डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
विश्व प्रसिद्ध धार्मिक स्थल मां मनसा देवी मंदिर के मार्ग पर हुए हादसे में मरने वालों की संख्या बढ़कर 8 हो गई है. जबकि 30 घायलों का उपचार जारी है. बिहार के मैथिल क्षेत्र, भागलपुर, मधुबनी में सावन के दौरान मनसा देवी की पूजा होती है, इसके अलावा बंगाल और असम में भी मनसा देवी की कई कथाएं मशहूर हैं। नागपंचमी पर इन राज्यों में खास पूजा भी होती है। मनसा देवी को सांपों की देवी के रूप में भी पूजते हैं। इस हादसे ने व्यवस्था, जिम्मेदारी पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए लापरवाही पर सवाल खड़े किए हैं. दूसरी तरफ एक पहलू ये भी है कि जिस धार्मिक स्थल पर हर दिन रोजाना श्रद्धालु पहुंच रहे हैं, उस स्थान पर सफाई की क्या व्यवस्था है. कैमरे में कुछ ऐसी तस्वीरें कैद हुई हैं जिसमें मनसा देवी के पहाड़ पर कूड़े का अंबार लगा हुआ है. इसको लेकर जिम्मेदारों पर सवाल खड़े होते हैं.स्थानीय लोगों की मानें तो ये कूड़े का अंबार कांवड़ मेले से शुरू होने के पहले यानी 11 जुलाई के पहले से लगा हुआ है. जब इस विषय पर मां मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी से सवाल किया गया को उन्होंने बताया कि हमारे पास मंदिर परिसर की जिम्मेदारी है. वहां पर हमारे द्वारा पूरी तरह सफाई रखी जाती है. समय-समय पर हमारे द्वारा पूरे मंदिर परिसर की सफाई की जाती है. मनसा देवी मंदिर परिसर राजाजी नेशनल पार्क के अंतर्गत आता है. ऐसे में जब राजाजी नेशनल पार्क के रेंजर बी तिवारी से मनसा देवी के पहाड़ पर लगे कूड़े के अंबार पर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि हमारे द्वारा समय-समय पर ड्राइव चलाई जाती है. जिसमें पहाड़ पर श्रद्धालुओं द्वारा फैलाए गए कूड़े को साफ किया जाता है. उन्होंने बताया कि हम कम संसाधनों और कम मैन पॉवर के बावजूद भी कोशिश करते हैं कि यह ड्राइव लगातार चलती रहे. जिसमें हम नगर निगम का भी सहयोग लेते हैं. हालांकि, इस मामले पर जब स्थानीय लोगों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि यह कूड़ा श्रद्धालुओं से ज्यादा मनसा देवी के पास लगाई गई फलों की दुकान वालों के द्वारा किया जाता है. श्रद्धालु इतना कूड़ा मनसा देवी पर नहीं करते. लेकिन यह लोग अपनी सुविधा के लिए कूड़े को पहाड़ पर ही फेंक देते हैं. यह कूड़ा मंदिर में चढ़ाए जाने वाले प्रसाद का भी है. इसके अलावा काफी मात्रा में पॉलिथीन भी पड़ी हुई है. कई किलोमीटर तक के दायरे में कूड़े के ढेर देखे जा सकते हैं. सालों से यहां पर कोई सफाई नहीं हुई. ऊपरी तौर पर सफाई हो भी जाए तो कूड़ा इस हद तक नीचे आ गया है कि वहां पर इंसानों का पहुंचना बेहद मुश्किल है. पैदल रास्ते हो या सीढ़ी पैदल मार्ग दोनों तरफ दुकानों के पीछे लोगों ने डिस्पोजेबल कूड़ा फेंका हुआ है. इससे जंगल का वातावरण भी दूषित हो रहा है. जिस बिल्व पर्वत पर मनसा देवी का मंदिर स्थित है, उसके आस-पास हाथी, गुलदार, सांभर और अन्य जीव जंतु मौजूद हैं. कई बार जानवरों को कूड़े के देर के पास भी देखा जाता है. सवाल यह खड़ा होता है कि आखिरकार वन विभाग के अधिकारी कर्मचारी इस मार्ग पर रोजाना गश्त पर रहते हैं. मंदिर से जुड़े हुए लोग रहते हैं. लेकिन फिर भी कूड़े के ढेर को हटाने की कार्रवाई नहीं की जा रही है. मनसा देवी मंदिर के मार्ग पर भगदड़ मची थी. प्रशासन के बयानों के मुताबिक, भगदड़ का कारण मार्ग पर करंट फैलने की अफवाह बताई गई. इस भगदड़ में 8 लोगों की मौत और 30 लोग घायल हो गए. हादसे की चपेट में बच्चे भी आए. आलम ये था मार्ग पर खड़ी हजारों की संख्या में भीड़ खुद को बचाने के लिए एक दूसरे के ऊपर गिर गए. हरिद्वार आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या कम होती थी, लेकिन जैसे-जैसे समय बदल रहा है. वैसे हरिद्वार आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती जा रही है. हरिद्वार में श्रद्धालु मां मनसा देवी, मां चंडी देवी और मां गंगा के दर्शन और पूजा पाठ करने के लिए आते हैं. जैसे श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ रही है वैसे ही रास्तों का चौड़ीकरण होना बेहद जरूरी है जिससे भविष्य में ऐसी घटना की पुनरावृत्ति ना हो. मनसा देवी मंदिर मार्ग पर रविवार को हुए हादसे के बाद भी आस्था की डगर कमजोर नहीं पड़ी। मनसा देवी मंदिर में भीड़ लगातार ही उमड़ रही है। रोपवे से अधिक पैदल मार्ग पर श्रद्धालुओं की भीड़ है। आज जगह जगह पुलिस कर्मचारी भी मुस्तैद नजर आ रहे हैं। भगदड़ की असली वजह अभी जांच के अधीन है, लेकिन फिलहाल माना जा रहा है कि यह सब करंट की अफवाह के चलते हुआ. *लेखक विज्ञान व तकनीकी विषयों के जानकार दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं।*