• About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact
Uttarakhand Samachar
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
Uttarakhand Samachar
No Result
View All Result

पंडित दीनदयाल उपाध्याय भारत माता के सच्चे सपूत

25/09/25
in उत्तराखंड, देहरादून
Reading Time: 1min read
6
SHARES
7
VIEWS
Share on FacebookShare on WhatsAppShare on Twitter

 

डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला

भारत की भूमि पर समय-समय पर ऐसे महामानव का अवतरण होता रहा है, जो स्वयं के लिए नहीं,
बल्कि राष्ट्र और समाज के लिए ही जीता और मरता है। उसका जीवन आने वाली पीढिय़ों के लिए
आदर्श होता है, उसका चिंतन समाज के लिए मार्ग होता है और उसका कर्म देश को दिशा देने वाला
होता है। ऐसे ही महामानव थे पंडित दीनदयाल उपाध्याय। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद देश को
आवश्यकता थी अपनी एक ऐसी मौलिक विचारधारा की, जिसमें देश के अंतिम व्यक्ति की ङ्क्षचता
करते हुए राजनीति को सेवा का साधन बनाया जा सके।देश के गौरव की रक्षा करते हुए इसे
संपन्न और समृद्ध बनाने के लिए एक ङ्क्षचतन की। भारत माता की उर्वर धरती ने पंडित
दीनदयाल उपाध्याय जैसे महान सपूत को जन्म देकर एक नई दिशा दिखाने वाले को खड़ा
कर दिया। अपने आदर्शों एवं विचारों के कारण भारत के लोगों के दिलो-दिमाग में स्थान
बनाने वाले और एकात्म मानववाद की विचारधारा देने वाले जनसंघ के संस्थापकों में शामिल
पंडित दीनदयाल उपाध्याय राजनीति के पथ प्रदर्शक, महान ङ्क्षचतक, सफल संपादक,
यशस्वी लेखक और भारत माता के सच्चे सेवक के रूप में स्मरणीय रहेंगे।25 सितम्बर 1916
उत्तर प्रदेश के मथुरा जिला के चंद्रभान में एक मध्यम वर्गीय परिवार में जन्म लेने वाले दीनदयाल
उपाध्याय जी का बचपन विपत्तियों में बीता। संघर्ष ही साथी बना रहा और साहस संबल। जब उनकी
आयु मात्र अढ़ाई साल की थी, तब उनके जीवन से पिता का साया उठ गया, 8 साल के हुए तो माता
चल बसी। यानी पूरी तरह अनाथ हो गए। इसके बाद उनका पालन-पोषण उनके नाना के यहां होने
लगा, लेकिन दुर्भाग्यवश 10 वर्ष की आयु में उनके नाना का भी देहांत हो गया। अब अल्पायु में ही
इनके ऊपर छोटे भाई को संभालने की भी जिम्मेदारी। कोई भी आदमी होता तो इन विपत्तियों के

सामने हार मान लेता,लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और आगे बढ़ते रहे।1951 में डा.श्यामाप्रसाद
मुखर्जी द्वारा स्थापित भारतीय जनसंघ में पहले महामंत्री बनाए गए। 1967 में जनसंघ के अध्यक्ष
बने, लेकिन महज 44 दिनों तक ही कार्य कर पाए, जो देश के लिए दुखद रहा। उनकी प्रतिभा,
सांगठनिक शक्ति और कार्यक्षमता को देखकर डा.श्यामा प्रसाद मुखर्जी को कहना पड़ा कि यदि मुझे
ऐसे दो दीनदयाल मिल जाएं तो मैं देश का राजनीतिक मानचित्र बदल दूंगा। राष्ट्र निर्माण व जनसेवा
में उनकी तल्लीनता के कारण उनका कोई व्यक्तिगत जीवन नहीं रहा। उनके पास जो कुछ भी था,
वह समाज और राष्ट्र के लिए था। उनके विचारों और त्याग की भावना ने उन्हें अन्य लोगों से अलग
सिद्ध कर दिया।दीनदयाल उपाध्याय जनसंघ के राष्ट्रजीवन दर्शन के निर्माता माने जाते हैं। उनका
उद्देश्य स्वतंत्रता की पुनर्रचना के प्रयासों के लिए विशुद्ध भारतीय तत्व-दृष्टि प्रदान करना था।
उन्होंने भारत की सनातन विचारधारा को युगानुकूल रूप में प्रस्तुत करते हुए एकात्म मानववाद की
विचारधारा दी। उनका विचार था कि आर्थिक विकास का मुख्य उद्देश्य सामान्य मानव का सुख
होना चाहिए। उनका कहना था कि ‘भारत में रहने वाला, इसके प्रति ममत्व की भावना रखने वाला
मानव समूह एक जन हैं। उनकी जीवन प्रणाली, कला, साहित्य, दर्शन सब भारतीय संस्कृति है।
इसलिए भारतीय राष्ट्रवाद का आधार यह संस्कृति है। इस संस्कृति में निष्ठा रहे तभी भारत
एकात्म रहेगा।
किसी भी व्यक्ति या समाज के गुणात्मक उत्थान के लिए आॢथक और सामाजिक पक्ष ही
नहीं उसका सर्वांगीण विकास अनिवार्यता है। वर्तमान में नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में चल रही
केंद्र सरकार एकात्म मानववाद को केंद्र में रखते हुए गरीब से गरीब व्यक्ति के उत्थान एवं
विकास के संकल्प के साथ समाज के कमजोर और गरीब वर्ग के उत्थान के लिए कार्य कर
रही है। गत 8 वर्षों से प्रधानमंत्री के नेतृत्व में चल रही सरकार ने गरीब-कल्याण के अपने
लक्ष्य से पंडित दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानववाद के दर्शन और अंत्योदय की

