डोईवाला (प्रियांशु सक्सेना)। डोईवाला ब्लॉक के धार्मुचक गांव में उत्पादित जैविक हर्ब्स अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना रही है। स्थानीय किसान परमजीत सिंह काकू ने बताया जैविक हर्ब्स की मांग अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अधिक है। जैविक हर्ब्स के उत्पादन से अच्छी आय भी हो रही है। उन्होंने बताया जैविक खेती से पर्यावरण को स्वच्छ प्राकृतिक संतुलन को कायम रखते हुए भूमि, जल एवं वायु को प्रदूषित किये बिना दीर्घकालीन व स्थिर खेती एवं फसलों का उत्पादन किया जाता है। किसान परमजीत सिंह ने बताया वह पिछले 10 वर्षों से जैविक खेती कर रहे हैं। उनके द्वारा उत्पादित धनिया, पुदीना, अजमोद, सेज, डिल ऑरिगेनो, सेवरी, थाइम, बेसिल आदि जैविक हर्ब्स की मांग अन्य देशों में भी है। इन औषधीय व विदेशी हर्ब्स की खेती न केवल बेहतर आय अर्जित कर रही हैं बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान दे रहे हैं। जैविक खेती भूमि, जल और वायु को प्रदूषित किए बिना स्थिर और दीर्घकालीन उत्पादन का साधन है। किसान परमजीत सिंह ने बताया वह 20 बीघा भूमि पर इन हर्ब्स का उत्पादन कर रहे हैं। इन हर्ब्स की बुवाई अक्टूबर में होती है। फसल तीन महीने में तैयार हो जाती है, जिसकी सालभर में दो से तीन बार कटाई की जाती है और प्रति बीघा से 20-25 टन उत्पादन होता है। उन्होंने बताया यह फसल लालतप्पड़ स्थित फ्लेक्स फूड कंपनी में भेजी जाती है जहां प्रोसेसिंग के बाद इसे डेनमार्क और अन्य देशों में निर्यात किया जाता है। कंपनी किसानों को बीज और प्रशिक्षण उपलब्ध कराने के साथ-साथ फसल की खरीद भी करती है। जिसकी कीमत पहले से तय होती है। इससे किसानों को फसल का अच्छा मूल्य मिलने की गारंटी होती है। परमजीत का कहना है कि जैविक खेती न केवल स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है, बल्कि रसायन मुक्त भोजन का एक बेहतर विकल्प भी प्रदान करती है। धार्मुचक गांव के किसान अब इस मॉडल को अपनाकर आर्थिक रूप से सशक्त हो रहे हैं और जैविक खेती के जरिए पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं।