• About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact
Uttarakhand Samachar
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
Uttarakhand Samachar

प्लास्टिक के कचरे से बनीं अनोखी वस्तुएं

05/04/25
in उत्तराखंड, देहरादून
Reading Time: 1min read
0
SHARES
18
VIEWS
Share on FacebookShare on WhatsAppShare on Twitter

डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
कूड़े का बड़ा हिस्सा प्लास्टिक का है, जो अति सूक्ष्म रूम में हमारे समूचे तंत्र की रक्त शिराओं से लेकर सांस तक के लिए संकट बन चुका है. विशाखापत्तनम से बस्तर को जाने वाले रास्ते पर एक छोटा-सा कस्बा है कोरापुट. चारों तरफ पहाड़ और हरियाली है. जैसे ही बसाहट समाप्त होती है, ऊंचाई का घाट आता है और दोनों तरफ दूर-दूर तक प्लास्टिक की पन्नियां, पानी की बोतलें और नमकीन-चिप्स के पैकेट उड़ते दिखते हैं. जाहिर है कि जब वहां बरसात होती है, तब इन सभी से उपजा जहर धीरे-धीरे जमीन, खेत में जज्ब होता है, जो अंत में इंसान की जीवन रेखा घटा देता है. कोरापुट तो बानगी है, हर जगह हरियाली से दमकते मैदान, पहाड़ धीरे-धीरे प्लास्टिक कचरे से भरते जा रहे हैं. दिल्ली में तो शीर्ष अदालत कुछ निदान निकलवा देगी, पर उससे कुछ दूर मोदीनगर या पलवल में ऐसा तंत्र नहीं, जो इसकी परवाह करे.बेशक स्वच्छता अभियान से शौचालय और कचरे के बारे में लोग जागरूक हुए, पर हम पाते हैं कि एक तो घर का कचरा निकाल कर बाहर कर दिया, दूसरा हम कोई ऐसी व्यवस्था विकसित नहीं कर पाये, जिससे कचरा कम हो और इसका निपटान कारगर हो. जनवरी, 2019 में केंद्र ने सिंगल-यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाया, फिर भी देश में 41.36 लाख टन प्लास्टिक कचरा सालाना पैदा हो रहा है. पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री ने लोकसभा में बताया कि प्लास्टिक कचरे का उत्पादन लगातार बढ़ रहा है. वर्ष 2018-19 में यह 33.6 लाख टन था, जो 2019-20 में 34.69 लाख टन, 2020-21 में 41.26 लाख टन, 2021-22 में 39.01 लाख टन व 2022-23 में 41.36 लाख टन हो गया.संसद को यह भी बताया गया कि देशभर में प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन इकाइयों (पीडब्लूएमयू) की मात्र 978 इकाइयां है. तमिलनाडु में सर्वाधिक 326, आंध्र प्रदेश में 139, बिहार में 102, उत्तर प्रदेश में 68, पश्चिम बंगाल और उत्तराखंड में 51-51, केरल में 48, जम्मू-कश्मीर में 43 और तेलंगाना व हिमाचल प्रदेश में 29-29 इकाइयां हैं. जबकि स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के दूसरे चरण में प्रावधान है कि प्रत्येक ब्लॉक में पीडब्लूएमयू स्थापित की जाए. प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के अंतर्गत प्लास्टिक कचरे के संग्रहण व परिवहन के लिए स्थानीय निकायें और ग्राम पंचायतें अधिकृत हैं, पर उनके पास न तो कर्मचारी हैं, न ही बजट. सो छोटे कस्बे की बात छोड़ें, नगर निगम स्तर पर भी कुछ काम हो नहीं पाया.कुछ वर्ष पहले केरल के कन्नूर जिले को प्लास्टिक कचरे से मुक्त बनाया गया था. सिक्किम के पर्यटन ग्राम लाचेन में भी पर्यटकों को ग्रामीण पानी की बोतल या प्लास्टिक कचरा लाने नहीं देते. प्लास्टिक उत्पादन कच्चे तेल, गैस या कोयले से होता है और कुल प्लास्टिक का करीब 40 फीसदी एक बार इस्तेमाल कर फेंक दिया जाता है. पानी की बोतल, खाद्य उत्पादों के रैपर, पॉलिथीन बैग हमारे पास कुछ घंटों के लिए रहते हैं, फिर सैकड़ों वर्षों तक पर्यावरण में डेरा डाल लेते हैं. ये समुद्र, सूर्य की किरण, हवा और लहरों के संपर्क में आकर एक इंच के पांचवें हिस्से से भी छोटे टुकड़ों में टूट जाते हैं, फिर यही माइक्रोप्लास्टिक कण हमारे फेफड़ों से लेकर मछली, फल-सब्जी में घुल-मिल रहे हैं. महीन टुकड़ों में विखंडित होकर यह ‘प्लास्टिक माइक्रोफाइबर’ बनाता है, जो जल और हवा के जरिये हमें कैंसर जैसी बीमारी दे जाता है. सच यह है कि प्लास्टिक कचरे का संपूर्ण निपटान संभव नहीं हैं, लेकिन समाज इसका प्रचलन कम कर सकता है.