• About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact
Uttarakhand Samachar
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
Uttarakhand Samachar
No Result
View All Result

विटामिन ए और सी का उच्च स्रोत है पपीता

21/01/20
in उत्तराखंड, हेल्थ
Reading Time: 1min read
295
SHARES
369
VIEWS
Share on FacebookShare on WhatsAppShare on Twitter

डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
यह उष्णकटिबंधीय फल है जिसका मूल स्थान मैक्सिको है। यह कैरिऐसी परिवार से संबंधित है। यह एक तेजी से बढ़ने वाला पौधा है जो लंबे समय तक फल देता है और इसमें उच्च मात्रा में पोषक तत्व होते हैं। भारत को पपीता के सबसे बड़े उत्पादक के रूप में जाना जाता है। उत्तराखंड में अंग्रेजी शासनकाल में पपीते की खेती प्रारम्भ हुयी या प्रचुरता आयी इसे गमलों, ग्रीन हाउस, पॉलीहाउस और कंटेनर में उगाया जा सकता है। इसके स्वास्थ्य लाभ भी हैं जैसे कि कब्ज, कैंसर को दूर करने में मदद करता है, कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है और कैंसर कोशिकाओं से लड़ने में मदद करता है। यह विटामिन ए और विटामिन सी का उच्च स्त्रोत है।
भारत में महाराष्ट्र, कर्नाटक, पश्चिमी बंगाल, उड़ीसा, जम्मू और कश्मीर, बिहार, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, तामिलनाडू और आंध्र पदेश पपीते की खेती करने वाले मुख्य राज्य हैं।पपीता एक ऐसा फल है जिसे भारत में अधिक तरजीह नहीं दी जाती या यूं कहें कि पपीते को भारत में वो स्थान नहीं दिया गया जो दूसरे फलों को दिया गया। चाहे वो कृषि का क्षेत्र हो या व्यवसाय काए पपीता सिर्फ चाट.फूड के लिए ही जाना गया। औषधीय गुणों से भरपूर पपीता पेट संबंधी बीमारियों का रामबाण इलाज है। पपीते की बढ़ रही मांग आत्म निर्भरता के रास्तेा खोल रही है। मैदानी क्षेत्रों में इसकी खेती कर लोग लाखों कमा रहे हैं। अब इसकी खेती का दायरा बढ़ रहा है।
पर्वतीय क्षेत्र में भी पपीते की खेती की संभावनाएं जगी हैं। यह संभव हुआ है हिमालय विकास समिति चल्थी चम्पावत के किसान मोहन बिष्ट के प्रयासों से बिष्ट। ने पंतनगर से पपीते का बीज लाकर उसे आधुनिक कृषि पद्धति के जरिए अपने संस्थान में लगाया। पौधों में फल लगने शुरू हो गए हैं। इसके साथ ही मोहन लोगों को पपीते की खेती के लिए प्रेरित करने लगे हैं। मोहन चल्थी स्थित अपने संस्थान में लंबे समय से आधुनिक तकनीकि से कई प्रकार की फसलों का उत्पादन कर लोगों के लिए मिशाल बने हुए हैं। वह अपने संस्थान में कृषि कार्य के साथ मौन पालन, मत्स्य पालन, जल संरक्षण, सब्जी उत्पादन अनेक कार्य करते हैं। इस बार उन्होंने पर्वतीय क्षेत्र में न होने वाले पपीते के उत्पादन पर जोर दिया। संस्था अध्यक्ष मोहन बिष्ट ने प्रयोग के तौर पर पंतनगर से बीच मंगाकर अपने संस्थान में लगाया। इसके अलावा कई हाइब्रिड पपीते के पेड़ लगाए। जिन्होंने छह माह में ही फल देना प्रारंभ कर दिया। प्रयोग सफल होने के बाद अब मोहन क्षेत्र के लोगों को भी पपीते के पेड़ लगाने के लिए जागरूक कर रहे हैं। उनका मानना है कि इससे स्वदरोजगार के भी रास्तू खुलेंगे। फिलहाल अभी इसका उत्पादन देखना बाकी है कि एक पेड़ से कितने पपीतों का उत्पादन होता है। अभी तक पेड़ में 150 से अधिक पपीते लगे हुए हैं और अभी भी लग रहे हैं। पपीतों को बंदरों की नजर से बचाने के लिए उसे ढ़क कर रखा हुआ है। बिष्ट ने बताया इससे पूर्व भी झांसी से पपीते के 85 पेड़ मंगाकर लगाए थे। जिनसे अच्छा उत्पादन हुआ लेकिन उसके बाद पेड़ समाप्त हो गए। जिसके बाद अब पंतनगर से पपीते का बीज मंगाया। जिसके सात पेड़ लगाए हैं।
