डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
अल्मोड़ा से हल्द्वानी को जोड़ने वाला एनएच 109 क्वारब के पास लोगों के लिए खतरा बना हुआ है. लोग जान जोखिम में डालकर आवाजाही करने को मजबूर है. वहीं केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्य मंत्री अजय टम्टा ने क्वारब में बंद मार्ग के संबंध में वैकल्पिक मार्ग तलाशने के लिए स्थलीय निरीक्षण किया.केंद्रीय राज्य मंत्री ने संबंधित अधिकारियों से वैकल्पिक मार्ग तलाशने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि क्वारब के डेंजर प्वाइंट में बंद मार्ग के दौरान वैकल्पिक मार्ग की तलाश जरूरी है. यह मार्ग अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, चंपावत के साथ ही बागेश्वर के लिए महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि क्वारब के समाधान के लिए टीएचडीसी द्वारा 18 करोड़ रुपए की डीपीआर बनाई गई है. इसके लिए इन कार्यों का टेंडर भी खोल दिया गया है. वहीं उन्होंने अधिकारियों से जल्द इसका समाधान खोजने के निर्देश दिए. वहीं कहा कि जल्द ही क्वारब की समस्या का समाधान कर लोगों को राहत दी जाएगीनिरीक्षण के दौरान उनके साथ मुख्य विकास अधिकारी समेत कई अधिकारी मौजूद रहे. दरअसल विगत चार दिनों से एनएच 109 में क्वारब के पास डेंजर जोन बना हुआ है. वहां पर सड़क धंस रही है, वहीं पहाड़ से बोल्डर व मलबा लगातार गिर रहा है. जिस कारण इस मार्ग में वाहनों का आवागमन करना जोखिम भरा हो गया है. जेसीबी से सड़क को साफ कर मार्ग को खोलने का प्रयास प्रशासन की ओर से किया जा रहा है. लेकिन लगातार हो रहा भूस्खलन कभी भी किसी बड़ी दुर्घटना को दावत दे सकता है. जरूरी है कि वाहनों का आवागमन शुरू करने से पहले सड़क का यह पॉइंट जल्द लोगों के लिए सुरक्षित किया जाए. कराया है कि क्वारब पुल के पास हिल साइड की ओर लगभग 200 मीटर लंबाई में भूस्खलन जोन बन जाने से लगातार मलबा और बोल्डर सड़क में गिर रहे हैं. जबकि 30 मीटर लंबाई में सड़क धंस रही है. वह भाग किसी भी समय नीचे नदी की तरफ खिसक सकता है. उक्त प्रभाग में मोटर मार्ग की चौड़ाई मात्र 3 मीटर रह गई है जिसमें बड़े वाहनों का आवागमन सुरक्षित नहीं है. जेसीबी द्वारा रात के समय कार्य किया जाना संभव नहीं है. जिलाधिकारी ने कहा कि उपरोक्त निर्देशों में किसी प्रकार की लापरवाही एवं आदेशों की अवेहलना को गंभीरता से लिया जाएगा. प्रतिबंधित समय पर सड़क दुर्घटना एवं वाहन संचालन के लिए संबंधित चौकी एवं थाना के प्रभारी जिम्मेदार होंगे. हालांकि, एंबुलेंस, क्रेन एवं अन्य आवश्यक सेवाओं में प्रयुक्त होने वाले वाहनों पर किसी भी तरह की पाबंदी नहीं रहेगी. इसके अलावा अगर किसी अन्य वाहन के प्रतिबंधित समय में यातायात करना जरूरी पाया जाता है तो संबंधित उपजिलाधिकारी और पुलिस क्षेत्राधिकारी निर्णय लेने के लिए अधिकृत होंगे. अल्मोड़ा-हल्द्वानी राष्ट्रीय राजमार्ग यहां अल्मोड़ा समेत बागेश्वर और पिथौरागढ़ जिले का मुख्य मार्ग है। लेकिन राष्ट्रीय राजमार्ग पर नैनीताल और अल्मोड़ा जिले की सीमा पर क्वारब के समीप तीन महीनों से पहाड़ी दरक रही है। जिससे यहां से वाहनों का आवागमन करना खतरे से खाली नहीं है। क्वारब के समाधान के लिए टी एच डी सी द्वारा 18 करोड़ रुपए की डी पी आर बनाई गई है जिसके क्रम में इन कार्यों का टेंडर भी आज ओपन हो गया है।कहा कि जल्द ही क्वारब की समस्या का समाधान कर लोगों को राहत दी जाएगी।लेकिन शीघ्र कब तक? हालांकि, एम्बुलेंस, क्रेन और अन्य आवश्यक सेवाओं में प्रयुक्त वाहन इस प्रतिबंध से मुक्त रहेंगे। प्रशासन ने आदेश की अवहेलना को गंभीरता से लेने की बात कही है और किसी भी सड़क दुर्घटना या यातायात संचालन की जिम्मेदारी संबंधित थाना/चौकी प्रभारियों पर होगी। अपरिहार्य स्थिति में यातायात संचालन के लिए निर्णय लेने का अधिकार संबंधित उपजिलाधिकारी और पुलिस क्षेत्राधिकारी को दिया गया है। इस निर्णय का उद्देश्य यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है, अल्मोड़ा व नैनीताल जनपद की सीमा पर स्थित क्वारब डेंजर जोन बन गया है। यहां पर एक बार फिर से पहाड़ी दरकने के कारण यातायात ठप हो गया है। भारी मात्रा में मलबा गिरने के कारण सड़क के दोनों ओर वाहनों की लंबी कतार लग गई। जिस कारण पुलिस को रूट डायवर्ट करना पड़ा है। अब अल्मोड़ा जाने वाले वाहन रानीखेत होते हुए भेजे जा रहे हैं।अल्मोड़ा-हल्द्वानी राष्ट्रीय राजमार्ग 109 स्थित क्वारब एक डेंजर जोन बन गया है। आए दिन यहां पर पहाड़ी से भूस्खलन हो रहा है। जिस कारण लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। शनिवार दोपहर करीब डेढ़ बडे क्वारब में पहाड़ी से भूस्खलन हो गया। जिस कारण आवाजाही ठप हो गई।भारी भूस्खलन होने के कारण हाईवे के दोनों ओर वाहनों की लंबी कतार लग गई। पुलिस प्रशासन ने रूट डायवर्ट कर दिया है। अब वाहनों को अल्मोड़ा लमगड़ा-शहर फाटक व खैरना-रानीखेत मार्ग से भेजा जा रहा है। बता दें इस रूट पर रात में सफर करना खतरे से खाली नहीं है जिस कारण प्रशासन ने रात 8 से सुबह 6 बजे तक सभी वाहनों के लिए इसे पूरी तरह से प्रतिबंधित किया है। लेकिन लगातार हो रहे भूस्खलन से अब यहां दिन में सफर करना भी सुरक्षित नहीं है।जबकि प्रशासन द्वारा लगातार मार्ग की स्थिति की निगरानी की जा रही है। बहुत बड़ा प्रश्न है। पहाड़ के हिस्से क्या आएगा?लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं।लेखक वर्तमान में दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं।