देहरादून: उत्तराखंड की राजधानी देहरादून को स्मार्ट सिटी की सूची में शामिल किया गया है. पिछले 5 साल से भी ज्यादा समय से स्मार्ट सिटी का कार्य चल रहा है. देहरादून स्मार्ट सिटी का कार्य अक्सर विवादों में रहा है. कामों में गंभीर अनियमितता के सवाल कोई और नहीं बल्कि सरकार के ही विधायक और मंत्री लगा चुके हैं. खुद शहरी विकास मंत्री कई बार स्मार्ट सिटी का काम कर रहे अधिकारियों पर बरसते हुए दिखाई दिए हैं. हैरानी की बात यह है कि देहरादून में सैकड़ों करोड़ों रुपए के बजट से आगे बढ़ रही ये योजना प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल है. इसके बावजूद इतने विवाद सिस्टम की लापरवाही को बयां करते दिखाई देते हैं.देहरादून में स्मार्ट सिटी परियोजना के माध्यम से अब कोई नया काम नहीं हो सकेगा। सिटीज 2.0 प्रोजेक्ट के लिए देशभर में 18 शहरों का चयन होना था, इसमें देहरादून शामिल नहीं हो पाया। इससे स्मार्ट सिटी को दोहरा झटका लगा है। प्रोजेक्ट के विस्तार की संभावनाएं तो शून्य हो ही गई हैं, सिटीज 2.0 से कचरा निस्तारण के लिए मिलने वाले 119 करोड़ रुपये भी दून को नहीं मिलेंगे। अब स्मार्ट सिटी अपने पहले से चल रहे अधूरे कार्यों को ही पूरा करेगा। अब सरकार के सामने बड़ा सवाल होगा कि क्या राज्य की राजधानी आधी-अधूरी ही स्मार्ट रहेगी? केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने सिटीज 1.0 में देश के 12 शहरों को चुना था। इसमें देहरादून भी शामिल था। इस परियोजना के तहत दून में ग्रीन कॉरिडोर, स्मार्ट स्कूल प्रोजेक्ट संचालित किए गए थे। स्कूलों के आसपास का क्षेत्र स्मार्ट बनाया गया था। वर्ष 2023 के अंत में मंत्रालय ने सिटीज 2.0 प्रोजेक्ट लांच किया। इसमें चयनित शहरों को ग्रीन सिटी बनाया जाना था। दून स्मार्ट सिटी लि. ने भी सिटीज 2.0 के लिए आवेदन किया था। स्मार्ट सिटी के सभी प्रोजेक्टों की समय सीमा पूरी होने के कारण यह प्रोजेक्ट स्मार्ट सिटी के लिए बेहद अहम था। अगर दून प्रोजेक्ट में शामिल होता, तो इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए 2027 तक स्मार्ट सिटी लि. को विस्तार भी मिल जाता। शहरी विकास मंत्रालय ने प्रोजेक्ट की समय सीमा 2027 तक बढ़ाने और केंद्र व राज्य सरकार को आधा-आधा खर्च करने संबंधी सहमति पत्र मांगा गया था। दोनों ही सहमति पत्र भेज दिए गए थे, लेकिन मंत्रालय की ओर से जारी सूची में देहरादून का नाम नहीं है। कचरा निस्तारण कर दून को ग्रीन सिटी बनाने के लिए 119 करोड़ का प्रस्ताव भेजा गया था। इस प्रोजेक्ट में वेस्ट मैनेजमेंट पर फोकस था। सिटीज 2.0 के लिए भेजे गए प्रस्ताव में कुल बजट 119 करोड़ रुपये तय किया गया था। कार्ययोजना के मुताबिक कूड़े की छंटाई के लिए 250 टन क्षमता का प्लांट लगाया जाना था। 