परंपरागत खेती के अलावा व्यावसायिक खेती कर लोग लाखों कमा सकते हैं। इसके लिए पपीते की खेती बेहतर विकल्प हो सकती है। हाल के दौर में मार्केट में आई हाईब्रिड किस्मों के चलते पपीते से कमाई करना पहले से ज्यादा आसान हुआ है। एक हेक्टेयर पपीते की खेती से एक सीजन में करीब 10 लाख रुपए तक की कमाई हो सकती है। इसकी खासियत है कि फसल जल्दी तैयार हो जाती है और साल भर मे फसल देने लगती है। एक बार पपीता लगाकर तीन साल तक उपज लिया जा सकता है। इसके चलते एक बार पेड़ तैयार होने पर लागत भी कम होती जाती है। आइए जानते हैं पपीते की खेती के बारे में और इसके जरिए कैसे कमाई कर सकते हैं। पपीते की खेती अधिकतम 38 से 44 डिग्री सेल्सियस तापमान में होती है। वैसे न्यूनतम तापमान पांच डिग्री तापमान में भी पपीते की खेती हो सकती है। मतलब आप इसे पहाड़ों से सटे इलाकों में भी उगा सकते हैं, जो अब पहाड़ में भी संभव हो रहा है। इस लिहाज से आप भारत के किसी भी कोने में पपीते की खेती की जा सकती है। बेहद फायदेमंद और औषधीय गुणों से भरपूर पपीता तमाम तरह की बीमारियों से मुक्ति दिला सकता है । पपीते की सबसे बड़ी खासियत है कि ये बहुत कम समय फल दे देता है। इसकी खेती भी आसान है । पपीते में कई महत्वपूर्ण पाचक एन्जाइम मौजूद रहते हैं। इसलिए बाज़ार में पपीते की मांग लगातार बढ़ रही है। पपीता की देशी और विदेशी अनेक किस्में उपलब्ध हैं। देशी किस्मों में राची, बारवानी और मधु बिंदु लोकप्रिय हैं। विदेशी किस्मों में सोलों, सनराइज, सिन्टा और रेड लेडी प्रमुख हैं। रेड लेडी के एक पौधे से 100 किलोग्राम तक पपीता पैदा होता है। पूसा संस्थान द्वारा विकसित की गई पूसा नन्हा पपीते की सबसे बौनी प्रजाति है। यह केवल 30 सेंटीमीटर की ऊंचाई से ही फल देना शुरू कर देता हैए जबकि को.7 गायनोडायोसिस प्रजाति का पौधा हैजो जमीन से 52ण्2 सेंटीमीटर की ऊंचाई से फल देता है।
इसके एक पेड़ से 112 से ज्यादा फल प्रतिवर्ष मिलते हैं। इस प्रकार यह 340 टन प्रति हेक्टेयर तक की उपज देता है। अलग.अलग फलों की साइज़ 0.800 किलोग्राम से लेकर दो किलोग्राम तक होता है। आज के बाज़ार में पपीता 30 से 40 रूपये न्यूनतम में बिकता हैए लेकिन थोक बाज़ार में आठ से दस रूपये प्रति किलो की दर से बेचने पर भी यह उपज तीन से साढ़े तीन लाख रुपये के बीच होती है। इस तरह सभी खर्चे काटने के बाद भी किसानों को दो लाख रुपये तक की बचत हो जाती है। पपीते की खेती महाराष्ट्र में अधिकाधिक रुप से की जाती है। इसके अलावा बहुत से मैदानी इलाकों में भी इसकी खेती अच्छे स्तर पर की जाती है। परंतु पहाड़ों में इसकी खेती करके किसान एक महीने में 25000 हज़ार या इससे अधिक का मुनाफा कमा रहे हैं। उत्तराखंड के पिथौड़ागढ़ जिले में इन दिनों पपीते की खेती ने सब