डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
चारधाम यात्रा में एक बार फिर हादसे ने श्रद्धालुओं को झकझोर कर रख दिया है. बीते छह हफ्तों में उत्तराखंड में पांच हेलिकॉप्टर हादसे हो चुके हैं, जिनमें अब तक कई लोगों की जान जा चुकी है. हाल ही में केदारनाथ से लौट रहा एक हेलिकॉप्टर क्रैश हो गया, जिसमें सात लोगों की मौत हो गई. उत्तराखंड में रविवार सुबह-सुबह भीषण हेलिकॉप्टर हादसा हुआ। पहले हेलिकॉप्टर के गुम होने की सूचना आई। इसके बाद उसके क्रैश होने की खबर ने लोगों को झकझोर कर रख दिया। बाबा केदार के धाम जा रहे तीर्थयात्रियों की मौत की सूचना आ रही है। इस हादसे में 7 लोगों की मौत खबर सामने आ रही है। इस हादसे के बाद चार धाम यात्रा में हेलिकॉप्टर सेवा पर तत्काल रोक लगाने का निर्णय लिया गया है। उत्तराखंड की सरकार की ओर से यह फैसला सामने आया है। सीएम ने हाल ही में हुए हेलीकॉप्टर हादसों को गंभीरता से लेते हुए राज्य में हेलीकॉप्टर संचालन के संबंध में सख्त निर्देश जारी किए हैं।दरअसल, केदारनाथ समेत चार धाम यात्रा के दौरान लगातार हेलिकॉप्टर हादसे की खबर सामने आ रही है। इसको लेकर डायरेक्टोरेट ऑफ सिविल एविएशन) की ओर से पिछले दिनों जांच कराई गई। डीजीसीए ने जांच के बाद अपनी रिपोर्ट में कहा कि हेलिकॉप्टर के ठहराव स्थल पर बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन जैसी स्थिति है। इस कारण डीजीसीए ने उड़ानों में 35 फीसदी की कटौती का आदेश दिया।केदारनाथ के निकट में हेलीकॉप्टर क्रैश होने से पायलट समेत सात तीर्थयात्रियों की मौत हो गयी। मृतकों में एक व्यक्ति बीकेटीसी का कर्मचारी था। यूपी, महाराष्ट्र व गुजरात के तीर्थयात्रियों की मौत हुई।रविवार की सुबह हुई दुर्घटना के बाद बचाव दल मौके पर पहुंच गया है। हेलीकॉप्टर आर्यन कम्पनी का बताया जा रहा है। केदारनाथ से गुप्तकाशी आ रहे हेलीकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने की मूल वजह खराब मौसम बताया जा रहा है। उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जनपद में रविवार तड़के एक बार फिर हेलीकॉप्टर क्रैश होने से सात लोगों की जान चली गई। केदारनाथ रूट पर श्री केदारनाथ धाम से गुप्तकाशी जा रहा हेलीकॉप्टर गौरीकुंड के पास क्रैश हो गया। हेलिकॉप्टर में कुल सात लोग सवार थे।
इस दर्दनाक हादसे में सातों लोगों की मौत हो गई, मृतकों में 23 महीने की बच्ची भी शामिल है। खराब मौसम के बावजूद हेलीकॉप्टर को उड़ान भरने की अनुमति देना साफ करती है कि कंपनी को सिर्फ पैसा कमाने से सरोकार है, यात्रियों की जान की परवाह किसी को भी नहीं है। बीते कई सालों में उत्तराखंड में हुए इन हादसों से यही बात उभर कर सामने आई है कि खराब मौसम के बावजूद एविएशन कंपनियां बेतरतीब उड़ान भरती हैं, जिससे दुर्घटना की आशंका भी बनी रहती है। यहां हेलीकॉप्टर इस तरह से लगातार उड़ान भरते हैं, मानो शहरों चलने वाली ऑटो सेवा हो, जो बिना रुके यात्रियों को ढोते रहते हैं। अब तक हुए हेलीकाप्टर हादसों में से ज्यादातर हादसे केदारघाटी में हुए हैं और इसमें भी अधिकतर का कारण खराब मौसम रहा। केदारनाथ धाम के लिए गुप्तकाशी, फाटा, सिरसी सहित अन्य जगहों से 9 एवियेशन कंपनियां हेली सेवा देती हैं। इन सभी कंपनियों के हेलीकॉप्टर उड़ान के लिए रूट भी निर्धारित हैं, लेकिन ज्यादातर हेलीकॉप्टर ईंधन और समय बचाने के लिए निर्धारित ऊंचाई से नीचे उड़ान भरते हैं। यहां तक कि गौरीकुंड और केदारनाथ के बीच संकरी घाटियों से होकर हेलीकॉप्टर जाते हैं, जबकि रामबाड़ा से आगे गरुड़चट्टी और