फोटो- श्री बदरीनाथ धाम के मुख्य पुजारी श्री रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी।
प्रकाश कपरूवाण
जोशीमठ। बदरीनाथ के मुख्य पुजारी श्री रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी तय समय पर पंहुच पाएंगे इस पर अभी भी संसय बना हुआ है। लाॅक डाउन का दूसरा चरण लागू होने के कारण भी यह असमजस की स्थिति बनी है। पहले श्री रावल को 22 अप्रैल को केरल से प्रस्थान करने का कार्यक्रम था। जो अब 19 अप्रैल तक लाॅकडाउन के कारण स्थगित हो गया है। यदि मुख्य पुजारी श्री रावल नहीं पंहुच पाएंगे तो ऐसी स्थिति में पूजा परंपरा का निर्वहन कैसे होगा, इस पर शासन स्तर पर मंथन शुरू हो गया है। बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति एक्ट 1939 का भी अध्ययन किया जा रहा है।
भू-वैकुठं धाम श्री बदरीनाथ के कपाट आगामी तीस अप्रैल को खोले जाने है। और बदरीनाथ के मुख्य पुजारी श्री रावल को केरल से बदरीनाथ पंहुचना है। देश मे फैली कोरोना महामारी के चलते व लाॅक डाउन का दूसरा चरण शुरू होने के बाद उनके यथा समय पंहुचने पर अब संसय बना हुआ है। हाॅलाकि प्राप्त जानकारी के अनुसार मुख्य पुजारी श्री रावल को केरल से 22अप्रैल को प्रस्थान करना था। जिसके लिए उनका टिकट भी बुक था लेकिन दूसरे लाॅक डाउन को तीन मई तक बढाने के कारण स्थिति स्पष्ट नही हो पा रही है।
चारधाम देवस्थानम बोर्ड के सीईओ/गढवाल कमिश्नर रमन रविनाथ से संपर्क करने पर उन्होने बताया कि बदरीनाथ के मुख्य पुजारी को केरल से बदरीनाथ धाम पंहुचाने के लिए राज्य सरकार केन्द्र सरकार के संपर्क मे है।उन्होने कहा कि दुबारा लाॅक डाउन होने के कारण यह स्थिति बनी है। उन्होने बताया कि सरकार व मुख्य पुजारी श्री रावल की सहमति के बाद 22अप्रैल को उन्है केरल से प्रस्थान करना था। लेकिन अब तीन मई तक लाॅक डाउन बढ गया है। कहा कि राज्य सरकार मुख्य पुजारी श्री रावल को चाटर्ड प्लेन अथवा सडक मार्ग से बदरीनाथ तक पंहुचाने के लिए भी केन्द्र के दिशा-निर्देशो की प्रतीक्षा कर रही है। श्री रमन ने कहा इस विषय मे जो भी केन्द्र सरकार का निर्णय होगा उसी के अनुरूप कार्यवाही की जा सकेगी।
यदि मुख्य पुजारी श्री रावल नही पंहुच सके तो ऐसी परिस्थिति मे पूजाओ का संपादन कैसे होगा! पूछने पर सीईओ श्री रविनाथ ने बताया कि इस विषय पर शासन स्तर पर मंथन चल रहा है। पूर्व पंरपराओ के साथ ही बदरी-केदार एक्ट मे वर्णित ब्यवस्थाओ का भी अध्ययन किया जा रहा है। उन्होने यह भी जानकारी दी की केदारनाथ व बदरीनाथ मे कपाट खुलने की ब्यवस्थाओ की स्थलीय जानकारी के लिए बीकेटीसी के पूर्व सीईओ बीडी सिहं को दोनो धामो मे भेज दिया गया है। वे शीध्र ही अपनी रिपार्ट से उन्है अवगत कराएगे।
यहाॅ यह भी उल्लेख किया जाना बेहद जरूरी है कि आजाद भारत से पूर्व वर्ष 1939 मे जब बदरी-केदार मंदिर एक्ट तैयार किया गया था तो उस समय भी रावल की अनुपस्थिति पर पूजा कैसे हो इसका विचार किया गया है। बीकेटीसी के तत्कालीन सीईओ जेएस विष्ट के अनुसार मंदिर एक्ट मे प्रावधान है कि यदि कदाचित रावल मौजूद न हो तो ऐसी परिस्थिति मे भगवान की पूजा बाधित न हो इसके लिए एक्ट मे स्पष्ट लिखा गया है कि रावल की गैर मौजूदगी मे ’’एनी सैरोला पंडित’’ कुछ समय के लिए पूजा कर सकते हंै। अब देखना होगा कि राज्य सरकार व केन्द्र सरकार पूजा पंरपरा को लेकर किस निर्णय पर पंहुचती है। इस पर सनातन धर्मावलंिबयों की नजरे रहेगी।