डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
सफेद दाग एक ऐसी बीमारी है, जिसके कारण शरीर पर कई असामान्य सफेद धब्बे हो जाते हैं और वे अनियंत्रित तरीके से बढ़ते रहते हैं। कई लोग इस बीमारी के कारण हीन भावना से ग्रस्त हो जाते हैं। लेकिन पहाड़ में तैनात के एक वैज्ञानिक ने अब आयुर्वेद का सहारा लेकर इस बीमारी के लिए दवा खोज ली है। डॉ हेमंत कुमार पांडेय पिथौरागढ़ में तैनात हैं। इन की उपलब्धियों की जितनी तारीफ की जाए उतना कम है। उत्तराखंड के लिए सम्मान की बात यह है कि डॉ हेमंत कुमार पांडेय को साइंटिस्ट ऑफ द ईयर अवार्ड से सम्मानित किया गया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पिथौरागढ़ स्थित रक्षा जैव ऊर्जा अनुसंधान संस्थान में वरिष्ठ विज्ञानी के पद पर कार्यरत डॉ हेमंत कुमार पांडेय को यह सम्मान दिया है। बीते 25 सालों से हेमंत कुमार पांडे हिमालय क्षेत्र में जड़ी बूटियों पर शोध कर रहे थे। उन्होंने सफेद दाग की दवा यूको स्किन को हिमालय में पाए जाने वाले औषधीय पौधे विश्वनाथ से तैयार किया। यह दवा आयुर्वेदिक है और खाने और लगाने दोनों स्वरूपों में मौजूद है। इस दवा के आयुर्वेदिक फार्मूला को डीआरडीओ ने एक निजी कंपनी को स्थानांतरित किया जो इसे बाजार में बेच रही है। ल्यूकोस्किन के अलावा डॉ हेमंत कुमार पांडेय 6 दवाओं और हर्बल उत्पादों की खोज कर चुके हैं। इसमें दांत दर्द खुजली रेडिएशन से बचाने वाली क्रीम के अलावा आयुर्वेदिक दवाएं शामिल है। किस दवा का लाभ इस बीमारी से ग्रसित लाखों लोग उठा रहे हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस उत्पाद की बिक्री से डीआरडीओ को दो करोड़ 30 लाख रूपए से ज्यादा के रॉयल्टी मिल चुकी है। से तो वह छह दवाओं एवं हर्बल उत्पादों की खोज कर चुके हैं लेकिन उनकीसबसे बड़ी खोज सफेद दाग यानी ल्यूकोडर्मा की दवा ल्यूकोस्किन है। हिमालयी जड़ी-बूटियों से तैयार यह दवा सफेद दाग की समस्या का प्रभावी निदान करती है। इस तकनीक को कुछ साल पहले नई दिल्ली की एमिल फार्मास्युटिकल को हस्तांतरित किया गया था। मौजूदा समय में यह ल्यूकोस्किन एक प्रभावी दवा के रूप में अपनी पहचान बना चुकीहै। ल्यूकोस्किन को हिमालयी क्षेत्र में दस हजार फुट की ऊंचाई पर पाए जाने वाले औषधीय पौधे विषनाग से तैयार किया गया है। यह खाने और लगाने वाली,दोनों स्वरूपों में उपलब्ध है। अब तक डेढ़ लाख से अधिक लोगों का इससे उपचार किया जा चुका है। विश्व में वैसे तो एक से दो फीसदी लोग सफेद दाग की समस्या से प्रभावित हैं लेकिन भारत मेंऐसे लोग तीन से चार फीसदी होने का अनुमान है। इस हिसाब से यह संख्या पांच करोड़ होती है। यह आटो इम्यून डिसआर्डर है जिसमें त्वचा के रंग के लिए जिम्मेदार कुछ सूक्ष्म कोशिकाएं निष्क्रिय हो जाती हैं। हालांकि इसका शरीर की क्षमता पर किसी प्रकार काप्रभाव नहीं पड़ता है। पांडेय ने इसके अलावा खुजली, दांत दर्द, रेडिएशन से बचाने वाली क्रीम, हर्बलहेल्थ उत्पाद आदि भी उन्होंने तैयार किए हैं। इनमें से ज्यादातर उत्पादों की तकनीक हस्तांतरित हो चुकी है। लेखक डॉ० अन्डोला वह डॉ हेमंत कुमार पांडेय के गुरु रूसा के सलाहकार प्रो. एमएसएम रावत, है। लेखक वर्तमान में दून विश्वविद्यालय कार्यरतहैं।