केदारनाथ के बीच घाटी में धुंध होती है जिसके कारण विजिबिलिटी भी कम हो जाती है। जबकि 7 जून को तकनीकी खराबी के कारण रुद्रप्रयाग में सड़क पर हेलीकॉप्टर की इमरजेंसी लैंडिंग हुई थी। वह हेलीकॉप्टर भी आर्यन एविएशन कंपनी का था। तकनीकी खराबी के चलते पायलट ने हेलीकाप्टर को बीच सड़क पर ही उतार दिया था। जिसका पीछे का हिस्सा कार पर गिरते ही टूट गया था। कार भी पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई थी। लगातार हो रही इन घटनाओं से यात्रियों की सुरक्षा और हवाई सेवाओं की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं. इन हादसों की जांच के आदेश दिए गए हैं, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि अधिक ऊंचाई, मौसम की अनिश्चितता और हेलिकॉप्टर कंपनियों की लापरवाही के चलते ऐसी घटनाएं बार-बार सामने आ रही हैं. हेलिकॉप्टर नोडल अधिकारी और जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी ने हेलिकॉप्टर के क्रैश होने की पुष्टि की है। गौरीकुंड के ऊपर घास काट रही नेपाली मूल की महिलाओं ने हेलिकॉप्टर क्रैश होने की सूचना दी थी। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि हेलीकॉप्टर में तकनीकी खराबी थी और उसे उड़ान के दौरान खराब मौसम का सामना करना पड़ा। कम विज़िबिलिटी, तेज पहाड़ी हवाएं, और तेज बारिश के चलते पायलट को आपात लैंडिंग करनी पड़ी, लेकिन हेलीकॉप्टर गौरिकुंड के पास पहाड़ी पर जाकर टकरा गया।यह इस सीजन की सबसे गंभीर और घातक दुर्घटना है। गौरतलब है कि 2 मई को चारधाम यात्रा के कपाट खुलने के बाद यह पांचवीं हेलीकॉप्टर से जुड़ी घटना है, लेकिन इस बार सात लोगों की मौत ने प्रशासन को झकझोर कर रख दिया है। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि हेलीकॉप्टर में तकनीकी खराबी थी और उसे उड़ान के दौरान खराब मौसम का सामना करना पड़ा। कम विज़िबिलिटी, तेज पहाड़ी हवाएं, और तेज बारिश के चलते पायलट को आपात लैंडिंग करनी पड़ी, लेकिन हेलीकॉप्टर गौरिकुंड के पास पहाड़ी पर जाकर टकरा गया।यह इस सीजन की सबसे गंभीर और घातक दुर्घटना है। गौरतलब है कि 2 मई को चारधाम यात्रा के कपाट खुलने के बाद यह पांचवीं हेलीकॉप्टर से जुड़ी घटना है, लेकिन इस बार सात लोगों की मौत ने प्रशासन को झकझोर कर रख दिया है। केदारनाथ के पास रुद्रप्रयाग जिले के गौरीकुंड क्षेत्र में आज सुबह हेलीकॉप्टर क्रैश में पायलट सहित 7 लोगों की मौत हो गई। केदारनाथ धाम, जो चार धाम यात्रा का एक प्रमुख केंद्र है, समय-समय पर हेलीकॉप्टर हादसों का साक्षी रहा है। इन घटनाओं ने न केवल यात्रियों की सुरक्षा पर सवाल उठाए हैं, बल्कि एविएशन संचालन की प्रक्रियाओं पर भी चिंतन की आवश्यकता जताई है। यहाँ हम 2013 से 2025 तक के प्रमुख हेलीकॉप्टर हादसों का हैं 17 मई 2025 को, AIIMS ऋषिकेश की एक एयर एम्बुलेंस, जो केदारनाथ में एक मरीज को लेने के लिए आई थी, लैंडिंग के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो गई। हेलीकॉप्टर हेलीपैड से लगभग 20 मीटर पहले असंतुलित होकर दो हिस्सों में टूट गया। इसमें सवार तीनों लोग—एक डॉक्टर, एक पायलट और एक मेडिकल स्टाफ—सुरक्षित हैं। प्रारंभिक जांच में हेलीकॉप्टर के पिछले हिस्से में तकनीकी खराबी की बात सामने आई है। इस घटना ने उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हवाई सेवाओं की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। 