• About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact
Uttarakhand Samachar
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
Uttarakhand Samachar
No Result
View All Result

प्रकृति का अनुपम उपहार हैं कीवी वरदान साबित हो सकता है

14/04/25
in उत्तराखंड, देहरादून
Reading Time: 1min read
15
SHARES
19
VIEWS
Share on FacebookShare on WhatsAppShare on Twitter

डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
कीवी का इंग्लिश या वनस्पतिक नाम एक्टीनीडिया डेलीसिओसा है जो एक्‍टीनीडियासिएइ फूल वनस्पति से सम्बंधित है। और वर्तमान में अकेले चीन में विश्वभर का 56% कीवी पैदावार किया जाता है। सन 1904 -05 में चीन के बाद न्‍यूजीलैंड ने इसकी खेती शुरु की थी ओर यह वहाँ  का राष्ट्रीय फल है। कीवी को उसका नाम एक पक्षी के नाम से मिला है। भारत में सर्वप्रथम कीवी फल बंगलौर के लालबाग गार्डन में एक शोभाकारी फल वृक्ष के रूप में1960 क्व आस-पास  लगाया गया इसके बाद पुनः कई अन्य प्रजातियां न्यूजीलैंड से आयात भारत में  लगाई गई। आज कीवी की खेती  कम और मध्यम ऊंचाई वाले पहाड़ी क्षेत्रो जैसे उत्तराखण्ड, हिमाचल, सिक्किम, मेघालय, अरूणाचल प्रदेश, नीलगिरी की पहाडियों और अन्य क्षेत्रों में फैल गई है। उत्तराखंड ने इसको खेती की अन्य शीतोष्ण फलों के साथ एक अच्छे भविष्य वाले फल के रूप में अंगीकृत कर लिया है। पिछले कुछ दशकों में कीवी न्यूज़ीलैंड के साथ-साथ विश्वभर में अत्यन्त लोकप्रिय हो गया है। उत्तराखंड के किसानों को भी कीवी की बागवानी में काफी अच्छा रुझान मिल रहा है, इसकी खेती उत्तराखंड के वातावरण के हिसाब से बिल्कुल सही होती है। उत्तराखंड में कीवी सर्वप्रथम 1984- 85 के आस-पास में इटली के वैज्ञानिकों की देख रेख में इटली फल विकास परियोजना के तहत राजकीय उद्यान मगरा टिहरी गढ़वाल में लाया गया था राज्य में कीवी बागवानी की सफलता को देखते हुए कई बागवानों ने बागवानी बोर्ड व उद्यान विभाग की सहायता से कई नए कीवी बागों का निर्माण किया। कीवी फल पेड़ पर उगाया जाता  है। कीवी का फल देखने में चीकू की तरह का लगता है। कीवी बाहर से भूरे रंग का होता है। जब इसे काटा जाता है तो यह अंदर से हरे रंग का होता है। कीवी के पेड़ों की लंबाई लगभग 9 मीटर तक होती है। अंगूर की बेलों की तरह ही इसकी बेलें बढ़ती हैं। किवी फल पर्णपाती पौधा है हमारे राज्य में यह मध्यवर्ती क्षेत्रों में 600 से 1500 मीटर की उँचाई तक सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है। क्‍योंक‍ि इन क्षेत्रों की जलवायु व परिस्थितियां इसके अत्याधिक अनुरूप है। कीवी फल में फूल अप्रैल में आते हैं और उस समय पाले का प्रकोप फल बनने में बाधक होता है। अतः जिन क्षेत्रों में पाले की समस्या है वहां इस फल की बागबानी सफलतापूर्वक नहीं हो सकती, वे क्षेत्र जिनका तापमान गर्मियों में 35 डिग्री से कम रहता है तथा तेज हवाएं चलती हो,वहाँ इसकी खेत उपयुक्त मात्र में हो सकती है। कीवी के लिए सूखे महीनों मई-जून और सितम्बर अक्टूबर में सिंचाई का पूरा प्रबन्ध