100 टन क्षमता का प्लांट लगाकर प्रतिदिन गीले कचरे का निस्तारण करना था। गीले कूड़े से गोलियां बनाकर बायोगैस का उत्पादन करने की तैयारी थी। भवनों की तोड़फोड़ से निकलने वाले मलबे से टाइल्स और सीमेंट की ईंट बनाने का प्लांट लगाना प्रस्तावित था। अब यह कार्ययोजना फाइलों में रह गई। इस योजना में चयन का मुख्य आधार बेहतर अपशिष्ट प्रबंधन रखा गया था। इसमें दून पहले ही बहुत पीछे है। पिछले पांच सालों से कचरे का पहाड़ शीशमबाड़ा में खड़ा है। निगम के पास कूड़ा निस्तारण के लिए भरपूर बजट और तंत्र होने के बाद भी इस दिशा में लापरवाही का अंजाम स्मार्ट सिटी को भुगतना पड़ा। शहरी विकास मंत्रालय ने कूड़ा निस्तारण के लिए कोई नया प्रोजेक्ट दून में स्वीकार नहीं किया।देश के सौ शहरों ने सिटीज 2.0 परियोजना के लिए आवेदन किया था, इसमें देहरादून स्मार्ट सिटी भी शामिल था। 18 शहरों को चुना गया है। सिटीज 1.0 में दून को शामिल किया गया था, लेकिन इस बार दून स्मार्ट सिटी लिमिटेड शामिल नहीं हो सका।परियोजना के शेष कार्यों को पूरा कराया जा रहा है। जिलाधिकारी (डीएम) स्वयं ही निकल पड़ीं। सुबह दौरा शाम 04 बजे तक जारी रहा। इस दौरान उन्होंने रायपुर क्षेत्र के विधायक और धर्मपुर क्षेत्र के विधायक के साथ शहर के तमाम इलाकों का जायजा लिया। जिलाधिकारी ने शहर के प्रवेश स्थल आइएसबीटी के ताल-तलैया बनने और यहां मशीनरी के अब तक के सभी प्रयास असफल होने का आकलन किया। विधायकों के साथ लंबी चर्चा की गई और समाधान पर राय कायम की गई। दूसरी तरफ उत्तराखंड अर्बन सेक्टर डेवलपमेंट एजेंसी की हीलाहवाली पर भी डीएम का पारा चढ़ गया और उन्होंने अधिकारियों को खारीखोटी सुना डाली। यहीं कारण है कि सरकार और प्रशासन की तरफ से अधूरे पड़े तमाम विकास कार्य जून तक पूरा करने के निर्देश दिए है. दरअसल, बीते कई सालों से स्मार्ट सिटी परियोजना के विकास कार्यों के कारण देहरादून की जनता को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. बरसात के दिनों में शहर में जल भराव की समस्या आम बात हो गई है. इन्हीं तमाम मसलों को लेकर शहरी विकास मंत्री ने देहरादून में अधिकारियों के साथ बैठक की और उन्हें जरूरी दिशा-निर्देश दिए.मंत्री ने देहरादून में स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत क्रैच बिल्डिंग, पलटन बाजार में जल भराव, ई-बसों के संचालन, सहारनपुर चौक पर हो रहे ड्रेनेज कार्यों, सीसीटीवी कैमरे और सीवरेज कार्यों को तय समय पर पूरा करने को लेकर अधिकारियों को निर्देश दिए.साथ ही स्मार्ट सिटी परियोजना से जुड़े हुए कार्यों के प्रचार-प्रसार को लेकर तमाम स्थानों पर फ्लैक्सी बोर्ड लगवाने के भी अधिकारियों को निर्देश दिए. मंत्री अग्रवाल ने फूटपाथ पर वाहन पार्किंग आदि कब्जों के निराकरण के लिए बोलार्ड लगाये जाने की स्थिति और समय-समय पर अतिक्रमण किये गये स्थानों पर ड्राइव चलाने के लिए अधिकारियों को कहा.वहीं, चकराता रोड पर फीडर पिलर, डिवाइडर और सौन्दर्यीकरण के कार्यों की भी समीक्षा की. मंत्री ने स्मार्ट सिटी के तहत घरों में वाटर मीटर लगाये जाने, आराघर से मोथरोवाला तक के कार्यों की स्थिति पर चर्चा करते हुए निर्देश दिए कि जल्द से जल्द बचे हुए कार्यों को पूरा करे.