पहले स्याही वाली कलम होती थी, फिर ऐसे बाल-पेन आये, जिनकी केवल रिफिल बदलती थी. आज यूज एंड थ्रो कलम का चलन है. तीन दशक पहले एक व्यक्ति साल भर में बमुश्किल एक कलम खरीदता था. आज हर आदमी साल में औसतन एक दर्जन कलम इस्तेमाल करता है. शेविंग-किट में पहले स्टील या पीतल का रेजर होता था, जिसमें केवल ब्लेड बदले जाते थे. आज ‘यूज एंड थ्रो’ रेजर ही बाजार में मिलते हैं. कुछ साल पहले तक दूध भी कांच की बोतलों में आता था या लोग अपने बर्तन लेकर डेयरी जाते थे. आज पानी भी बोतलों में मिल रहा है. अनुमानत: पूरे देश में रोज चार करोड़ दूध की थैलियां और दो करोड़ पानी की बोतलें कूड़े में फेंकी जाती हैं. डिस्पोजेबल बरतनों, पॉलीथिन की थैलियों का प्रचलन, पैकिंग, अनेक तरीकों से हम कूड़ा बढ़ा रहे हैं. कानूनन बड़ी कंपनियों को अपने उत्पादों की पैकेजिंग में इस्तेमाल प्लास्टिक का त्वरित निपटारा करना होता है, खेल सिर्फ पदक जीतने का जरिया नहीं बल्कि सामाजिक बदलाव का भी माध्यम बन चुके हैं. उत्तराखंड के खेल विभाग ने इस सोच को साकार करते हुए एक बेहद अनोखी और प्रेरणादायक पहल की है. 38वें राष्ट्रीय खेलों के दौरान और उससे पहले इकट्ठा की गई री-सायकल प्लास्टिक बोतलों से अब ऐसी इको-फ्रेंडली बेंच तैयार की गई हैं, जिन्हें देहरादून के महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज में लगाया गया है. इस तरह ‘ग्रीन गेम्स’ की थीम को हकीकत में तब्दील किया गया है. दरअसल उत्तराखंड सरकार ने 38वें नेशनल गेम्स को ‘ग्रीन गेम्स’ की थीम पर आयोजित करने का ऐलान किया था. इसी दिशा में यह बेंच परियोजना न केवल अभिनव है बल्कि पर्यावरण संरक्षण के प्रति राज्य की गंभीरता को भी दर्शाती है.इन बेंचों का उद्घाटन उत्तराखंड की खेल मंत्री द्वारा किया गया. उन्होंने कहा कि हमने खिलाड़ियों और दर्शकों द्वारा इस्तेमाल की गई बोतलों को इकट्ठा कर उन्हें उपयोगी बेंचों में बदला है. यह सिर्फ एक बेंच नहीं बल्कि यह बताता है कि हर कचरे में भी एक संभावना छिपी होती है.इस पहल के तहत कुल 9 लाख प्लास्टिक बोतलें इकट्ठा की गईं, जिनमें से 6 लाख बोतलें गेम्स से पहले और 3 लाख इवेंट के दौरान जुटाई गईं. इनमें से एक लाख बोतलों को 11 स्थानों से अलग किया गया और एक कंपनी ने इन्हें री-सायकल कर बेंचों का रूप दिया. गौरतलब है कि इस साल 28 जनवरी से 14 फरवरी तक उत्तराखंड में नेशनल गेम्स का आयोजन हुआ था, जिसमें देशभर से आए 9545 खिलाड़ियों में प्रतिभाग किया था. वहीं अन्य स्टॉफ की बात करें तो वे तकरीबन 17 हजार से ज्यादा थे. देहरादून में आयोजित 38वें राष्ट्रीय खेलों के दौरान, इस्तेमाल की गई तीन लाख खाली प्लास्टिक पानी की बोतलों को इकट्ठा करके उन्हें रीसायकल किया गया। इस प्रक्रिया से 30 बेंचें बनाई गईं, जो खेल परिसर में स्थापित की गई हैं। यह पहल ‘ग्रीन गेम्स’ की थीम के तहत की गई, जिसका उद्देश्य खेल आयोजनों को पर्यावरण के प्रति अधिक जिम्मेदार बनाना है।पर शायद ही यह हो रहा है. पानी की छोटी बोतलों पर रोक के लिए प्रधानमंत्री के निर्देश का सही तरीके से पालन हुआ. जाहिर है, प्लास्टिक कचरे के निपटान के लिए समाज को जागरूक होना पड़ेगाहमारे भविष्य की योजनाएं अपने प्रभाव क्षेत्र में विस्तार के साथ सस्टेनेबिलिटी को प्रोत्साहित करने की हैं। हमारी योजना अन्य तरह के कचरों की भी रिसाइक्लिंग के क्षेत्र में जाने की है। इसके अलावा हम नएपर्यावरण अनुकूल उत्पादों को शुरू करने की योजना बना रहे हैं, जिससे कि सदाजीवी विकल्पों को अधिक सुलभ और आकर्षक बनाया जा सके। हम एक ऐसा भविष्य बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जहां सदाजीविता सबसे महत्वपूर्ण हो, और जो दूसरों को एक स्वस्थ और अधिक सदाजीवी दुनिया के निर्माण के लिए प्रेरित कर सके। लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं। *लेखक वर्तमान में दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं।*

