रिपोर्ट हरेंद्र बिष्ट।
थराली। परंपराओं के अनुसार 12 वर्ष में आयोजित होने वाले हिमालयी महाकुंभ अर्थात श्री नंदा देवी राजजात यात्रा का 2026 में होना तय माना जा रहा है। परंतु करीब तीन सौ किलोमीटर से अधिक लंबे भूभाग से गुजरने वाली इस राजजात यात्रा के लिए शासन, प्रशासन स्तर पर अब तक भी कवायद शुरू नही हो पाई है। जिससे आयोजन को लेकर तमाम तरह के प्रश्न उठने लगे हैं।परंपराओं के अनुसार मुख्य रूप से चमोली जिले में आयोजित होने वाली श्री नंदा देवी राजजात यात्रा का आयोजन इलाहाबाद एवं हरिद्वार महाकुंभ की तर्ज पर ही पिछले दो बारिगियों से आयोजन किया जा रहा है और इस यात्रा में लाखों श्रद्धालुओं ने शिरकत भी की।12 वर्षों के लंबे समयांतराल में आयोजित होने वाली राजजात यात्रा के प्रति भारत में ही नही विश्वभर में आकृष्ण बढ़ रहा हैं। हालांकि पिछले तीन राजजात यात्राओं के इतिहास को देखा जाए तो यात्रा अपने 12 वर्षों के अंतराल की परंपराओं को किसी ना किसी वजह से तोड़ती रही हैं। 1987 में राजजात के आयोजन के बाद 1999 में आयोजन होना था, किंतु कारणवश नही हो सकी और यात्रा का आयोजन 2000 में हुआ इसके बाद यात्रा का आयोजन 2012 में होना था किन्तु 2012 मलमास होने के कारण नही हुआ। उसके बाद 2013 में राज्य भीषण देवी आपदा की चपेट में आ गया और यात्रा का आयोजन स्थगित किया गया और यात्रा 2014 में आयोजित हुई।2014 की राजजात के हिसाब से इस विश्व की सबसे लंबी पैदल धार्मिक यात्रा 2026 में प्रस्तावित हैं। हालांकि अभी तक आयोजन के संबंध में आयोजन कमेटी ने किसी भी तरह की जानकारी सार्वजनिक नही की हैं। अगर परंपरा अनुसार अगस्त-सितंबर 2026 में राजजात यात्रा का आयोजन होता है तो इस हिसाब से आयोजन के लिए मात्र 27 महिने ही शेष बचें हुए हैं। ऐसे में सरकार के द्वारा इस विश्व प्रसिद्ध आयोजन को बेहतरीन तरीके से आयोजन करने एवं सम्पन्न करने के लिए बड़े स्तर पर तैयारी करनी होगी। 2014 में सम्पन्न हुई राजजात यात्रा को बेहतरीन तरीके से संचालित करने एवं इस आयोजन को विश्व स्तरीय बनाने के लिए 2010 से ही सरकार ने कवायद शुरू कर दी थी। जिसका परिणाम रहा कि 2013 में भीषण आपदा के बावजूद यात्रा बेहतरीन रूप से संचालित हो सकी थी। किंतु इस बार अबतक कवायद शासन स्तर पर तो दूर रही जिला स्तर पर ही शुरू नही हो पाई है। सफल आयोजन के लिए यात्रा मार्ग जो कि 300 किमी से अधिक क्षेत्र में फैला है,में बेहतरीन मोटर सड़कों, पैदल मार्गों,23 से अधिक पड़ावों पर तमाम मूलभूत सुविधाओं को कायम करने, यात्रा मार्ग के मंदिरों की साज-सज्जा सहित तमाम अन्य व्यवस्थाओं को जुटाने में काफी लंबा समय लगना तय माना जा रहा है। श्री नंदा देवी राजजात यात्रा के अधिकांश पड़ाव थराली विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत नारायणबगड़, थराली,देवाल एवं नंदानगर में पड़ते हैं, इस क्षेत्र के मोटर सड़कों एवं पैदल मार्गों की स्थिति बेहद दयनीय बनी हुई हैं।इस संबंध में थराली के विधायक भूपाल राम टम्टा 2026 में संभावित राजजात यात्रा के प्रति बेहद संवेदनशील दिख रहे हैं। उन्होंने बताया कि आयोजन को लेकर वे पिछले वर्ष के अंतिम महिनों में जिलाधिकारी चमोली से वार्ता कर उनसे आयोजन को लेकर जिला स्तर पर बैठक आयोजन करने को कह चुके हैं ताकि सीधे रूप में व्यवस्थाओं से जुटे विभागों से कार्ययोजना प्राप्त कर उनके प्रस्ताव शासन को भेजें जा सकें किंतु बैठक आयोजन नही होने के कारण कार्य योजना बनाने में समय लग सकता हैं । इस संबंध में वें मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव सहित अन्य अधिकारियों से वार्ता कर जल्द से जल्द कार्य योजना तैयार करने का प्रयास कर रहें हैं।