फोटो- घंण्टाकर्ण भगवान का मंन्दिर पांडुकेश्वर ।
प्रकाश कपरूवाण
जोशीमठ।
भगवान घण्टाकर्ण का कुभं देवरा-यात्रा शुरू। वसुधारा स्नान के उपरान्त 22जून को पांडुकेश्वर घण्टाकर्ण मंन्दिर मे हेागा आगमन।
पांडुकेश्वर मे भगवान घण्टाकर्ण का प्रसिद्ध मंन्दिर है, मान्यता है कि 12वर्ष मे आयो होने वाले कुभं वर्ष के दौरान ही भगवान घण्टाकर्ण की कुभं देवरा-यात्रा का आयोजन किया जाता है। जो अनवरत जारी है। और आज की युवा पीढी भी इस परंपरा का निर्वाह कर रही है। कार्यक्रम के अनुसार शुक्रवार को भगवान घंण्टाकर्ण की उत्सव डोली मंन्दिर से बाहर निकलकर पांडुकेश्वर गाॅव के अन्य देवी-देवताओ से देव मिलन के उपरान्त औथ गाॅव-हनुमान चटटी पंहुची। जहाॅ ग्रामीणों ने पंरपरागत रीति-रिवाज के साथ भगवान घण्टाकर्ण का स्वागत किया, यहाॅ भोग प्रसाद के उपरान्त भगवान की देवरा यात्रा बदरीनाथ धाम पंहुची और पहला विश्राम बामणी गाॅव मे हेागा। शनिवार 19जून को देवरा यात्रा माणा गाॅव प्रवास के लिए पंहुचेगी, और 20जून को माणा से वसुधारा मे स्नान व पूजन के उपरान्त पुन माणा गाॅव पंहुचकर दोपहर भोग-प्रसाद व अपरान्ह मे देव मिलन के धार्मिक अनुष्ठान के बाद बामणी गाॅव पंहुचेगी।
21जून को भगवान कुवेर भी बदरीनाथ मंन्दिर से बामणी गाॅव पंहुचकर देव मिलन धार्मिक कार्यक्रम मे शामिल होगे। व 22जून को 12वर्षीय घण्टाकर्ण कुभं देवरा-यात्रा भगवान बदरीविशाल से भेंट कर वापस अपने मूल स्थान पांडुकेश्वर पंहुचेगी।
12वर्षो के अन्तराल के बाद आयेाेिजत होने वाले कंुभ देवरा-यात्रा को लेकर पांडुकेश्वर व बामणी तथा बदरीनाथ धाम मे उत्साह तो है लेकिन कोविड गाइड लाइन के कारण सीमित संख्या मे ही श्रद्धालु इस यात्रा पर शामिल हो पा रहे है।












