• About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact
Uttarakhand Samachar
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
Uttarakhand Samachar
No Result
View All Result

मां अगनेरी मंदिर है श्रद्धालुओं के अटूट श्रद्धा का केंद्र

05/04/25
in उत्तराखंड, देहरादून
Reading Time: 1min read
25
SHARES
31
VIEWS
Share on FacebookShare on WhatsAppShare on Twitter

डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
चौखुटिया अल्मोड़ा जिले के द्वाराहाट खंड में स्थित रामगंगा घाटी का एक प्राचीन ऐतिहासिक शहर भी है. जैसा कि ‘चौखुटिया’ नाम से ही पता चलता है कि कुमाऊंनी में ‘चौ’ का शाब्दिक अर्थ है चार और ‘खुट’ का अर्थ है पैर. इसका तात्पर्य है कि ‘चौखुटिया’ में चार अलग-अलग दिशाओं के लिए पैर यानी मार्ग हैं- एक अल्मोड़ा के लिए, दूसरा रामनगर के लिए, तीसरा कर्णप्रयाग के लिए और चौथा तड़गताल के लिए. इस नगर को अल्मोड़ा और द्वाराहाट राजधानी नगरों से भी अधिक बार मुस्लिम आक्रमणकारियों का सामना करना पड़ा. कभी फिरोज तुगलक की फौज से लड़ना पड़ा तो कभी रुहेलों के आक्रमणों को झेलना पड़ा,जिसके कारण इस क्षेत्र के प्राचीन मन्दिरों,स्मारकों और देवी-देवताओं की मूर्तियों को नष्ट कर दिया गया अथवा उन्हें खंडित कर दिया गया.रामगंगा नदी के तट पर धुदलिया गांव के पास स्थित अग्नेरी देवी का का प्राचीन मन्दिर कत्यूरी कालीन इतिहास की एक अमूल्य धरोहर है. देवभूमि उत्तराखंड की पावन भूमि में बसी रंगीली गेवाड़ घाटी की कुमाऊंनी लोकसाहित्य और संस्कृति के निर्माण में अहम भूमिका रही है. यहां के प्रसिद्ध दर्शनीय स्थलों में कत्यूर की राजधानी लखनपुर,गेवाड़ की कुलदेवी मां अगनेरी का मंदिर, रामपादुका मन्दिर,मासी का भूमिया मंदिर विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं. ‘राजुला मालूशाही’ की प्रेमगाथा के कारण भी बैराठ चौखुटिया की यह घाटी ‘रंगीली गेवाड़’ के नाम से प्रसिद्ध है. यहां अग्नेरी देवी के मन्दिर में लगने वाला चैत्राष्टमी का मेला कुमाऊं का एक प्रसिद्ध मेला माना जाता है. यहां अपनी मनौतियों   को पूर्ण करने हेतु देश विदेश से श्रद्धालुजन माँ अग्नेरी के दरबार में पहुंचते हैं.जहां तक इस अग्नेरी देवी के प्राचीन इतिहास का सम्बन्ध है,लोकश्रुति के अनुसार दुनागिरि पर्वत के सामने ‘पाण्डुखोली’ नामक स्थान में पाण्डवों ने अपने अज्ञातवास के दिनों को बिताया था. कौरवों को जब उनके अज्ञातवास का पता चल गया तो वे ‘कौरवछिना’, जिसे आजकल ‘कुकुछिना’ कहते हैं, वहां तक उनका पीछा करते हुए पहुंच गए. परन्तु देवी दुनागिरि की कृपा से सुरक्षित रह कर ‘पाण्डुखोली’ में पाण्डवों ने कुछ समय तक वास किया.