारी, मंदिर सुपरवाइजर यदुवीर पुष्पवान, प्रबंधक अरविंद शुक्ला, लोकेंद्र रिवाड़ी, मनोज शुक्ला, पारेश्वर त्रिवेदी मृत्यंजय हीरेमठ, सुदीप रावत आदि मौजूद थे। बदरीनाथ.केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष मोहन प्रसाद थपलियाल ने बताया कि इस यात्रा वर्ष अब तक केदारनाथ में रिकार्ड 9,94,701 जबकि बदरीनाथ धाम में 11,71608 तीर्थयात्रियों ने दर्शन किए हैं। दोनों धामों में कुल 2166309 तीर्थयात्रियों ने दर्शन किए हैं। मंदिर समिति के उपाध्यक्ष अशोक खत्री ने बताया कि कपाट बंद होते ही बाबा की पंचमुखी डोली शीतकालीन गद्दीस्थल के लिए रवाना होकर प्रथम पड़ाव रामपुर पहुंचेगी। 30 अक्तूबर को बाबा केदार की डोली विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी और 31 को ओंकारेश्वर मंदिर पहुंचेगी।
उधर विश्व प्रसिद्ध यमुनोत्री धाम के कपाट भैया दूज के पावन पर्व पर शीतकाल के लिए छह माह तक बंद होने के बाद मां यमुना मंगलवार को अपने शीतकालीन प्रवास खुशीमठ खरसाली पहुंची। मां यमुना के यहां पहुंचने पर सभी तीर्थ पुरोहितों तथा स्थानीय श्रद्धालुओं ने ढोल.नगाड़ों तथा फूल मालाओं के साथ परंपरानुसार मां यमुना का भव्य स्वागत किया। इस खुशी में पूरा खरसाली गांव इस दौरान सराबोर रहा।ग्रीष्मकाल में छह माह तक यमुनोत्री धाम में प्रवास के बाद भैया दूज को यमुना अपने मायके खुशीमठ पहुंची। जहां छह माह तक शीतकाल में मां यमुना प्रवास करेंगी तथा यहीं पर मां यमुना के दर्शन होंगे। मंगलवार को भैया दूज के पावन पर्व पर यमुनोत्री धाम के कपाट बंद होने से पहले खुशीमठ से सुबह 8 बजे शनिदेव की डोली पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ यमुनोत्री धाम पहुंची। जहां तीर्थ पुरोहितों ने हवनए पूजा अर्चना की तथा वैदिक मंत्रोच्चार के साथ यमुनोत्री धाम के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ बंद कर दिए। कपाट बंद होने के बाद यमुनोत्री धाम क्षेत्र यमुना के जयकारों तथा शनि देव के जयकारों से गुंजायमान रहा। कपाट बंद होने के इस अवसर पर स्थानीय श्रद्धालुओं सहित देश.विदेश से आए सैकड़ों श्रद्धालु इन धार्मिक क्षणों के साक्षी बने। जिसके बाद शनिदेव की डोली की अगुवाई में पारंपरिक ढोल नगाड़ों के साथ यमुना की उत्सव मूर्ति अपने शीतकालीन प्रवास खुशीमठ के लिए रवाना हुई। शाम को मां यमुना की डोली खुशीमठ पहुंचीए जहां ग्रामीण महिलाओंए युवाओंए बुजुर्गों सहित बाहर से आये हुए श्रद्धालुओं ने मां यमुना का पारंपरिक रीति.रिवाजों के साथ भव्य स्वागत किया। जिसके बाद विधि विधान के साथ पूजा अर्चना कर मां यमुना को उनके शीतकालीन प्रवास यमुना मंदिर में विराजमान किया गया। इस दौरान पूरा खुशीमठ क्षेत्र यमुना एवं शनिदेव के जयकारों से गुंजायमान रहा।