विधायक निधिः इसी पैसे से कार्यकर्ताओं को दिए जाते हैं छोटे.छोटे काम
यही लोग चुनाव में करते हैं विधायक और पार्टी की मदद
पूरी राशि की होती कटौती तो चुनाव में हो जाता नुकसान
न्यूज वेट ब्यूरो
देहरादून। भले की केंद्र सरकार ने सांसद की पूरी निधि दो साल तक स्थगित कर दी है। लेकिन सूबे की सरकार ने विधायकों की सालाना निधि 3.75 करोड़ में महज एक-एक करोड़ की कटौती दो साल तक करने का फैसला किया है। माना जा रहा है कि अपनों की नाराजगी के डर से ही राज्य सरकार के कदम केंद्र की तर्ज पर चलने से ठिठक गए।
उत्तराखंड में एक विधायक को सालाना पौने चार करोड़ की रकम दी जाती है। इससे विधायक अपने क्षेत्र में विकास कार्य करवाते हैं। सामान्य तौर पर इस राशि छोटे-छोटे काम ही करवाए जाते हैं। इनका ठेका भी स्थानीय लोगों को ही मिलता है। इनमें विधायक के खास तो होते ही हैं, तमाम पार्टी कार्य़कर्ता भी इसी फंड से काम करके कमाई करते हैं। यही लोग चुनाव के वक्त पार्टी और विधायक की हर तरह से मदद भी करते हैं। अगर इन लोगों को काम नहीं मिलेगा तो इनमें नाराजगी पैदा हो सकती है। ऐसे में चुनाव के वक्त विधायक और पार्टी को नुकसान भी हो सकता है।
शायद यही वजह रही कि राज्य सरकार ने केंद्र की तर्ज पर पूरी निधि को कोरोना फंड में स्थानांतरित करने से परहेज किया। वैसे भी चुनाव में अब पौने दो साल का ही वक्त रह गया है। कोरोना संकट से निपटने के बाद सरकार भी चुनावी मोड में आ ही जाएगी। अगर विधायक निधि का पूरा पैसा काट लिया जाता तो भाजपा को आने वाले चुनाव में परेशानी का सामना करना पड़ सकता था। इसी के मद्देनजर राज्य सरकार के कदम केंद्र की राह पर चलने से ठिठक गए। अब विधायकों के पास पौने तीन करोड़ की राशि तो है, जिससे काफी लोगों को संतुष्ट किया जा सकता है।