फैसलें में रामचरित मानस की किष्किन्ंधा काण्ड में लिखित चैपाई का भी उलेख किया
अल्मोड़ा। बलात्कार के एक मामले में विशेष सत्र न्यायाधीश डाॅ. ज्ञानेंद्र कुमार शर्मा ने अभियुक्त रमेश राम थाना दन्या, जिला अल्मोड़ा को धारा 376(2), के तहत आजीवन कारावास व 10 हजार रूपये का अर्थदण्ड व अर्थदण्ड अदा न किये जाने की स्थिति में एक साल का अतिरिक्त कारावास धारा 201 में 3 वर्ष की सजा व 5 हजार रूपये का अर्थदण्ड अधिरोपित किया एवं अर्थदण्ड अदा न करने की स्थिति में दो महीने का साधारण कारावास भुगतना होगा। इसके अतिरिक्त न्यायाधीश द्वारा पोक्सों रूल 2012 धारा 7 नालसा स्कीम के तहत उत्तराखण्ड सरकार (जिला मजिस्ट्रेट) को रूपया 7 लाख का मुआवजा देने के आदेश पारित किये एवं धारा 506 में दोषमुक्त किया गया।
सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अनुसार प्रस्तुत मामला थाना दन्या जिला अल्मोड़ा का है जिसमें अभियुक्त रमेश राम द्वारा जोकि पीडिता के मौसा के द्वारा पीड़िता के साथ अवैथ शारीरिक संबंध बनाये जाने तथा बलात्कार किये जाने के संबंध में पीड़िता के भाई हरीश राम द्वारा प्रथम सूचना रिपार्ट थाना दन्या जिला अल्मोड़ा में दर्ज करायी गयी जिसमें उन्होंने कहा कि मेरी बहन (कालपनिक नाम) उम्र 16 वर्ष जो माता-पिता की मृत्यु हो जाने के उपरान्त मेरे मौसा रमेश राम पुत्र कमल राम उम्र करीब 50 वर्ष जो मेरी व मेरी बहन की देखरेख करते थे। माता पिता की मृत्यु के पश्चात मैं नौकरी के लिए हिसार हरियाणा चला गया था। 20 जुलाई 2018 को अपनी बहन की देखरेख हालचाल पूछने अपने घर आया था। तो मेरी बहन ने बताया कि मौसा डेढ़ वर्ष से लगातार उसके साथ गलत काम कर रहा है। मौसा ने कहा अगर तुने किसी को बताया तो तुझें जान से मार दूंगा।
उक्त मामले की सुनवाई करते हुए डाँ ज्ञानेन्द्र कुमार शर्मा नयायालय स्पेशल जज पोक्सों अल्मोड़ा द्वारा विचारण किया गया जिसमें 10 गवाह परीक्षित करवायेे गयें । पीड़िता का बयान न्यायिक मजिस्ट्रेट अल्मोड़ा के समक्ष 24 फरवरी 2018 को अंकित किया गया। गवाहों में पीड़िता, पीड़िता के भाई चक्षुदर्शी साक्षीगण, मामले से जुड़े चिकित्सक एवं अन्वेषणकत्र्ता को परीक्षित कराया गया । समस्त गवाहों को परीक्षित करने के उपरान्त अभियुक्त रमेश राम को आजीवन कारावास की सजा अन्तर्गत धारा 376(2), के तहत आजीवन कारावास व 10 हजार रूपयें का अर्थदण्ड व अर्थदण्ड अदा न किये जाने की स्थिति में एक साल का अतिरिक्त कारावास धारा 201 में 3 वर्ष की सजा व 5 हजार रूपये का अर्थदण्ड अधिरोपित किया गया एवं अर्थदण्ड अदा न करने की स्थिति में दो महीने का साधारण कारावास भुगतना होगा । इसके अतिरिक्त न्यायधीश द्वारा पोक्सों रूल 2012 धारा 7 नालसा स्कीम के तहत उत्तराखण्ड सरकार (जिला मजिस्ट्रेट) को रूपया 7 लाख का मुआवजा देने के आदेश पादित किये एवं धारा 506 में दोषमुक्त किया गया।
न्यायाधीश डाँ ज्ञानेन्द्र कुमार शर्मा द्वारा निर्णय को पारित करते समय अपनी टिप्पणी में उन्होंने रामचरित मानस के किष्किंन्धा काण्ड में लिखित चैपाई को उद्धत किया है – ‘‘ अनुज वधु, भगनी सुत नारी, सुन सत ये कन्या समचारी। इन्हें कुदृष्टि विलोपे जोई, ताहि बधे कुछ पाप ना होई।‘‘ जिसमें उक्त प्रकार के कृत्य के लिए मृत्युदण्ड की अवधारणा की गई है। परन्तु विधि के शासन को संरक्षण किये जाने के हेतु न्यायालय बाध्य है। न्यायालय की न्यायिक अंतश्चेतना विधायी आशय के अनुसार ही कार्य करेगी । जब अपराधी द्वारा अपराध किया गया था, तो उस समय पीड़िता 12 वर्ष से अधिक उम्र की थी, ऐसे में दण्डादेश के स्तर पर आजीवन कारावास दिया जाना ही उचित है । साथ ही न्यायालय द्वारा जेल अधीक्षक को निर्देशित किया है कि ऐसे अपराधी को लाभ न दे जो अन्य कैदियों को उनके अच्छे व्यवहार के लिए दिया जाता है । दोषसिद्ध अपराधी अंतिम सांस तक जेल में रहेगा।