(लक्ष्मण सिंह नेगी) महाकुंभ का आगाज प्रयागराज में आज हो गया है पहले साही अमृत स्थान मंगलवार को बड़े धूमधाम से शुरू हुआ किंतु महाकुंभ का संबंध भगवान शंकर के पंचम केदार कल्पेश्वर (कल्प नाथ)से भी रहा है ऐसी मान्यता और केदार खंड स्कंद पुराण के(५२से५७) अध्याय में वर्णन मिलता है कि जब देवराज इंद्र की दुर्वासा के श्राप के कारण कांतिका लक्ष्मी और पूरा रथ श्राप के कारण टूट गया था और इंद्र का राज्य छीनन भिन्न हो गया उन्होंने दुर्वासा की दी हुई माल को अपने घोड़े के गले में डाल दिया था देवराज इंद्र को अत्यधिक घमंड हो गया था और जब दुर्वासा आश्रम की तरफ देवराज इंद्र स्वर्ग से आ रहे थे दुर्वासा ऋषि ने मेंनका नाम की अप्सरा को पुष्प माला बनाने के लिए कहा यह माल भगवान श्री फ्यूंला नारायण मंदिर के समीप से बनाई गई ऐसा वर्णन केदार खंड में मिलता है और वह पुष्पमाला इतनी सुंदर थी कि पुष्प पर भंवरे गुंजाई मान हो रही थे। जैसे ही दुर्वासा ने यह पुष्प माला इंद्र को दी उन्होंने अहंकार बस माला को अपने गले में उतारकर के घोड़े के गले में डाल दी और इसी से कुपित होकर दुर्वासा अत्यधिक क्रोधित हो गए और श्राप दे दिया और कहा कि तुम्हारी राज्यालक्ष्मी कांति का विनष्ट हो जाए। इस श्राप की मुक्ति के लिए देवराज इंद्र ने दुर्वासा से प्रार्थना की दुर्वासा ने कहा कि मेरा श्राप व्यर्थ नहीं जाएगा किंतु में शंकर का अंश हूं वही तुमको माफ कर सकते हैं। देवराज इंद्र कि राज्य लक्ष्मी कांति का विनष्ट हो गई और वह इंद्रकील पर्वत पर जाकर कीलित हो गये। जब देवताओं को मालूम चला कि इंद्र अपने राजपाठ से विमुख हो गया है देवताओं ने सबसे पहले भगवान विष्णु और ब्रह्मा की स्तुति की उन्होंने कहा कि इसके बारे में भगवान शंकर ही बता सकते हैं की इंद्र कहां छुपे हुए हैं वही देवता के द्वारा इंद्र की पर्वत पर इंद्र को मास्क के रूप में किलीत मिले और उन्हें कल्पेश्वर लाया गया उसके बाद श्री कल्पेश्वर धाम में भगवान शंकर की सभी देवताओं ने कई कल्पो तक तपस्या की और शंकर प्रकट हुई भगवान शंकर ने अपने त्रिनेत्र से जल दिया और कहा देवताओं इस जल को लेकर के समुद्र में जाकर समुद्र मंथन करो इसी से 14 रत्न की उत्पत्ति होगी जिसमें इंद्र का ऐरावत हाथी भी होगा और विष और अमृत भी होगा। अमृत पान करने से देवता लोग अमर हो जाएंगे। और आज से कल्पेश्वर यह स्थान मेरा कल्पना को साकार करने वाला स्थान माना जाएगा ऐसी मान्यताएं हैं।