रिपोर्ट:प्रकाश कपरुवाण।
जोशीमठ। पूर्व कैबिनेट मंत्री मोहन सिंह रावत गावंवासी का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया,उनका निधन राज्य के लिए अपूरणीय क्षति तो है ही लेकिन हिमालयी राज्य उत्तराखंड के विकास व स्वरोजगार के लिए उनकी दूरदृष्टि हमेशा याद की जाएगी।”सीमा दर्शन यात्रा” इनमे से एक होगी जो हमेशा उनकी यादों के साथ जुड़ी रहेगी।मोहन सिंह रावत गावंवासी का जीवन हिमालय के अनछुए पर्यटन, ट्रैकिंग व धार्मिक स्थलों तक पहुंचकर उन्हें देश- दुनिया के सामने रखने मे ही ब्यतीत हो गया, हिमालयी राज्य उत्तराखंड के दूरस्थ क्षेत्रों मे अवस्थित पौराणिक महत्व के मंदिरों,पर्यटक स्थलों,व ताल-सरोवरों तक कठिन से कठिन चढ़ाई पार कर पहुंचना मानो उनके जीवन का मकसद बन गया था।श्री बद्रीनाथ धाम से देश की अंतरराष्ट्रीय सीमा माना पास-देवताल की यात्रा को “सीमा दर्शन यात्रा”शुरू कर उन्होंने राज्य के युवाओं को स्वरोजगार का एक नया जरिया प्रस्तुत किया है,भविष्य मे जब सीमा दर्शन यात्रा मूर्तरूप लेगी और देश- दुनिया के लोग श्री बद्रीनाथ दर्शनों के बाद सीमा दर्शन के लिए भी पहुंचेंगे तो इस यात्रा के साथ दिवंगत कर्मयोगी मोहन सिंह रावत गांववासी को भी याद किया जाता रहेगा।उत्तराखंड राज्य बनने के बाद वनमंत्री रहते हुए उन्होंने मलारी”चमोली”से मिलम”पिथौरागढ़”का ट्रैकिंग अभियान किया था, और आज चमोली की सीमा से पिथौरागढ़ की सीमा को जोड़ने के लिए सड़क मार्ग का निर्माण द्रुत गति से चल रहा है, जो आने वाले दिनों मे साहसिक पर्यटन के माध्यम से राज्य के युवाओं को रोजगार के नए अवसर प्रदान करेगा। गांववासी के नेतृत्व एवं श्री बद्रीनाथ धाम के धर्माधिकारी आचार्य भुवन चन्द्र उनियाल के मार्गदर्शन मे वर्ष 2015 से शुरू हुई “सीमा दर्शन यात्रा”अनवरत जारी है, और गत वर्ष ही धर्माधिकारी श्री उनियाल के प्रयासों से देवताल के समीप ही दक्षिण मुखी श्री हनुमान जी की मूर्ति स्थापना भी की जा चुकी है।इस वर्ष स्वास्थ्य खराब होने के कारण गांववासी जी तो सीमा दर्शन यात्रा मे सम्मलित नहीं हो सके उनकी गैरमौजूदगी मे न केवल यात्रा संचालित हुई बल्कि माना पास- देवताल से माउंटेन बाइक रैली का आयोजन भी किया गया।अंतरराष्ट्रीय सीमा माना पास पर स्थित “देवताल”का वर्णन पुराणों मे भी मिलता है, आचार्य सुधाकर उनियाल के अनुसार हरिवंश पुराण मे भगवान श्रीकृष्ण की देवताल मे तपस्या व इसी मार्ग से कैलाश मानसरोवर यात्रा का वर्णन मिलता है, जबकि आनन्द रामायण मे भगवान श्री राम द्वारा रावण वध के उपरांत देवताल मार्ग से मानसरोवर यात्रा का उल्लेख किया गया है।वर्ष 1962- भारत-चीन युद्घ के बाद बन्द हुआ माना पास-देवताल मार्ग दिवंगत मोहन सिंह रावत गांववासी की दूरदृष्टि व प्रेरणा से वर्ष 2015 मे “सीमा दर्शन यात्रा” के नाम से पुनः शुरू हो सका।उम्मीद की जानी चाहिए कि दिवंगत पूर्व मंत्री श्री गांववासी की प्रेरणा से शुरू हुई यह सीमा दर्शन यात्रा न केवल प्रतिवर्ष संचालित होती रहेगी बल्कि उत्तराखंड के इस छोर से भी कैलाश मानसरोवर यात्रा का मार्ग प्रशस्त हो सकेगा।