हरेंद्र बिष्ट की रिपोर्ट।
थराली। पौड़ी जिले में कैबिनेट मंत्री ड.धन सिंह रावत के नाम से राज्य आंदोलनकारी के चिन्हीकरण के लिए आवेदन करने के मामले के प्रकाश में आने के बाद उत्तराखंड चिन्हित राज्य आंदोलनकारी पंजीकृत ने पूरे प्रदेश के सभी जिलों में चिन्हीकरण के मामलों की गंभीरता से जांच किए जाने की सरकार से मांगा की हैं। फर्जी जारी प्रमाण पत्रों को निरस्त किए जाने, राज्य आंदोलनकारियों को सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत क्षितिज आरक्षण के एक्ट पर हाईकोर्ट में ठोस पैरवी किए जाने एवं सीएम से मुलाकात का समय दिए जाने की मांग की हैं। विगत दिनों राज्य कैबिनेट मंत्री डॉ.धन सिंह रावत के नाम पर फर्जी दस्तावेजों के जरिए पौड़ी जिले से राज्य आंदोलनकारी के रूप में चिन्हीकरण के लिए आवेदन किए जाने का एक मामला सार्वजनिक हुआ हैं।जिस पर उत्तराखंड चिन्हित राज्य आंदोलनकारी समिति पंजीकृत के केंद्रीय अध्यक्ष भुपेंद्र सिंह रावत ने इस मामले को काफी अधिक गंभीर बताया है। उन्होंने पूरे राज्य में चिन्हीकरण की प्रक्रिया की गंभीरता से जांच करने की आवश्यकता जताते हुए सरकार से सभी प्राप्त आवेदनों की ठोस तरीके से जांच करने की मांग की हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौरान सक्रिय रहे सभी राज्य आंदोलनकारियों का चिन्हीकरण किया जाना चाहिए और फर्जी दस्तावेजों के बलबूते आंदोलनकारी घोषित करवाने वाले लोगों के खिलाफ कठोर कानून कार्रवाई की जानी चाहिए। केंद्रीय अध्यक्ष रावत ने राज्य आंदोलनकारियों को राज्य सरकार की सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत क्षितिज आरक्षण दिए जाने के एक्ट को हाईकोर्ट नैनीताल में चुनौती दिए जाने के मामले में राज्य सरकार से तत्काल कोर्ट में अपना जबाब दाखिल कर इस मामले में ठोस पैरवी करने की मुख्यमंत्री से मांग की । केंद्रीय अध्यक्ष ने बताया कि इसी माह 7-8 को हरिद्वार में आयोजित समिति के 25 वें सम्मेलन के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के ओएसडी ने 18 से 28 सितंबर के बीच समिति के पदाधिकारियों एवं सदस्यों से सीएम की भेंट करने की तिथि एवं समय समिति को देने का आश्वासन दिया था। किंतु आज तक भी समिति को तिथि व समय नही दी जा सकी हैं। जिससे आंदोलनकारियों में गहरा रोष पनपने लगा है। उन्होंने मुख्यमंत्री से तत्काल भेट के लिए तिथि एवं समय देने की मांग की हैं।