रिपोर्ट हरेंद्र बिष्ट
थराली। करीब ढाई घंटों तक तीन जिन्दगियां बीच नदी के बीच इस कदर लटकी रही कि नदी के आरपार सैकड़ों लोग उन्हें देखते रहे लेकिन कुछ कर नही पाएं।
बाद में निर्माण खंड लोनिवि थराली के कर्मचारियों के पहुंचने पर किसी तरह से नदी के बीच फंसे लोगों को सुरक्षित नदी के किनारे निकाला जिससे पीड़ितों उनके परिजनों, आसपास खड़े लोगों ने राहत की सांस ली। दरअसल 2013 में उत्तराखंड में आई भारी दैवी आपदा के दौरान विकास खंड देवाल के अंतर्गत पिंडर नदी में निर्मित झूला पुल भी बह गया था। 2014 में लोनिवि थराली के द्वारा इस स्थान पर पहले मैनवल ट्राली एवं बाद में यहां पर इलैक्ट्रिकल ट्राली स्थापित की गई थी।जिसका लगातार बरसात में संचालन लोनिवि थराली के द्वारा किया जा रहा है।आज सुबह करीब 8 बजें ओड़र गांव से विरेन्द्र सिंह गड़िया, सुरेंद्र सिंह गड़िया एवं सुनील राम नदी के इस वार देवाल -खेता मोटर सड़क पर स्थित सिलिंगी गांव की ओर आने के लिए ट्राली में सवार हुए, पहले तो ट्राली ठीक ठाक आगे बढ़ी किंतु पिंडर नदी के बीचोंबीच में आ कर ट्राली अचानक रुक गई।लाख कोशिशों के बाद भी ट्राली हिली तक नही। ट्राली के नदी में अटकने की सूचना पर ट्राली में सवार युवकों की जहां जान पर बन आई वही उसके परिजनों को सूचना मिलते ही वें भी दौड़ें -दौड़े ट्राली स्थल पर पहुंचे।इस दौरान नदी के दोनों ओर भारी संख्या में लोगों का जमावड़ा हो गया।इसकी सूचना लोनिवि थराली को दी गई तो विभाग में भी हड़कंप मच गया अधिशासी अभियंता दिनेश मोहन गुप्ता के निर्देश पर आनन-फानन में विभाग का दल थराली से ओडर के लिए रवाना हुए सिलिंगी पहुंच कर कड़ी मशक्कत के साथ रस्सी को फंसी ट्राली में डाल कर किसी तरह उसे खीच कर करीब 10.30 बजे नदी के इस वार लाया गया। और तीनो फंसे युवाओं को सुरक्षित बाहर निकाला गया। लोनिवि थराली के सहायक अभियंता जेके टम्टा ने बताया कि ट्राली के फंसने की सूचना मिलते ही विभाग का दल को घटनास्थल पर भेज दिया गया। बताया कि ट्राली की गरारी स्लिप होने के कारण ट्राली अचानक रुक गई। मैकेनिक एवं पार्ट्स साइट पर भेज कर मरम्मत का कार्य शुरू कर दिया गया हैं। आज ही ट्राली की मरम्मत कर उसे शुरू कर दिया जाएगा। ओडर के क्षेत्र पंचायत सदस्य पान सिंह गड़िया ने बताया कि पिछले वर्षों भी ट्राली के अचानक नदी के बीच रूकने की कई बार घटनाएं हो चुकी है जिससे ओडर सहित अन्य गांवों के ग्रामीणों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता हैं। उन्होंने बताया कि ओडर गांव के लिए एक झूला पुल के निर्माण की स्वीकृति मिली है उसका तत्काल निर्णय करने पर ही ग्रामीणों को नदी में घंटों लटकें रहने की समस्या से निजात दिलाई जा सकती हैं।