उसके बाद कौरवों की सेना से बचते हुए पाण्डवों ने ‘मत्स्यदेश’ (मासी) की राजधानी विराट नगरी की ओर प्रस्थान किया. वर्त्तमान में महाभारत के मत्स्यदेश की पहचान मासी से और विराट नगरी की पहचान गेवाड़ घाटी स्थित बैराठ नगरी से की जा सकती है. इसी ‘बैराठ’ क्षेत्र में आज चौखुटिया नगर बसा है. उत्तराखण्ड के प्राचीन इतिहास के जानकार महात्मा हरनारायण स्वामी जी ने महाभारतकालीन विराट नगर की देवी को चौखुटिया स्थित ‘अगनेरी देवी’ माना है. दुनागिरि के निकट रामगंगा के किनारे आज भी इस विराट नगरी के प्राचीन पुरातात्त्विक अवशेष देखे जा सकते हैं. यहीं पर नदी के किनारे कीचक घाट भी है जहां भीम ने कीचक का वध किया था. कत्यूरी राजा आसन्ति वासन्ति देव का यहीं राज-सिंहासन भी था. महाभारत के विराट पर्व में वर्णित  ‘दुर्गास्तोत्र’ दुनागिरि क्षेत्र में शक्ति पूजा के उत्तराखण्डीय स्वरूप पर प्रकाश डालने वाला एक महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक साक्ष्य है. इस स्तोत्र की फलश्रुति से ज्ञात होता है कि देवी के आशीर्वाद से ही पाण्डवों ने महाभारत के घनघोर युद्ध में कौरवों को पराजित करके अपने खोए हुए राज्य को पुनः प्राप्त किया था.‘बैराठ’ देवी का स्वयं कथन है कि जो भी इस स्तोत्र का पाठ करेगा वह धन-धान्य, सुख-सम्पत्ति से युक्त होगा और सब प्रकार की बाधाओं से मुक्त होकर उसके सभी मनोवांछित कार्य सिद्ध होंगे. देवी ने पांडवों को भी आशीर्वाद देते हुए कहा कि मेरी कृपा प्रसाद से तुम सब पाण्डवों को विराट नगर में रहते हुए कौरव जन अथवा वहां के निवासी पहचान नहीं पाएंगे-महाभारत काल के समय धर्मराज युधिष्ठर ने अपने भाइयों के साथ विराट नगरी में पहुंच कर सर्वप्रथम इस नगर की कुल देवी और वैष्णवी शक्ति ‘दुर्गा’ के दर्शन किए और अपनी सुरक्षा की कामना से दुर्गा देवी की स्तुति की. महाभारत के विराटपर्व का  संस्कृत के 35 श्लोकों में रचित दुर्गास्तोत्र पांडवों के द्वारा उनके अज्ञातवास के समय की गई वैष्णवी शक्ति दुर्गादेवी की ही स्तुति है. कालान्तर में इसी बैराठ देवी को स्थानीय मान्यता के अनुसार कत्यूरी राजाओं की कुल देवी या ‘अग्नेरी देवी’ के रूप में जाना जाने लगा.मैंने सन् 2002 में प्रकाशित पुस्तक ‘दुनागिरी महिमा’ में जन सामान्य की जानकारी हेतु विराटदेवी की स्तुति के रूप में इस महाभारतकालीन ‘दुर्गास्तोत्र’ का भाषानुवाद सहित मूल संस्कृतपाठ परिशिष्ठ भाग के रूप में प्रस्तुत किया है और इसके महाभारतकालीन ऐतिहासिक महत्त्व पर भी वहां विस्तार से प्रकाश डाला है.