होना चाहिए। कीवी फल में नर व मादा दो प्रकार की किस्में होती है। इसमें ज्यादातर एलीसन, मुतवा और तमूरी नर किस्में बाग मे लगाई जाती है। एवोट, एलीसन ब्रूनों, हैवर्ड और मोन्टी मुख्य मादा किस्में है। एलीसन व मोन्टी जिसकी मिठास सबसे अधिक होती है। कीवी दो प्रकार की होती है- ग्रीन कीवी और गोल्ड कीवी। ग्रीन कीवी अंदर से हरे रंग का होता है जिसमें एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा बहुत ही कम पाई जाती है जबकि गोल्ड कीवी अंदर से गहरे पीले रंग का होता है। यह ग्रीन कीवी से बहुत ज्यादा स्वस्थ और रसीली होती है। कीवी का फल भूरे रंग का, लम्बूतरा, मुर्गी के अण्डे के आकार का होता है,छिलके पर बारीक रोयें होते हैं, जो कि फल पकने पर रगड़ कर उतारे जा सकते हैं। कीवी रेशेदार व फल गूदा हल्के हरे रंग का होता है व इसमें काले रंग के छोटे-छोटे बीज होते हैं। फल पकने के बाद छिलके को उतारकर सारा फल (बीजों सहित) खाया जाता है। यदि फल अधिक पककर गल जाए तो इसे छेद करके आम की तरह चूस कर भी खाया जा सकता है। इसके अलावा कीवी फल से जैम, स्क्वेश, आसव तथा सुखाकर पापड़ और कैण्डी के रूप में भी प्रयोग में लाया जा सकता है। कीवी में इतनी शक्ति है की यह बीपी, कोलेस्ट्रोल, चिकनगुनिया, डेंगू, त्वचा, अनिंद्र, पाचन तंत्र, इम्युनिटी सिस्टम, रक्त, गर्भावस्था, श्वसन, दर्द, ह्रदय, डायबिटीज, वजन आदि को स्वस्थ और संतुलित रखने के गुण पाए जाते हैं। कीवी फल के 100 ग्राम खाने योग्य भाग में क्रमशः ठोस पदार्थ 15.20 प्रतिशत, अम्ल 1-1.6 प्रतिशत, शर्करा 7.5-13.0 प्रतिशत, प्रोटीन 0.11-1.2 प्रतिशत, तथा रेशा 1.1-2.9 प्रतिशत मिलता है। इसके अलावा कैल्शियम 16-51 मिग्रा., क्लोराइड 39-65 मिग्रा., मैग्नीशियम 10-32 मिग्रा., नाइट्रोजन 93-163 मिग्रा., फास्फोरस 22-67 मिग्रा., पोटैशियम 185-576 मिग्रा., सोडियम 2.8-4.7 मिग्रा0, सल्फर 25 मिग्रा. तथा विटामिन-ए 175 आई यू., पॉलीसेकेराइड, कैरोटीनोड, फ्लेवोनोइड, सेरोटोनिन, विटामिन बी-6, विटामिन बी-12, लोहा(.2 मिलीग्राम), तांबा, विटामिन के (1%), विटामिन-सी 80-120 मि.ग्रा. तथा विटामिन-बी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। विटामिन ई, विटामिन के और प्रचुर मात्रा में पोटैशियम, फोलेट पाये जाते हैं। किवी फल में अधिक मात्रा में एंटी ऑक्सीडेंट पाया जाता है। यह एंटी-ऑक्सीडेंट शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने तथा शरीर को विभिन्न बीमारियों से बचाने में मददगार होता है। विटामिन-सी तो नीबू प्रजाति के फलों की अपेक्षा तीन से चार गुना अधिक होता है। उत्तराखंड में पलायन रोकने व रोजगार की प्रबल संभावना को देखते हुए कीवी इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि जिस समय किवी फल तैयार होता है, उन दिनो बाजार में ताजे फलों के अभाव होता है। इस कारण कास्तकार द्वारा काफी आर्थिक लाभ उठाया जा सकता है। इसे कोर्ड स्टोर में भी चार महीने तक आसानी से सुरक्षित रखा जा सकता है। फलों को दूर भेजने में भी कोई हानि नहीं होती, क्योंकि वह अधिक टिकाऊ है