विचारधारा को साकार कर  दिखाया है। ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और
सबका प्रयास, के लिए केंद्र सरकार लगातार काम कर रही है पंडित दीनदयाल उपाध्याय
बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे। सादगी से जीवन जीने वाले इस महापुरुष में राजनीतिज्ञ,
संगठन शिल्पी, कुशल वक्ता, समाज चिंतक, अर्थचिंतक, शिक्षाविद्, लेखक और पत्रकार
सहित कई प्रतिभाएं समाहित थीं। ऐसी प्रतिभाएं कम ही होती हैं। पं. दीनदयाल उपाध्याय के
राजनीतिक व्यक्तित्व को सब भली प्रकार जानते हैं। उन्होंने जनसंघ का कुशल नेतृत्व
किया, उसके लिए सिद्धाँत गढ़े और राजनीति में शुचिता की नई लकीर खींची। हम उन्हें
'एकात्म मानवदर्शन' के प्रणेता के तौर पर भी जानते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने ‘मन की बात’
के 93वें संस्करण में कहा कि किसी देश के युवा जैसे-जैसे अपनी पहचान और गौरव पर गर्व
करते हैं, उन्हें अपने मौलिक विचार और दर्शन उतने ही आकर्षित करते हैं। दीनदयाल जी ने
विचारों के संघर्ष और विश्व की उथल-पुथल को देखते हुए ‘एकात्म मानव दर्शन’ और
‘अंत्योदय’ का एक विचार देश के सामने रखा। यह विचार पूरी तरह से भारतीय है।उन्होंने
कहा कि ‘एकात्म मानव दर्शन’ विचारधारा के द्वंद्व और दुराग्रह से मुक्ति दिलाता है और
मानव मात्र को एक समान मानने वाले भारतीय दर्शन को दुनिया के सामने रखता है।मोदी
ने कहा कि दीनदयाल जी का दर्शन हमें सिखाता है कि कैसे आधुनिक, सामाजिक और
राजनीतिक परिपेक्ष में भारतीय दर्शन दुनिया का मार्गदर्शन कर सकता है। उन्होंने आजादी के
बाद देश में पनपी हीन भावना से हमें आजादी दिला कर बौद्धिक चेतना को जागृत किया।
वह कहते थे कि ‘हमारी आजादी तभी सार्थक हो सकती है दीनदयाल जी का दर्शन हमें
सिखाता है कि कैसे आधुनिक, सामाजिक और राजनीतिक परिपेक्ष में भारतीय दर्शन दुनिया
का मार्गदर्शन कर सकता है। उन्होंने आजादी के बाद देश में पनपी हीन भावना से हमें
आजादी दिला कर बौद्धिक चेतना को जागृत किया। वह कहते थे कि ‘हमारी आजादी तभी