किसानों का ध्यान अपनी ओर खींच लिया हैण् यहां की ज़मीन पपीते के लिए उन्नत और बेहतर हैण् यहां के किसानों ने इंटरनेट का सहारा लेकर पपीते की खेती शुरु की और पपीते के बारे में जानकारी जुटाईण् पपीते की खेती से तो इन किसानों को उतना ही मुनाफा हो रहा था जितना दूसरे किसानों कोए परंतु यहां के किसानों ने पपीते के दूसरे गुणों का व्यापार करना शुरु कियाण्जैसे. पत्तेए डालियांए बीज इत्यादिण् यह किसान पपीते के इन भागों को दवाई बनाने वाली कंपनियों को ऊंचे दामों में बेच रहे हैं जिससे इन्हें मनचाहा दाम मिल रहा है और इनकी आमदनी एक महीने में 25000 या इससे अधिक हो रही हैण् पपीते से हो रही आमदनी दिनोंदिन बढ़ रही हैण् इसकी एक बड़ी वजह यह है कि शहरों में लोगों का स्वास्थ्य बहुत खराब होता जा रहा है जिसका कारण इनकी इम्यून शक्ति का कम होना है और पपीता इसी इम्यून शक्ति को बढ़ाकर शरीर को स्वस्थ रखने का काम करता हैए इसलिए दवाईयों के राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में पपीते की अच्छी कीमत मिल जाती हैण् पपीते के सेवन से वात का शमन होता है तथा यह अपावायु को शरीर से बाहर करता है। कच्चे पपीते से बनी लुगदी का लेप करने से घाव जल्दी भर जाता है। हृदयए नाड़ियों तथा पेशियों की क्रिया ठीक रखने में सहायक है। त्वचा व नेत्र स्वस्थ रखने में उपयोगी है।
पपीता के नियमित उपयोग से शरीर में इन विटामिनों की कमी नहीं रहती। इसमें पेप्सिन नामक तत्व पाया जाता है, जो बहुत ही पाचक होता है। यह पेप्सिन प्राप्त करने का एकमात्र साधन है।
पपीते का रस प्रोटीन को आसानी से पचा देता है। इसलिए पपीता पेट एवं आँत संबंधी विकारों में बहुत ही लाभदायक है। पपीते में पाया जाने वाला विटामिन ए त्वचा एवं नेत्रों के लिए बहुत आवश्यक होता है। इस विटामिन से त्वचा स्वस्थ, स्वच्छ और चमकदार रहती है। पपीते में कैल्शियम भी अच्छी मात्रा में होता हैए जो रक्त एवं तंतुओं के निर्माण एवं हृदय, नाड़ियों तथा पेशियों की क्रिया ठीक रहने में सहायक होता है। बच्चों की वृद्धि में और रोगों से बचाव की क्षमता बढ़ाने में भी विटामिन ए की आवश्यकता रहती है। देश में पपीते की खेती में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाले पपाया मैन के नाम से मशहूर सुधीर चड्ढा अब सेब और अखरोट की उन्नत पौध तैयार करके पहाड़ों में लाभदायक खेती का एक नया मॉडल रख रहे हैं। आज लोग पैसे और प्रॉपर्टी के लिये लड़ रहे हैंए लेकिन वह दिन दूर नहीं हैए जब लोग अन्न और पानी के लिये लड़ेंगे। खेती खत्म हो रही है और अनाज की डिमांड लगातार बढ़ रही है। बकौल मंगलानंदए हमारे प्रदेश में पलायन.पलायन तो सब चिल्ला रहे हैंए लेकिन जमीन पर काम करने को कोई तैयार नहीं है। यहाँ की माटी में वह सब कुछ हैए जो भरपूर रोजगार दे सकती है। बंजर पड़े खेतों में उग आई खरपतवार के कारण गाँवों में जंगली जानवरों का प्रकोप बढ़ गया है। सरकार को चाहिए कि वे अपनी नीति में किसानों को प्राथमिकता में रखे। प्रदेश में चकबंदी लागू की जाए। इसके अलावा जो लोग अपनी खेती बंजर छोड़ गए हैं, उसकी खेती को पट्टे पर गाँव में खेती कर रहे दूसरे किसानों को दिया जाए। ताकि खेत आबाद रहे और अनाज की पैदावार होती रहे।

