• About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact
Uttarakhand Samachar
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
Uttarakhand Samachar

कागजों में चल रहा था राजाजी टाइगर रिजर्व फाउंडेशन

03/05/25
in उत्तराखंड, देहरादून
Reading Time: 1min read
0
SHARES
19
VIEWS
Share on FacebookShare on WhatsAppShare on Twitter

डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला

राजाजी टाइगर रिजर्व, जिसे अक्सर भारतीय वन्यजीवों और जैव विविधता के अद्भुत उदाहरण के रूप में
जाना जाता है, उत्तराखंड राज्य में स्थित है। यह रिजर्व हरिद्वार और देहरादून जिलों के बीच फैला हुआ है
और इसकी सुंदरता, वन्यजीवों की विविधता और पारिस्थितिकी की विशिष्टता इसे एक विशेष स्थान देती
है।राजाजी टाइगर रिजर्व का नाम प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी राजाजी के नाम पर रखा गया है, जो भारतीय
स्वतंत्रता संग्राम के एक महत्वपूर्ण नेता थे। यह रिजर्व 820.42 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है और
यह उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्र की विशिष्ट वनस्पति और जीव-जंतु का घर है। यहाँ की जैव विविधता में बाघ,
हाथी, तेंदुआ, काले भालू, विभिन्न प्रकार के हिरण और पक्षियों की कई प्रजातियाँ शामिल हैं।यह रिजर्व
पर्यटकों के लिए एक प्रमुख गंतव्य है, जहाँ वे प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेते हुए वन्यजीवों के करीब जा
सकते हैं। राजाजी टाइगर रिजर्व की खासियत यह है कि यहाँ एक साथ विभिन्न प्रकार के पारिस्थितिकी तंत्र
देखने को मिलते हैं, जैसे कि तराई वन, शुष्क क्षेत्र और घास के मैदान।राजाजी टाइगर रिजर्व में किए गए
प्रयासों के चलते बाघों की संख्या में भी वृद्धि हुई है, जो इसे बाघ संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान
बनाता है। यहां के गहन वन्यजीव संरक्षण और जैव विविधता के प्रयासों से यह सुनिश्चित किया गया है कि
भविष्य की पीढ़ियों को यह प्राकृतिक धरोहर मिलती रहे।इस रिजर्व में घूमने का अनुभव न केवल अद्वितीय
है, बल्कि यह पर्यावरणीय जागरूकता को भी बढ़ावा देता है। यहाँ आने वाले लोग न केवल वन्यजीवों को
देख सकते हैं, बल्कि यह भी समझ सकते हैं कि संरक्षण के प्रयासों का क्या महत्व है।इस प्रकार, राजाजी
टाइगर रिजर्व उत्तराखंड राज्य में स्थित है, और यह न केवल अपने वन्यजीवों के लिए, बल्कि अपने अद्भुत
परिदृश्य और पारिस्थितिकी तंत्र के लिए भी प्रसिद्ध है। यह स्थान हर किसी को प्राकृतिक सुंदरता और वन्य
जीवन के संरक्षण का महत्व समझाने का एक अद्भुत मौका प्रदान करता है।राजाजी टाइगर रिजर्व जैसे
अति संवेदनशील क्षेत्र से सटे निर्माण की एनओसी देने के मामले में गंभीर बात पकड़ में आई है। जिस शर्त
पर टाइगर रिजर्व प्रशासन ने निर्माण को एनओसी दी, इसकी एक शर्त के अनुसार टाइगर रिजर्व फाउंडेशन
को वन्यजीव संरक्षण के कार्यों के लिए 05 लाख रुपए जमा कराए जाने थे। लेकिन, सालों तक भी धनराशि
जमा नहीं कराई गई।जब मामला सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत एक अपील के रूप में सूचना
आयोग पहुंचा तो पता चला कि यह फाउंडेशन सिर्फ कागजों में संचालित हो रहा है। हालांकि, अब सूचना
आयोग में मामला उजागर होने के बाद न सिर्फ फाउंडेशन का गठन किया गया है, बल्कि पांच लाख की
धनराशि भी जमा करा दी गई है।गंगा दर्शन माई ग़िंदा कुंवर सुभाषघाट (हरिद्वार) के प्रबंधक ने राजाजी
टाइगर रिजर्व की हरिद्वार रेंज के वन क्षेत्राधिकारी से आरटीआइ में एनओसी को लेकर जानकारी मांगी थी।
जिसमें उन्होंने पूछा था कि मायापुर वन ब्लाक की सीमा पर निजी भूमि निर्मल पंचायती अखाड़ा की दी
गई एनओसी और उसकी शर्तों के विपरीत किए गए निर्माण पर क्या कार्रवाई की गई। तय समय के भीतर
उचित जानकारी न मिलने पर मामला सूचना आयोग पहुंचा। अपील पर सुनवाई करते हुए राज्य सूचना
आयुक्त ने दी गई एनओसी और शर्तों के उल्लंघन पर पूरी रिपोर्ट तलब की। पता चला कि यह एनओसी वर्ष
2013 में आवासीय निर्माण के लिए जारी की गई थी। जिसमें तय किया गया था कि संबंधित निर्माण से
निकलने वाले प्रकाश को वन क्षेत्र में रोकने की व्यवस्था करना अनिवार्य होगा। इसके अलावा राजाजी की
तरफ ग्रीन बेल्ट बनाकर चौड़ी पत्ती की ऊंची प्रजाति का पौधारोपण किया जाएगा। सूचना आयोग में यह
बात भी सामने आई कि राजाजी टाइगर रिजर्व की सीमा में किए गए निर्माण में शर्तों के उल्लंघन पर
वन्यजीव प्रतिपालक, हरिद्वार कार्यालय ने वर्ष 2021 से 2023 के बीच 08 पत्र जारी किए। जिसमें मानकों
का पालन न करने की दशा में एनओसी निरस्त किए जाने की चेतावनी जारी की गई थी।हालांकि,
अधिकारियों ने धरातल पर कुछ नहीं किया। इससे भी पता चलता है कि टाइगर रिजर्व प्रशासन के