18 अक्टूबर 2022 को, आर्यन एविएशन का बेल-407 हेलीकॉप्टर, जो केदारनाथ से गुप्तकाशी जा रहा था, गरुड़चट्टी के पास खराब मौसम और कम दृश्यता के कारण दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस हादसे में पायलट सहित सभी सात लोगों की मृत्यु हो गई। DGCA ने इस घटना की विस्तृत जांच के आदेश दिए। 24 मई 2024 को, क्रिस्टल एविएशन का एक हेलीकॉप्टर, जिसमें छह तीर्थयात्री और एक पायलट सवार थे, तकनीकी खराबी के कारण केदारनाथ हेलीपैड से कुछ दूरी पर आपात लैंडिंग करने को मजबूर हुआ। सभी यात्री सुरक्षित हैं। प्रारंभिक जांच में हेलीकॉप्टर के रोटर में समस्या की बात सामने आई है। 31 अगस्त 2024 को, क्रिस्टल एविएशन का वही हेलीकॉप्टर, जिसे 24 मई को आपात लैंडिंग के बाद मरम्मत के लिए गौचर ले जाया जा रहा था, भारतीय वायुसेना के MI-17 हेलीकॉप्टर से लिंचोली के पास गिर गया। इस हादसे में कोई हताहत नहीं हुआ। प्रारंभिक जांच में टोइंग रस्सी के टूटने की बात सामने आई है। 25 जून 2013 को, उत्तराखंड में आई भीषण बाढ़ के दौरान राहत कार्य में लगे भारतीय वायुसेना के Mi-17 V5 हेलीकॉप्टर ने गौरीकुंड के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस हादसे में 20 लोगों की मृत्यु हुई, जिनमें 5 वायुसेना कर्मी, 9 NDRF और 6 ITBP के जवान शामिल थे। यह घटना खराब मौसम और कम दृश्यता के कारण हुई। गौर करने वाली बात है 2025 में उत्तराखंड में चारधाम यात्रा के दौरान कम से कम पांच हेलिकॉप्टर दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 8 मई को उत्तरकाशी के गंगनानी में 6 लोगों की मौत, 15 जून को केदारनाथ के गौरीकुंड में 7 लोगों की मौत, और अन्य आपात लैंडिंग शामिल हैं. इन हादसों में 13 से अधिक लोगों की जान गई, कई घायल हुए, और वाहनों व संपत्ति को नुकसान पहुंचा है.जिसमें जयपुर के शास्त्रीनगर निवासी पायलट राजवीर सिंह चौहान का भी निधन हो गया है। वे आर्मी से लेफ्टिनेंट कर्नल की पोस्ट से रिटायर्ड हुए थे। मुख्यमंत्री ने लगातार हो रही इन घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए हेलिकॉप्टर संचालन को लेकर कड़े आदेश दिए हैं. सीएम ने निर्देश दिया कि राज्य में हेलिकॉप्टर सेवाओं के संचालन के लिए कड़ी एसओपी बनाई जाए. एसओपी में हेलिकॉप्टर की उड़ान से पहले तकनीकी स्थिति की पूर्ण रूप से जांच किया जाना और उड़ान से पहले ही मौसम की सटीक जानकारी प्राप्त करना आवश्यक होगा. इसके लिए तकनीकी विशेषज्ञों की एक टीम को गठित करने के निर्देश भी दिए गए हैं. ये समिति ये तय करेगी कि हेलिकॉप्टर सर्विस देने वाली कंपनियां निर्धारित मानकों का पालन करें और सेवाओं के संचालन को पहले से अधिक पारदर्शी बनाएं. इस बड़े हादसे के बाद, मुख्यमंत्री धामी ने तत्काल प्रभाव से चार धाम यात्रा के लिए संचालित होने वाली सभी हेलिकॉप्टर सेवाओं पर रोक लगा दी है. उन्होंने यह भी घोषणा की है कि भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं को रोकने के लिए हेली सर्विस के संचालन को लेकर अत्यंत सख्त नियम बनाए जाएंगे. इन नियमों में हेलिकॉप्टर की तकनीकी स्थिति की विस्तृत जांच, साथ ही उड़ान से पहले मौसम की सबसे सटीक जानकारी लेना अनिवार्य किया जाएगा. गौरतलब है कि 4 माह पूर्व ही राजवीर जुड़वां बच्चों के पिता बने। ऐसे में फादर्स डे पर भयानक हादसे में दोनों बच्चों से पिता का साया उठ गया है। इस कठिन समय में मेरी गहरी संवेदनाएं शोक संतप्त परिजनों के साथ हैं, ईश्वर उन्हें यह आघात सहने की शक्ति प्रदान करें एवं दिवंगतों की आत्मा को शांति प्रदानलेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं। *लेखक वर्तमान में दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं।*