सार्थक हो सकती है जीवन मूल्यों की जितनी जरूरत मनुष्य को है, उतनी ही मीडिया को भी है। यह
संभव नहीं है कि समाज तो मूल्यों के आधार पर चलने का आग्रही हो और उसका मीडिया, उसकी फिल्में,
उसकी प्रदर्शन कलाएं, उसकी पत्रकारिता नकारात्मकता का प्रचार कर रही हों। समाज और मनुष्य को
प्रभावित करने का सबसे प्रभावी माध्यम होने के नाते हम इन्हें ऐसे नहीं छोड़ सकते। इन्हें भी हमें अपने
जीवन मूल्यों के साथ जोड़ना होगा, जो मनुष्यता और मानवता के विस्तार का ही रूप हैं। अगर हम ऐसा
मीडिया खड़ा कर पाते हैं तो समाज के बहुत सारे संकट स्वयं दूर हो जाएंगें। फिर टीवी बहसों से निष्कर्ष
निकलेगें, फिर फिल्में समाज में समरसता और ममता का भाव भरेंगीं, फिर खबरें डराने के बजाए जीने
का हौसला देंगीं। फिर खबरों का संसार ज्यादा व्यापक होगा। वे जिंदगी के हर पक्ष का विचार करेंगीं। वे
एकांगी नहीं होंगीं, पूर्ण होंगीं और शुभता के भाव से भरी-पूरी होंगीं। जाहिर है यहां किसी धार्मिक और
आध्यात्मिक मीडिया की बात नहीं हो रही है। सिर्फ उस दृष्टि की बात हो रही है जो एकात्म मानवदर्शन
हमें देता है। वह है सबको साथ लेकर चलने, सबका विकास करने और सबसे कमजोर का सबसे पहले
विचार करने की बात है।जहां दुनिया को बनाने वाले सारे अववय एक दूसरे से जुड़े हैं। जहां सब मिलकर
संयुक्त होते हैं और वसुधा को परिवार समझने की दृष्टि देते हैं। दीनदयाल जी की स्मृतियां और उनके
द्वारा प्रतिपादित विचारदर्शन एक सपना भी है तो भी इस जमीं को सुंदर बनाने की आकांक्षा से लबरेज
है। उसकी अखंड मंडलाकार रचना का विचार करें तो मनुष्यता खुद अपने उत्कर्ष पर स्थापित होती हुयी
दिखती है। इसके बाद उसका समाज और फिल्में, उसका समाज और उसका मीडया, उसका समाज और
उसके मूल्य, उसका राह और उसका मन सब एक हो जाते हैं। एकात्म सृष्टि से, एकात्म व्यक्ति से,
एकात्म परिवेश से जब हम हो जाते हैं तो प्रश्नों के बजाए सिर्फ उत्तर नजर आते हैं। समस्याओं के बजाए
समाधान नजर आते हैं। संकटों के बजाए उत्थान नजर आने लगता है। दुनिया एकात्म मानवदर्शन की
राह पर आ रही है, अपने भौतिक उत्थान के साथ आध्यात्मिकता को संयुक्त करने के लिए वह आगे बढ़
चुकी है। यह होगा और जल्दी होगा, हम चाहें तो भी होगा, नहीं चाहे तो भी होगा। क्या हम घरती पर स्वर्ग

उतारने के सपने को अपनी ही जिंदगी में सच होते देखना चाहते हैं, तो आइए इस विचार दर्शन को पढ़कर,
जीवन में उतारकर देखते हैं। यह हमें इसलिए करना है क्योंकि हमारा जन्म भारत की भूमि पर हुआ है
और जिसके पास पीड़ित मानवता को राह दिखाने का स्वाभाविक दायित्व सदियों से आता रहा है।केंद्र
सरकार पिछले आठ वर्षों से खेती-किसानी पर जोर दे रही है। इस कड़ी में उत्तराखंड सरकार ने भी
कदम बढ़ाए हैं और इसके लिए कई उपाय किए गए हैं। इसमें सहकारिता विभाग के माध्यम से
संचालित दीनदयाल उपाध्याय सहकारिता कल्याण योजना महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।उत्तराखंड
में किसानों की आय दोगुना करने की दिशा में दीनदयाल उपाध्याय सहकारिता किसान कल्याण
योजना बड़ा संबल बनकर उभरी है। छह वर्षों में छह लाख से ज्यादा किसानों व स्वयं सहायता समूहों
को 3512 करोड़ रुपये का ब्याजरहित ऋण सहकारी बैंकों के माध्यम से दिया जा चुका है।जब वो
हमारी संस्कृति और पहचान की अभिव्यक्ति करें।’ जब वो हमारी संस्कृति और पहचान की
अभिव्यक्ति करें।’एकात्म मानववाद और अंत्योदय के प्रणेता पं. दीनदयाल उपाध्यायकी जन्म
जयंती पर पर शत्-शत् नमन। *लेखक वर्तमान में दून विश्वविद्यालय कार्यरतहैं।*

