निराश्रित गोवंश के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु रामकथा धेनुमानस गौटीका का आयोजन।
श्रीराम कथा श्रवण कराते संत गौ क्रांति अग्रदूत गोपाल मणि जी महराज।
कमल बिष्ट/कोटद्वार। श्रीराम कथा धेनु मानस गौटीका पर गौ क्रांति के अग्रदूत संत गोपाल मणि जी महाराज द्वारा गोविन्द नगर स्थित एक बारात घर में हो रही भव्य आयोजन किया जा रहा है।संत गोपाल मणि जी महाराज की प्रेरणा से भारतीय नस्ल के निरीह, निराश्रित गोवंश के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु संचालित नगर की गौशाला द्वारा रामकथा धेनुमानस गौटीका का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें बडी संख्या में धर्म प्रेमी परिजनों सहित अपनी उपस्थिति दर्ज करा कर कथा का श्रवण कर रहे हैं। श्रीराम कथा श्रवण कराते हुए संत गौ क्रांति अग्रदूत गोपाल मणि जी महराज ने कथा प्रसंग में कहा कि जितने भी हमारे धर्म ग्रंथ हैं वे सब गौ दर्शन ही करवाते हैं। हनुमान चालीसा से लेकर वेद पुराणों तक तभी सिद्ध होते हैं जब गौ माता तुम्हारी गवाही दे। जिस दिन गौ माता को राष्ट्रमाता प्रतिष्ठा मिल जायेगी। उसी दिन हमारी हनुमान चालीसा सिद्ध हो जायेगी। जो लोग अपना अहंकार को समाप्त कर देंगे। वहीं गौमाता का कार्य कर सकेंगे।
संत मणि जी महाराज ने कथा प्रसंग में कहा कि हमारी सनातनी संस्कृति को मिटाने के लिये कई असुर आये, परन्तु सनातन धर्म को समाप्त नहीं कर पाये। सनातन धर्म तो सबसे पुराना,अरबों करोडो़ं वर्ष पुराना है। इसको कोई नहीं मिटा सकता, इसी धरती पर ऐसे तपरत्वी हैं जिनकी तपस्या के बल पर सनातन स्थिर है। गोपाल मणि महाराज ने कहा कि अपने अडिग सिद्धांत पर खरा उतरें। इसीलिये तो सनातन धर्म ही जड़ गौ माता है। गौ नहीं रहेगी तो सनातनी हिन्दू भी समाप्त हो जायेगा। इसलिए गौ बचेगी तो पूरा विश्व बचेगा। क्योंकि गाय पूरे विश्व की माता है, और माता ही अपने बच्चों का भरण पोषण भली भाँती करती है। पूज्य मणि जी महाराज ने राम कथा के माध्यम से गौ कथा का वर्णन करते हुये कहा कि गाय को खूंटे और अपने बच्चों से बहुत प्रेम होता है। आज गौ की हत्या तो सबसे पहले यह हो रही है कि हम गाय को पशु मान रहे हैं। जबकि हमारे शास्त्र पुराण, वेद उपनिषद, सब कह रहे हैं कि “पशुवो न गाव: यानि पशु नहीं है। जिन लोगों की पशु बुद्धि हो गयी है, वही गाय को पशु समझते हैं। गौ माता की इतनी बड़ी खूबियां है कि स्वयं भगवान राम को गौ रक्षा के लिए इस धरा धाम पर अवतरित हुए। श्री कृष्ण ने इस धरती पर गौ बर्द्धन का कार्य किया और भोलेनाथ तो बृषभध्वज यानि गौमाता नन्दी का झंडा लेकर प्रचार करते रहते हैं। आचार्य गोपाल मणि महाराज ने कथा के माध्यम से सरकार से निवेदन किया है कि अविलम्ब गौमाता को जो हमारा धर्म है। उसको केन्द्र की सूची में रखा जाय। गौ प्रतिष्ठा ध्वज की स्थापना हो इस कार्य हेतु चारों धर्म पीठ से शंकराचार्यों की पूर्ण सहमति से गौ माता को राष्ट्र माता का संवैधानिक पद प्राप्त हो, क्योंकि पूरा भारत गायों का देश है। गाय हमारे धर्म का विषय है।
इस दौरान कथा को संगीतमयी बनाने में मीडिया प्रभारी आचार्य कुलान्द कंसवाल, पंडित आशीष सेमवाल, पंडित महावीर खंडूड़ी, पंडित प्रकाश गौड़, पंडित इंद्रमणि जी ने कथा को रसमई बनाने में संगत देकर अपूर्व सहयोग प्रदान किया।
इस अवसर पर गोपाल कृष्ण अग्रवाल अध्यक्ष, महावीर सिंह रावत सचिव, राजेंद्र ज़खमोला वरिष्ठ उपाध्यक्ष, कैलाश चंद्र अग्रवाल कोषाध्यक्ष, जसपाल सिंह रावत कार्यक्रम संयोजक, गोपाल चंद बंसल, गिरीश चंद्र जखमोला, राजेंद्र पुरोहित, अनुसुया मुंडेपी, सर्वेसरी किमोठी, आशा बिंजोला, पंडित चंद्र प्रकाश जदली, पंडित दिनेश बौंठियाल, गीता गुड़ाकोटी बृजपाल राजपूत, भागीरथी देवी, अजय भाटिया आदि मौजूद रहे।