गैरसैंण। उत्तराखंड सरकार द्वारा भूमि बन्दोबस्त शूरू करने और पत्नियों के नाम खाता खतौनी में दर्ज करने के निर्णय का स्वागत करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता भुवन नौटियाल ने इसी परिपेक्ष में राजस्व अभिलेखों को त्रुटि शून्य बनाने के लिए महत्वपूर्ण सुझाव मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को पत्र पेषित कर दिए हैं। उन्होंने कहा है कि 1958 के बाद हो रहे बंदोबस्त में पहली बार खाता खतौनी में पत्नियों का नाम दर्ज करा कर महिलाओं को बराबरी का दर्जा देकर महिला सशक्तिकरण को बल मिला है, जो सराहनीय और स्वागत योग्य कदम है।
उन्होंने कहा कि काश्तकारों की अज्ञानता की सजा निरपराधों को नहीं मिलनी चाहिए, इसके लिए सरकार को आम जनमानस के सुझाव भी आमंत्रित करने होंगे। कहा कि वर्तमान में खाता खतौनियों में लगभग 20 फीसदी लोगों के नाम पिता के नाम अशुद्ध दर्ज हैं। खाता खतौनी को ठेकेदारों के माध्यम से आॅन लाइन करने की प्रक्रिया के तहत काश्तकारों से आपत्तियों नहीं मांगे जाने के कारण कतिपय काश्तकारों को न्यायालय की शरण लेनी पड़ी है। क्रय एवं दान में प्राप्त भूमि का दाखा चलाने में भूलें हुई हैं, आदेश होने के बावजूद पटवारी स्तर से कई मामलों में दाखा पूरा नहीं हो पाया है। कई मामलों में तो गांवों में तीन-तीन पीढ़ियों से विरासती भूमि वारिशों के नाम दर्ज नहीं हुई है। निःसंतान काश्तकारों के मरने के बाद उनकी नाम की भूमि सहखातेदारों के नाम नहीं दर्ज हुई है और कहीं हुई भी है तो समानताऐं नहीं हैं। भूमि आवंटन के पट्टों का परीक्षण होना जरूरी हो जिससे किसी का नाम भू अभिलेखों में दर्ज होने से रह नहीं जाय।
अभिलेखों में दर्ज अशुद्ध नामों से बैंकों से लोन लेने और बच्चों के प्रमाण पत्र बनाने में परेशानी झेलनी पड़ रही है। खतौनियों में काश्तकार की जाति का उल्लेख नहीं होने से आरक्षण व अन्य सुविधाओं का लाभ काश्तकारों को प्राप्त नहीं हो पा रहा है। प्रदेश में अनेकों राजस्व ग्राम जो अपने विकास खंड से बाहर के भिन्न तहसीलों में रखे गये हैं जिससे काश्तकार परेशानी झेल रहे हैं। तहसील स्तर पर भूअभिलेखों का रिकार्ड न होने से रिकार्डरूम तक पहुंचना आम काश्तकार के बस से बाहर की बात है। भू अभिलेखों की अशुद्धियों की सबसे अधिक मार प्रवासियों पर पड़ी है जिनका दाखा नहीं चला है और चला भी है तो अशुद्ध नामों से ।इन समास्याओं के समाधान के लिए कुछ सुझाव सुझाते हुए उन्होंने कहा कि सर्व प्रथम तहसील स्तर पर अब तक के लंबित दाखा आदेशों का अनुपालन सुनिश्चित किया जाय।
सरकारी विभागों में दान व क्रय की गई भूमि की दाखा की पूर्ण जिम्मेदारी विभागाध्यक्ष की सुनिश्चित की जाये। राजस्व विभाग द्वारा गांवों में कैंप लगा कर दाखा संबधी कार्य पूरे किये जाय। वषों से बंद पड़े पटवारी चैकी के भवनों को खुलवाना सुनिश्चित किया जाय। बन्दोबस्त के दौरान अभिलेखों में जातियों का उल्लेख अवश्य किया जाना चाहिए, ताकि भविष्य में असुविधा न हो। तहसील स्तर पर भू अभिलेखों का रिकार्ड रूम स्थापित किया जाय। एक विकास खंड के सभी ग्रामों को एक ही तहसील के अन्तगर्त रखे जाने चाहिए। कम्प्यूटर खतौनियों का मिलान कर भूल सुधार किया जाय। भू अभिलेखों की कमियों को दूर करने के लिए पटवारी क्षेत्र व ग्राम स्तर पर प्रचार प्रसार किया जाय। प्रदेश भर के प्रवासी संगठनों को भी इसकी सूचना दी जानी होगी। फिर भू अभिलेख सुधारीकरण के बाद ही भू बंदोबस्त प्ररंभ करने पर विचार करना होगा।