Share2SendTweet2
https://uttarakhandsamachar.com/wp-content/uploads/2025/10/yuva_UK-1.mp4
Previous Post

नंदलाल भारती की संग्रह पुस्तक आमारे जौनसारी गीत का जन लोकार्पण दून पुस्तकालय में

Next Post

बदरी विशाल और केदारनाथ धाम में कंक्रीट

Related Posts

उत्तराखंड

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को मुख्यमंत्री आवास स्थित गौशाला में गोवर्धन पूजा के अवसर पर गौमाता की पूजा-अर्चना की

October 22, 2025
3
उत्तराखंड

रामलीला: अठूरवाला में गूंजेगी रामकथा की गूंज, 24 से शुरू होगा मंचन

October 22, 2025
3
उत्तराखंड

पूर्ण वैदिक विधि-विधान के साथ बंद होंगे बाबा केदारनाथ धाम के कपाट

October 22, 2025
3
उत्तराखंड

राज्यपाल गुरमीत सिंह ने बाबा केदारनाथ के किये दर्शन, विशेष पूजा-अर्चना कर विश्व कल्याण की कामना की

October 22, 2025
3
उत्तराखंड

कुलपति कुमाऊं विश्वविद्यालय को वर्ष 2025 का आचार्य पीसी राय मेमोरियल लेक्चर अवार्ड से सम्मानित किया गया

October 22, 2025
10
उत्तराखंड

आयुर्वेद कोर्सों में इस बार सीटें भरने की चुनौती

October 21, 2025
39

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Popular Stories

  • चार जिलों के जिलाधिकारी बदले गए

    67468 shares
    Share 26987 Tweet 16867
  • डोईवाला : पुलिस,पीएसी व आईआरबी के जवानों का आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण सम्पन्न

    45755 shares
    Share 18302 Tweet 11439
  • ऑपरेशन कामधेनु को सफल बनाये हेतु जनपद के अन्य विभागों से मांगा गया सहयोग

    38026 shares
    Share 15210 Tweet 9507
  •  ढहते घर, गिरती दीवारें, दिलों में खौफ… जोशीमठ ही नहीं

    37422 shares
    Share 14969 Tweet 9356
  • विकासखंड देवाल क्षेत्र की होनहार छात्रा ज्योति बिष्ट ने किया उत्तराखंड का नाम रोशन

    37293 shares
    Share 14917 Tweet 9323

Stay Connected

संपादक- शंकर सिंह भाटिया

पता- ग्राम एवं पोस्ट आफिस- नागल ज्वालापुर, डोईवाला, जनपद-देहरादून, पिन-248140

फ़ोन- 9837887384

ईमेल- shankar.bhatia25@gmail.com

 

Uttarakhand Samachar

उत्तराखंड समाचार डाॅट काम वेबसाइड 2015 से खासकर हिमालय क्षेत्र के समाचारों, सरोकारों को समर्पित एक समाचार पोर्टल है। इस पोर्टल के माध्यम से हम मध्य हिमालय क्षेत्र के गांवों, गाड़, गधेरों, शहरों, कस्बों और पर्यावरण की खबरों पर फोकस करते हैं। हमारी कोशिश है कि आपको इस वंचित क्षेत्र की छिपी हुई सूचनाएं पहुंचा सकें।
संपादक

Browse by Category

  • Bitcoin News
  • Education
  • अल्मोड़ा
  • अवर्गीकृत
  • उत्तरकाशी
  • उत्तराखंड
  • उधमसिंह नगर
  • ऋषिकेश
  • कालसी
  • केदारनाथ
  • कोटद्वार
  • क्राइम
  • खेल
  • चकराता
  • चमोली
  • चम्पावत
  • जॉब
  • जोशीमठ
  • जौनसार
  • टिहरी
  • डोईवाला
  • दुनिया
  • देहरादून
  • नैनीताल
  • पर्यटन
  • पिथौरागढ़
  • पौड़ी गढ़वाल
  • बद्रीनाथ
  • बागेश्वर
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • रुद्रप्रयाग
  • रुद्रप्रयाग
  • विकासनगर
  • वीडियो
  • संपादकीय
  • संस्कृति
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • साहिया
  • हरिद्वार
  • हेल्थ

Recent News

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को मुख्यमंत्री आवास स्थित गौशाला में गोवर्धन पूजा के अवसर पर गौमाता की पूजा-अर्चना की

October 22, 2025

रामलीला: अठूरवाला में गूंजेगी रामकथा की गूंज, 24 से शुरू होगा मंचन

October 22, 2025
  • About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.

No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.