महाभारतकालीन इस ‘दुर्गास्तोत्र’ में धर्मराज युधिष्ठिर ने अपने भाइयों के साथ देवीदर्शन की कामना से सर्व प्रथम नमन पूर्वक वरदायिनी, कृष्णस्वरूपा, कुमारी, बह्मचारिणी,सूर्य के समान रक्तवर्णा, पूर्णचन्द्र के समान मुख वाली आदि विविध प्रकार के स्तुतिवचनों से वहां विराट नगर की कुलदेवी दुर्गा का स्तवन किया है इस देवी का शक्तिपूजा के उद्भव व विकास के इतिहास की दृष्टि से भी विशेष महत्त्व है. उत्तरवर्ती काल में ब्रह्मा,विष्णु और महेश इन त्रिदेवताओं की शक्तियों का क्रमशः ब्राह्मी, वैष्णवी और शैव (शिवा) शक्तियों के रूपों में स्वतंत्र रूप से विकास हुआ और उनकी रूपाकृति में भी अंतर पाया जाने लगा. किन्तु महाभारत कालीन दुर्गादेवी का यह स्तोत्र इस दृष्टि से विलक्षण है कि इसमें महाशक्ति के तीनों स्वरूपों का एकसाथ प्रतिनिधित्व होने के कारण इस आराध्य देवी को जहां एक ओर चतुर्भुजी वैष्णवी कहा गया है तो दूसरी ओर दुर्गति से तारने वाली  दुर्ग रक्षिका दुर्गा के रूप में भी इसका स्तवन किया गया है-यह देवी आग्नेय कोण में होने के कारण ‘अग्नेरी देवी’ कहलाती है. पहले इस मंदिर के गर्भगृह में कत्यूरी राजाओं द्वारा काषाय पाषाण से निर्मित दुर्गादेवी की आदमकद मूर्ति विराजमान थी. किन्तु सन् 1970 में वह मूर्ति चोरी हो जाने के बाद यहां सन् 1971 में नई मूर्ति की स्थापना की गई. उन्होंने बताया कि सन् 1905 में कुमाऊं के सन्त सीताराम बाबा जी ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार किया था. उस समय कार्तिक की पूर्णमासी की रात को मन्दिर प्रांगण में बहुत बड़ा मेला भी लगता था और श्रद्धालुजन प्रातः रामगंगा में स्नान करके देवी की पूजा अर्चना करते थे. यह भी महत्त्वपूर्ण जानकारी कि कत्यूरी राजा परम वैष्णव थे और उनके काल में यहांपशुबलि नहीं दी जाती थी किन्तु चन्द राजाओं के काल में यहां बलिप्रथा शुरू हुई. उसके बाद यहां हरनारायण स्वामी जी का पदार्पण हुआ तो उन्होंने यहां बलिप्रथा रोकने के लिए विशेष प्रयास किया. वस्तुतः बैराठ नगरी की राजधानी रही लखनपुर क्षेत्र में पुरातात्विक महत्त्व की एक अनोखी सुरंग भी मिली है,जिसके अंदर पुरानी सीढि़यां, रोशनदान, देवी-देवताओं की मूर्तियां एवं पाषाण की दीवार पर कई अन्य आकृतियां उकेरी हुई हैं. माना जा रहा है कि यह सुरंग बारहवीं शताब्दी में कत्यूरी राजाओं द्वारा निर्मित की गई थी. तब यहां लखनपुर नामक स्थान में उनकी राजधानी हुआ करती थी. सुरंग का पता कुछ दिन पूर्व उड़लीखान-आगर मनराल सड़क निर्माण के दौरान लगा. कहते हैं कि पूर्व में यह सुरंग करीब डेढ़ किमी लंबी थी, जो सीधे कत्यूरी राजवंशी राजाओं की राजधानी लखनपूर को जोड़ती थी. लेकिन समय बीतने के साथ ही सुरंग का दायरा भी सिमटते गया, तो आज भी 40-50 मीटर लंबी है. इसके दो मुहाने हैं. स्थानीय लोग बताते हैं कि इस भू-भाग में इस तरह की कई और सुरंगें भी हैं,जो अब बंद हो गई हैं.