वहीं, परेड ग्राउंड के चारों ओर 08 हाई मास्ट और 101 स्ट्रीट लाइट लगाये गये हैं. वहीं, शहरी विकास मंत्री ने कहा कि ग्रीन बिल्डिंग का कार्य नवंबर 2025 तक पूरा कर लिया जायेगा, जबकि बाकी बचे स्मार्ट सिटी परियोजना के काम जून महीने तक पूरा कर लिया जाएगा. साथ ही कहा कि अधिकारियों को निर्देश दिए गए है कि स्मार्ट सिटी के कार्यों की गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा जाए. इसके लिए अधिकारी समय-समय पर निर्माण कार्यों का निरीक्षण भी करते रहे. ईटीवी भारत ने देहरादून स्मार्ट सिटी के तहत हुए कामों में गड़बड़ी की शिकायतों की जांच से जुड़ी खबर प्रकाशित की थी. जिसका संज्ञान लेकर शहरी विकास निदेशालय ने देहरादून स्मार्ट सिटी के अधिकारियों को जांच करने के निर्देश जारी कर दिए हैं.बता दें कि भारत सरकार के शहरी विकास विभाग की ओर से उत्तराखंड को स्मार्ट सिटी के तहत हुए कामों में गड़बड़ी की शिकायतों को लेकर जांच करने के लिए कहा गया था. हैरानी की बात ये थी कि भारत सरकार के शहरी विकास विभाग ने इसको लेकर कई रिमाइंडर भी प्रदेश भेजे, लेकिन इसके बावजूद इन शिकायतों की जांच नहीं करवाई गई. जिस पर भारत सरकार के इन्हीं पत्रों और जांच को लेकर राज्य सरकार की उदासीनता पर ईटीवी भारत ने अपनी खबर प्रकाशित की थी. बीते 5 सालों से देहरादून में स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत काम चल रहा है, लेकिन अभी तक काम पूरी तरह से परवान नहीं चढ़ पाया है. अब मानसून की बौछार जारी है तो जलभराव से लेकर तमाम तरह की समस्याएं देखने को मिल रहा है. ऐसे में लगातार मिल रही ईटीवी भारत ने 'स्मार्ट सिटी के कामों की जांच का इंतजार, पीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट पर लापरवाह सिस्टम!' हेडलाइन से खबर प्रकाशित की थी. जिसमें ये कहा गया था कि कैसे भारत सरकार का शहरी विकास विभाग पत्र लिख रहा है, लेकिन इसके बावजूद मामले की निष्पक्ष जांच नहीं कराई जा रही है. अच्छी बात ये है कि अब उत्तराखंड के शहरी विकास विभाग ने इसका संज्ञान लेते हुए मामले की जांच के निर्देश दे दिए हैं.शहरी विकास विभाग के अपर निदेशक की तरफ से जारी निर्देश में स्मार्ट सिटी के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी को भारत सरकार के इन पत्रों का उल्लेख करते हुए मामले की जांच करने के लिए कहा गया है. इसमें भी स्पष्ट किया गया है कि इन जांचों को पूरा करने के बाद इससे संबंधित आख्या शासन और निदेशालय को भी उपलब्ध कराए जाएं. टीवी भारत ने इससे जुड़ी खबर प्रकाशित करते हुए शिकायत करने वाले बीजेपी के ही विधायक की बातों से भी अपने पाठकों और दर्शकों से रूबरू कराया था. जिसमें सीधे तौर पर कहा गया था कि स्मार्ट सिटी की ओर से कराए जा रहे कामों को न तो समय से पूरा किया जा रहा है और न ही इनकी गुणवत्ता का भी ध्यान रखा जा रहा है.शायद इसलिए भारत सरकार के शहरी विकास विभाग ने इन शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए राज्य को इस पर जांच के निर्देश दिए थे, लेकिन लंबा समय बीतने के बाद भी इस पर जांच नहीं हुई थी. ऐसे में ईटीवी भारत में इस खबर को प्रकाशित किया और अब मामले में जांच के निर्देश जारी किए गए हैं. उम्मीद है कि जल्द ही इस पर जांच पूरी कर ली जाएगी और स्मार्ट सिटी के कामों में गुणवत्ता को लेकर लग रहे आरोपों पर मौजूदा स्थिति को भी स्पष्ट कर दिया जाएगा. (इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं।)