देहरादून। 57 विधायकों के बहुमत के साथ सत्ता में रही भाजपा सरकार पिछले चार साल से स्थिर दिख रही थी, वह सरकार अचानक हिलती हुई नजर आने लगी। हालांकि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत ने किसी तरह के नेतृत्व परिवर्तन से इंकार किया है, लेकिन पूरे दिन नेतृत्व परिवर्तन को लेकर कयासबाजी होती रही।
कुछ घटनाक्रम ऐसा था, जिसने सबको चैंका दिया। अचानक गैरसैंण में मौजूद मुख्यमंत्री, मंत्री तथा भाजपा विधायकों को तत्काल देहरादून पहुंचने के निर्देश दिए गए। कोर कमेटी की बैठक में सामान्य तौर पर केंद्रीय पर्यवेक्षक, प्रदेश प्रभारी समेत केंद्रीय नेताओं का अचानक पहुंचना सभी को चैंका गया। दो वजहों से इस सरकार को बहुत स्थिर माना जा रहा था। पहला 57 पार्टी विधायकों के अलावा कुछ निर्दलीय विधायकों के समर्थन से कुछ विधायकों का गुट सरकार को अस्थिर करने की स्थिति में नहीं था, इसलिए जो अब तक बार-बार होता रहा, ऐसा इस बार होने की संभावना दूर-दूर तक नहीं दिखाई दे रही थी। दूसरा मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को अमित साह समेत पार्टी नेतृत्व का विश्वसनीय माना जाता है। अमित साह लिए गए अपने निर्णय को पलटते भी नहीं।
लेकिन अचानक घटे इस घटनाक्रम ने सभी को चैंका दिया। इसलिए यह भी कहा जा रहा है कि कोर गु्रप की इस बैठक में नेतृत्व परिवर्तन के बजाय मंत्रीमंडल के तीन रिक्त स्थानों पर तीन विधायकों की ताजपोशी हो रही हो। अभी हाल ही में राज्य सरकार ने 18 नेताओं को दायित्व सौंपे, उन्होंने खुशी-खुशी इन दायित्वों को लिया, किसी ने भी यह शिकायत नहीं की कि चार साल से उनकी सुध नहीं ली गई। इसलिए मंत्री बनने की लाइन में खड़े विधायकों को यदि मंत्री पद मिलता है तो उनके लिए भी यह किसी उपलब्धि से कम नहीं होगी।
जहां तक नेतृत्व परिवर्तन का सवाल है यदि गैर विधायक मुख्यमंत्री बनाया जाता है तो उसे छह माह के अंदर चुनाव जीतकर आना होगा। एक साल बाद चुनाव हैं, इतने अल्प काल के लिए कोई उप चुनाव का जोखिम उठाया जाएगा इसके आसार कम ही लगते हैं। लेकिन यह राजनीति है, राजनीति में कुछ भी हो सकता है। इसलिए कयास लगाने के बजाय इस बात का इंतजार किया जाए कि एक-दो दिन के अंदर क्या निर्णय होगा?