लखनपुर के आठवीं-नौवीं शताब्दी के मन्दिरों में अनेक देवी-देवताओं की मूर्तियों व खंडहरों के मिलने से पुष्टि होती है कि कत्यूरी शासकों द्वारा अपने शासन काल के दौरान यहां अनेक गुफा-सुरंगें बनाई गई होगी, जिनका सामरिक एवं धार्मिक दृष्टि से भी विशेष महत्त्व रहा था. विशेष ध्यान देने योग्य तथ्य यह है कि ये गुफाएं पर्वत शिखर से रामगंगा नदी तक पहाड़ खोदकर बनाई गई थीं. राम गंगा नदी के किनारे पूर्व में बनाए गए अनेक मुहाने अब बंद हो गए हैं. इस क्षेत्र के जाने माने इतिहासकार, ‘लखनपुर के कत्यूर’ के लेखक और चौखुटिया के पूर्व ब्लॉक प्रमुख रहे डा. लक्ष्मण सिंह मनराल के अनुसार बैराठ नगरी में कत्यूरी राजाओं की एक शाखा ने दीर्घकाल तक यहां राज किया था और लखनपुर उनकी राजधानी रही. उसके अवशेष आज भी यहां मौजूद हैं. उन्होने पहाड़ी में कई सुरंगें बनाईं,जिनका उपयोग रामगंगा नदी में स्नान करने और वहां स्थित नौलों और जलाशयों से पानी लाने के लिए किया जाता था.चौखुटिया इतिहास के अनुसार उड़लीखान गांव के पास 12वीं शताब्दी के आसपास निर्मित ये सुरंगें कई पौराणिक और प्राचीन इतिहास के पहलुओं को समेटे हुए हैं. इस क्षेत्र में इस प्रकार की और भी कई सुरंगें हैं, कई के मार्ग तो कई के मुहाने बंद हो गए हैं.क्षेत्रीय पुरातत्व इकाई अल्मोड़ा के संज्ञान में भी ये सुरंगें हैं. क्षेत्रीय प्रमुख द्वारा इन सुरंगों के सम्बन्ध में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) नई दिल्ली को पत्राचार द्वारा जानकारी भी दी गई किन्तु आज तक एएसआई ने इन महत्त्वपूर्ण अवशेषों के अध्ययन संरक्षण की दिशा में कोई ठोस प्रयास किया हो इसकी जानकारी नहीं है.दरअसल,अग्नेरी देवी शक्तिपीठ से स्पंदित यह रामगंगा और गेवाड़ घाटी का क्षेत्र रामायण और महाभारत काल से ही प्रसिद्ध राजधानी नगर के रूप में विकसित क्षेत्र रहा है. इन अति प्राचीन सुरंगों का यदि पुरातात्त्विक दृष्टि से अध्ययन और सर्वेक्षण किया जाए तो कुमाऊं क्षेत्र व कत्यूरीकालीन  प्राचीन इतिहास के कई अज्ञात और अनसुलझे पहलुओं से भी पर्दा उठ सकता है. अगनेरी मंदिर की स्थापना कत्यूरी शासन में हुई। एक बार गेवाड़ घाटी में महाबीमारी का प्रकोप बढ़ गया। इससे निजात के लिए मैया मंदिर की स्थापना की गई।कुछ लोगों का मानना है  कि तब यहां पर कत्यूरी शासकों की कुलदेवी मां भगवती का छोटा मंदिर था। वर्ष 1900 में गेवाड़ घाटी क्षेत्र के सम्मानित लोगों के सहयोग से पुराने मंदिर का जीर्णोद्धार कर मंदिर को नया स्वरूप दिया गया। मंदिर में अष्टभुजा खड़गधारिणी महिषासुर मर्दनी भगवती माता की मूर्ति स्थापित की गई। जो वर्ष 1970 में चोरी हो गई। इसके बाद मां काली की नई मूर्ति की स्थापना की गई।1902 से यहां पर चैत्राष्टमी मेला लगता है। *लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं।लेखक वर्तमान में दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं।*