कमरे के तापमान पर इसे एक माह तक रखा जा सकता है इन्हीं कारणों से बाजार में इसको लम्बे समय तक बेच कर अधिक लाभ कमाया जा सकता है। विदेशी पर्यटकों में यह फल अधिक लोकप्रिय होने के कारण दिल्ली व अन्य बड़े शहरों मे इसे आसानी से अच्छे दामों पर बेचा जा सकता है। राज्य के आमजन में कीवी फल की स्वीकार्यता अभी तक पूर्णतः नहीं बन सकी है जिस कारण स्थानीय बाजार में यह फल कम ही बिक पाता है बाहर भेजने के लिए इतना उत्पादन नहीं हो पाता किबाहरी मार्केट तक इसे भेजा जाए। दूसरी तरह जहाँ उत्तराखंड में कीवी फल उत्पादन का भविष्य दिखाई देता है वहीं समय पर कीवी फल पौध उपलब्ध न होने तथा तकनीकी जानकारी का अभाव व स्थानीय बाजार में कीवी फलों के उचित दाम न मिल पाने के कारण आज भी कीवी फल उत्पादन व्यवसायिक रूप नहीं ले सका। गर्मियों में डिहाइड्रेशन का खतरा सबसे अधिक होता है. हालांकि, कीवी एक ऐसा फल है जो आपको डिहाइड्रेशन से बचा सकता है. कीवी को रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए भी अच्छा माना जाता है. वैसे तो यह फल हर मौसम में बाजार में उपलब्ध रहता है, लेकिन गर्मियों में इसे खाने के फायदे अलग हैं. विशेषज्ञों के अनुसार, शरीर को हाइड्रेटेड रखने के लिए यह सबसे अच्छे फलों में से एक है. अप्रत्यक्ष सौर ड्रायर’ विकसित किया है। फलों और सब्जियों के उत्पादकों के लिए यह ड्रायर वरदान साबित हो सकता है। ड्रायर इक्विटी सशक्तिकरण और विकास (सीईईडी) कार्यक्रम के लिए डीएसटी के विज्ञान द्वारा वित्त पोषित तीन साल की परियोजना का हिस्सा है। जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों के लिए एक्शन रिसर्च एंड नेटवर्किंग कार्यक्रम के माध्यम से आजीविका संवर्द्धन शुरू किया गया है। यूएचएफ  में परियोजना सौर ड्रायर की स्थापना और उत्तराखंड और एचपी में स्थानीय कारीगरों के कौशल उन्नयन के मामले में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण पूरा करेगी। एक साल में विकसित 25 और 40 किलोग्राम क्षमता सुखाने वाले ड्रायर का उपयोग फल, सब्जियां, बीज, मसालों और औषधीय पौधे सुखाने के लिए किया जा सकता है। चूंकि सूखे उत्पाद बहुत उच्च गुणवत्ता वाले होते हैं, इसलिए वे बाजार में उच्च कीमतें ला सकते हैं, जिससे किसानों की आय में वृद्धि होगी। जानकारी के अनुसार ड्रायर दो हिस्सों से बना है। इसमें मुख्यतः सौर वायु कलेक्टर और ड्रायर कक्ष है। सौर ड्रायर मॉड्यूलर है और इसे नष्ट किया जा सकता और कहीं भी इकट्ठा किया जा सकता है। डा. एसके भारद्वाज, पर्यावरण विज्ञान विभाग के प्रमुख विभाग ने कहा कि ड्रायर अत्यधिक कुशल है और सूखे उत्पादों की गुणवत्ता पर समझौता किए बिना सुखाने का समय 50 प्रतिशत से कम कर देता है। सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह नियंत्रित स्थितियों को प्रदान करता है, इसलिए किसान मौसम में बदलाव से होने वाले नुकसान के मामले में जोखिम नहीं लेते। *लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं।लेखक वर्तमान में दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं।*