Share118SendTweet74
https://uttarakhandsamachar.com/wp-content/uploads/2025/10/yuva_UK-1.mp4
Previous Post

आम व्यक्ति पर केंद्रित हों योजनाएं: मुख्यमंत्री

Next Post

आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों का प्रदर्शन, अनदेखी का आरोप

Related Posts

उत्तराखंड

पूर्ण वैदिक विधि-विधान के साथ 23 अक्टूबर को बंद होंगे बाबा केदारनाथ धाम के कपाट

October 22, 2025
8
उत्तराखंड

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को मुख्यमंत्री आवास स्थित गौशाला में गोवर्धन पूजा के अवसर पर गौमाता की पूजा-अर्चना की

October 22, 2025
4
उत्तराखंड

रामलीला: अठूरवाला में गूंजेगी रामकथा की गूंज, 24 से शुरू होगा मंचन

October 22, 2025
6
उत्तराखंड

पूर्ण वैदिक विधि-विधान के साथ बंद होंगे बाबा केदारनाथ धाम के कपाट

October 22, 2025
4
उत्तराखंड

राज्यपाल गुरमीत सिंह ने बाबा केदारनाथ के किये दर्शन, विशेष पूजा-अर्चना कर विश्व कल्याण की कामना की

October 22, 2025
6
उत्तराखंड

कुलपति कुमाऊं विश्वविद्यालय को वर्ष 2025 का आचार्य पीसी राय मेमोरियल लेक्चर अवार्ड से सम्मानित किया गया

October 22, 2025
13

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Popular Stories

  • चार जिलों के जिलाधिकारी बदले गए

    67468 shares
    Share 26987 Tweet 16867
  • डोईवाला : पुलिस,पीएसी व आईआरबी के जवानों का आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण सम्पन्न

    45755 shares
    Share 18302 Tweet 11439
  • ऑपरेशन कामधेनु को सफल बनाये हेतु जनपद के अन्य विभागों से मांगा गया सहयोग

    38026 shares
    Share 15210 Tweet 9507
  •  ढहते घर, गिरती दीवारें, दिलों में खौफ… जोशीमठ ही नहीं

    37422 shares
    Share 14969 Tweet 9356
  • विकासखंड देवाल क्षेत्र की होनहार छात्रा ज्योति बिष्ट ने किया उत्तराखंड का नाम रोशन

    37293 shares
    Share 14917 Tweet 9323

Stay Connected

संपादक- शंकर सिंह भाटिया

पता- ग्राम एवं पोस्ट आफिस- नागल ज्वालापुर, डोईवाला, जनपद-देहरादून, पिन-248140

फ़ोन- 9837887384

ईमेल- shankar.bhatia25@gmail.com

 

Uttarakhand Samachar

उत्तराखंड समाचार डाॅट काम वेबसाइड 2015 से खासकर हिमालय क्षेत्र के समाचारों, सरोकारों को समर्पित एक समाचार पोर्टल है। इस पोर्टल के माध्यम से हम मध्य हिमालय क्षेत्र के गांवों, गाड़, गधेरों, शहरों, कस्बों और पर्यावरण की खबरों पर फोकस करते हैं। हमारी कोशिश है कि आपको इस वंचित क्षेत्र की छिपी हुई सूचनाएं पहुंचा सकें।
संपादक

Browse by Category

  • Bitcoin News
  • Education
  • अल्मोड़ा
  • अवर्गीकृत
  • उत्तरकाशी
  • उत्तराखंड
  • उधमसिंह नगर
  • ऋषिकेश
  • कालसी
  • केदारनाथ
  • कोटद्वार
  • क्राइम
  • खेल
  • चकराता
  • चमोली
  • चम्पावत
  • जॉब
  • जोशीमठ
  • जौनसार
  • टिहरी
  • डोईवाला
  • दुनिया
  • देहरादून
  • नैनीताल
  • पर्यटन
  • पिथौरागढ़
  • पौड़ी गढ़वाल
  • बद्रीनाथ
  • बागेश्वर
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • रुद्रप्रयाग
  • रुद्रप्रयाग
  • विकासनगर
  • वीडियो
  • संपादकीय
  • संस्कृति
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • साहिया
  • हरिद्वार
  • हेल्थ

Recent News

पूर्ण वैदिक विधि-विधान के साथ 23 अक्टूबर को बंद होंगे बाबा केदारनाथ धाम के कपाट

October 22, 2025

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को मुख्यमंत्री आवास स्थित गौशाला में गोवर्धन पूजा के अवसर पर गौमाता की पूजा-अर्चना की

October 22, 2025
  • About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.

No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.