Share10SendTweet6
https://uttarakhandsamachar.com/wp-content/uploads/2025/10/yuva_UK-1.mp4
Previous Post

डोईवाला : परीक्षा परिणाम में हुई त्रुटि शीघ्र ठीक हो

Next Post

प्लास्टिक के कचरे से बनीं अनोखी वस्तुएं

Related Posts

उत्तराखंड

गणेश गोदियाल को कांग्रेस पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाएं जाने पर देवाल के कांग्रेसियों ने जमकर आतिशबाजी करते हुए मिठाईयां बांटी

November 13, 2025
5
उत्तराखंड

कोटद्वार पुलिस ने आमजन में सुरक्षा व विश्वास का भरोसा प्रबल करने हेतु निकाला फ्लैग मार्च

November 13, 2025
2
उत्तराखंड

डोईवाला : नगर पालिका की बोर्ड बैठक में 53 प्रस्तावों पर हुई चर्चा

November 13, 2025
3
उत्तराखंड

महिला विश्व कप विजेता क्रिकेटर स्नेह राणा ने की मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी से शिष्टाचार भेंट

November 12, 2025
5
उत्तराखंड

उत्तराखंड कैबिनेट ने लिए महत्वपूर्ण निर्णय

November 12, 2025
14
उत्तराखंड

वायु प्रदूषण मानव जीवन के लिए सबसे बड़ा वैश्विक खतरा

November 12, 2025
7

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Popular Stories

  • चार जिलों के जिलाधिकारी बदले गए

    67500 shares
    Share 27000 Tweet 16875
  • डोईवाला : पुलिस,पीएसी व आईआरबी के जवानों का आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण सम्पन्न

    45757 shares
    Share 18303 Tweet 11439
  • ऑपरेशन कामधेनु को सफल बनाये हेतु जनपद के अन्य विभागों से मांगा गया सहयोग

    38032 shares
    Share 15213 Tweet 9508
  •  ढहते घर, गिरती दीवारें, दिलों में खौफ… जोशीमठ ही नहीं

    37426 shares
    Share 14970 Tweet 9357
  • विकासखंड देवाल क्षेत्र की होनहार छात्रा ज्योति बिष्ट ने किया उत्तराखंड का नाम रोशन

    37305 shares
    Share 14922 Tweet 9326

Stay Connected

संपादक- शंकर सिंह भाटिया

पता- ग्राम एवं पोस्ट आफिस- नागल ज्वालापुर, डोईवाला, जनपद-देहरादून, पिन-248140

फ़ोन- 9837887384

ईमेल- shankar.bhatia25@gmail.com

 

Uttarakhand Samachar

उत्तराखंड समाचार डाॅट काम वेबसाइड 2015 से खासकर हिमालय क्षेत्र के समाचारों, सरोकारों को समर्पित एक समाचार पोर्टल है। इस पोर्टल के माध्यम से हम मध्य हिमालय क्षेत्र के गांवों, गाड़, गधेरों, शहरों, कस्बों और पर्यावरण की खबरों पर फोकस करते हैं। हमारी कोशिश है कि आपको इस वंचित क्षेत्र की छिपी हुई सूचनाएं पहुंचा सकें।
संपादक

Browse by Category

  • Bitcoin News
  • Education
  • अल्मोड़ा
  • अवर्गीकृत
  • उत्तरकाशी
  • उत्तराखंड
  • उधमसिंह नगर
  • ऋषिकेश
  • कालसी
  • केदारनाथ
  • कोटद्वार
  • क्राइम
  • खेल
  • चकराता
  • चमोली
  • चम्पावत
  • जॉब
  • जोशीमठ
  • जौनसार
  • टिहरी
  • डोईवाला
  • दुनिया
  • देहरादून
  • नैनीताल
  • पर्यटन
  • पिथौरागढ़
  • पौड़ी गढ़वाल
  • बद्रीनाथ
  • बागेश्वर
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • रुद्रप्रयाग
  • रुद्रप्रयाग
  • विकासनगर
  • वीडियो
  • संपादकीय
  • संस्कृति
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • साहिया
  • हरिद्वार
  • हेल्थ

Recent News

गणेश गोदियाल को कांग्रेस पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाएं जाने पर देवाल के कांग्रेसियों ने जमकर आतिशबाजी करते हुए मिठाईयां बांटी

November 13, 2025

कोटद्वार पुलिस ने आमजन में सुरक्षा व विश्वास का भरोसा प्रबल करने हेतु निकाला फ्लैग मार्च

November 13, 2025
  • About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.

No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.