ज्योतिर्मठ, 20नवंबर।
मिलेट्स”श्री अन्न” के महत्व, उनके स्वास्थ्य बर्धक गुणों और दैनिक आहार मे उनके समावेश के लाभोँ के प्रति ग्रामीण महिलाओं एवं छात्रों के बीच जागरूकता बढ़ाने के उदेश्य से कार्यशाला का आयोजन किया गया, “पानी व पोषण से स्वास्थ्य संबर्धन”विषय पर वक्ताओं ने महत्वपूर्ण जानकारी दी।
मंगलवार को “हिमवाल सोसाइटी” देहरादून एवं “यूकास्ट” देहरादून के सहयोग से गौरा देवी राजकीय पॉलिटेक्निक ढाक जोशीमठ में आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला मे पानी व पोषण के साथ ही भोजन विकास कार्यक्रम मुख्य थीम के रूप में रखी गई थी।
कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में डॉक्टर नंदकिशोर हटवाल ने परंपरागत खाद्य व्यंजन एवं मोटे अनाजों के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि पहाड़ की पहचान कौदा झंगोरा रहा है, उत्तराखंड राज्य के आंदोलन में भी “कोदा झंगोरा खाएंगे- उत्तराखंड बनाएंगे” नारे बुलंद रहे। उन्होंने कहा कि पौष्टिकता के आधार पर मोटे अनाजों को बढ़ावा देने के लिए निरंतर जागरूकता कार्यक्रम नितांत आवश्यक आवश्यक है।
विषय विशेषज्ञ के रूप में जनदेश संस्था के सचिव लक्ष्मण सिंह नेगी ने कहा कि वर्तमान समय में जलवायु संकट से बचने के लिए एकमात्र उपाय है कि मोटे अनाजों को बढ़ावा देने के लिए खाद्य व्यंजनों को स्थानीय स्तर पर उपयोग करने की आवश्यकता है। उनका कहना था पौष्टिक आहार का हनन से कुपोषण बढ़ रहा है, इसको कम करने के लिए मोटे अनाजों का उपयोग बढ़ाने की आवश्यकता है।
इस अवसर पर जसवीर सिंह प्रधानाचार्य राजकीय टेक्निकल तपोवन ने कहा कि परंपरागत खेती को बढ़ावा देने की आवश्यकता है जिससे लोगों को लाभ मिल सके। तपोवन के वन पंचायत सरपंच भालचंद्र चमोला ने कहां की पहाड़ों में जितने भी अनाज हैं सब औषधि युक्त हैं इनका उपयोग करने से बुद्धि का विकास और पौष्टिकता मिलती है शरीर का विकास होता है लोगों को इसका उपयोग करना चाहिए।
महिला मंगल दल ढाक की अध्यक्ष ने सभी अतिथियों का स्वागत किया, इस अवसर पर कई लोगो ने अपने विचार व्यक्त किया, पूर्व प्रधान रामेश्वर प्रसाद ने कहा कि महिला कार्यवोझ से मुक्ति के लिए सरकार को योजना बनानी चाहिए।
कार्यशाला में हिमवाल संस्था देहरादून की सचिव /वैज्ञानिक डॉ दीपिका डिमरी, जगदीश प्रसाद हटवाल, मोहन प्रसाद डिमरी, ढाक के सरपंच हरीश कैरणी, सहित अन्य लोगों ने अपने विचार व्यक्त किए।