Share6SendTweet4
https://uttarakhandsamachar.com/wp-content/uploads/2025/10/yuva_UK-1.mp4
Previous Post

संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की 135 वीं जयंती पर उन्हें याद किया

Next Post

कुलपतियों की नियुक्तियों को लेकर उठ रहे सवाल

Related Posts

उत्तराखंड

पर्यटन स्थल हैं त्रिपुरा देवी मंदिर!

October 24, 2025
31
उत्तराखंड

चंपावत में खोला जाएगा कृषि विश्वविद्यालय : मुख्यमंत्री

October 24, 2025
6
उत्तराखंड

मुख्यमंत्री ने टनकपुर ( चंपावत) में भैया दूज (च्यूड़ा पूजन) समारोह में किया प्रतिभाग, महिलाओं ने किया पारंपरिक पूजन

October 24, 2025
6
उत्तराखंड

दून पुस्तकालय में बहे ऋत्विज पंत के शास्त्रीय गायन के रंग

October 24, 2025
5
उत्तराखंड

वार्षिक पत्रिका ‘प्रयास’ के 16वें संस्करण का हुआ विमोचन

October 24, 2025
5
उत्तराखंड

सरदार पटेल केवल भारत के लौह पुरुष नहीं, बल्कि एकता और अखंडता के प्रतीक थे – जिलाधिकारी

October 24, 2025
4

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Popular Stories

  • चार जिलों के जिलाधिकारी बदले गए

    67469 shares
    Share 26988 Tweet 16867
  • डोईवाला : पुलिस,पीएसी व आईआरबी के जवानों का आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण सम्पन्न

    45755 shares
    Share 18302 Tweet 11439
  • ऑपरेशन कामधेनु को सफल बनाये हेतु जनपद के अन्य विभागों से मांगा गया सहयोग

    38026 shares
    Share 15210 Tweet 9507
  •  ढहते घर, गिरती दीवारें, दिलों में खौफ… जोशीमठ ही नहीं

    37422 shares
    Share 14969 Tweet 9356
  • विकासखंड देवाल क्षेत्र की होनहार छात्रा ज्योति बिष्ट ने किया उत्तराखंड का नाम रोशन

    37293 shares
    Share 14917 Tweet 9323

Stay Connected

संपादक- शंकर सिंह भाटिया

पता- ग्राम एवं पोस्ट आफिस- नागल ज्वालापुर, डोईवाला, जनपद-देहरादून, पिन-248140

फ़ोन- 9837887384

ईमेल- shankar.bhatia25@gmail.com

 

Uttarakhand Samachar

उत्तराखंड समाचार डाॅट काम वेबसाइड 2015 से खासकर हिमालय क्षेत्र के समाचारों, सरोकारों को समर्पित एक समाचार पोर्टल है। इस पोर्टल के माध्यम से हम मध्य हिमालय क्षेत्र के गांवों, गाड़, गधेरों, शहरों, कस्बों और पर्यावरण की खबरों पर फोकस करते हैं। हमारी कोशिश है कि आपको इस वंचित क्षेत्र की छिपी हुई सूचनाएं पहुंचा सकें।
संपादक

Browse by Category

  • Bitcoin News
  • Education
  • अल्मोड़ा
  • अवर्गीकृत
  • उत्तरकाशी
  • उत्तराखंड
  • उधमसिंह नगर
  • ऋषिकेश
  • कालसी
  • केदारनाथ
  • कोटद्वार
  • क्राइम
  • खेल
  • चकराता
  • चमोली
  • चम्पावत
  • जॉब
  • जोशीमठ
  • जौनसार
  • टिहरी
  • डोईवाला
  • दुनिया
  • देहरादून
  • नैनीताल
  • पर्यटन
  • पिथौरागढ़
  • पौड़ी गढ़वाल
  • बद्रीनाथ
  • बागेश्वर
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • रुद्रप्रयाग
  • रुद्रप्रयाग
  • विकासनगर
  • वीडियो
  • संपादकीय
  • संस्कृति
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • साहिया
  • हरिद्वार
  • हेल्थ

Recent News

पर्यटन स्थल हैं त्रिपुरा देवी मंदिर!

October 24, 2025

चंपावत में खोला जाएगा कृषि विश्वविद्यालय : मुख्यमंत्री

October 24, 2025
  • About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.

No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.