ShareSendTweet
http://uttarakhandsamachar.com/wp-content/uploads/2025/02/Video-National-Games-2025-1.mp4
Previous Post

मां अगनेरी मंदिर है श्रद्धालुओं के अटूट श्रद्धा का केंद्र

Next Post

विभागों द्वारा माह दिसम्बर तक बजट का 80 प्रतिशत तक खर्च किया जाए- मुख्यमंत्री

Related Posts

उत्तराखंड

नारद जयंती: नारद, जिन्हें पहला पत्रकार माना जाता है

May 14, 2025
17
उत्तराखंड

बीकेटीसी अध्यक्ष हेमन्त द्विवेदी बदरीनाथ पहुंचे, दर्शन पूजा-अर्चना की, यात्रा व्यवस्थाओंं को देखा

May 14, 2025
47
उत्तराखंड

हरित चारधाम यात्रा की तैयारी प्लास्टिक पर रोक

May 14, 2025
8
उत्तराखंड

नयार नदी अध्ययन यात्रा दल के सदस्यों ने दी दून पुस्तकालय में प्रस्तुति

May 14, 2025
10
उत्तराखंड

केदारनाथ यात्रा के लिए हेलीकॉप्टर बुकिंग के नाम पर ठगी

May 13, 2025
16
उत्तराखंड

अनफ़िल्टर्ड : द लिटिल थिंग्स पर दून पुस्तकालय में हुई चर्चा

May 13, 2025
10

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Popular Stories

  • चार जिलों के जिलाधिकारी बदले गए

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • डोईवाला : पुलिस,पीएसी व आईआरबी के जवानों का आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण सम्पन्न

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • ऑपरेशन कामधेनु को सफल बनाये हेतु जनपद के अन्य विभागों से मांगा गया सहयोग

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  •  ढहते घर, गिरती दीवारें, दिलों में खौफ… जोशीमठ ही नहीं

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • विकासखंड देवाल क्षेत्र की होनहार छात्रा ज्योति बिष्ट ने किया उत्तराखंड का नाम रोशन

    0 shares
    Share 0 Tweet 0

Stay Connected

संपादक- शंकर सिंह भाटिया

पता- ग्राम एवं पोस्ट आफिस- नागल ज्वालापुर, डोईवाला, जनपद-देहरादून, पिन-248140

फ़ोन- 9837887384

ईमेल- shankar.bhatia25@gmail.com

 

Uttarakhand Samachar

उत्तराखंड समाचार डाॅट काम वेबसाइड 2015 से खासकर हिमालय क्षेत्र के समाचारों, सरोकारों को समर्पित एक समाचार पोर्टल है। इस पोर्टल के माध्यम से हम मध्य हिमालय क्षेत्र के गांवों, गाड़, गधेरों, शहरों, कस्बों और पर्यावरण की खबरों पर फोकस करते हैं। हमारी कोशिश है कि आपको इस वंचित क्षेत्र की छिपी हुई सूचनाएं पहुंचा सकें।
संपादक

Browse by Category

  • Bitcoin News
  • Education
  • अल्मोड़ा
  • अवर्गीकृत
  • उत्तरकाशी
  • उत्तराखंड
  • उधमसिंह नगर
  • केदारनाथ
  • कोटद्वार
  • क्राइम
  • खेल
  • चकराता
  • चमोली
  • चम्पावत
  • जॉब
  • जोशीमठ
  • जौनसार
  • टिहरी
  • डोईवाला
  • दुनिया
  • देहरादून
  • नैनीताल
  • पर्यटन
  • पिथौरागढ़
  • पौड़ी गढ़वाल
  • बद्रीनाथ
  • बागेश्वर
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • रुद्रप्रयाग
  • रुद्रप्रयाग
  • विकासनगर
  • वीडियो
  • संपादकीय
  • संस्कृति
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • साहिया
  • हरिद्वार
  • हेल्थ

Recent News

नारद जयंती: नारद, जिन्हें पहला पत्रकार माना जाता है

May 14, 2025

बीकेटीसी अध्यक्ष हेमन्त द्विवेदी बदरीनाथ पहुंचे, दर्शन पूजा-अर्चना की, यात्रा व्यवस्थाओंं को देखा

May 14, 2025
  • About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.

No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.