जिम्मेदार अधिकारी अति संवेदनशील वन क्षेत्र में नियमों का पालन कराने में किस कदर हीलाहवाली
बरतते रहे। राज्य सूचना आयोग की एक सुनवाई ने वन विभाग की 13 साल पुरानी फाइल में जमी धूल
झाड़ दी. दरअसल, हरिद्वार निवासी की अपील पर हुई सुनवाई में खुलासा हुआ कि जिस टाइगर रिजर्व
फाउंडेशन में वन्यजीव संरक्षण के लिए रकम जमा होनी थी, वह फाउंडेशन सालों से सिर्फ कागज़ों में था.
वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के तहत प्रत्येक टाइगर रिजर्व में वन्य जीव के संरक्षण को लेकर काम करने
वाली टाइगर कंजर्वेशन फाउंडेशन का गठन अनिवार्य है. इसके बावजूद भी राजाजी टाइगर रिजर्व में
कंजर्वेशन फाउंडेशन का गठन नहीं हो पा रहा था. खास बात यह है कि प्रदेश में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में
काफी पहले ही इस तरह के कंजर्वेशन फाउंडेशन का गठन कर लिया गया था, लेकिन, राजाजी टाइगर
रिज़र्व इससे अछूता रह गया था. अब राजाजी टाइगर रिजर्व में भी टाइगर कंजर्वेशन फाउंडेशन का गठन
कर लिया गया है. सूचना आयोग में यह बात भी सामने आई कि राजाजी टाइगर रिजर्व की सीमा में किए
गए निर्माण में शर्तों के उल्लंघन पर वन्यजीव प्रतिपालक, हरिद्वार कार्यालय ने वर्ष 2021 से 2023 के बीच
08 पत्र जारी किए। जिसमें मानकों का पालन न करने की दशा में एनओसी निरस्त किए जाने की चेतावनी
जारी की गई थी।हालांकि, अधिकारियों ने धरातल पर कुछ नहीं किया। इससे भी पता चलता है कि टाइगर
रिजर्व प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी अति संवेदनशील वन क्षेत्र में नियमों का पालन कराने में किस कदर
हीलाहवाली बरतते रहे। इन सभी नियमों की अनदेखी के साथ ही यह बात भी सामने आई कि बहुमंजिला
निर्माण करते हुए वेडिंग प्वाइंट का भी निर्माण कर दिया गया है। मुख्य गेट भी पार्क की दिशा में खोला
गया है। जिससे वन क्षेत्र की तरफ तेज रोशनी का रुख होता है। यह बात भी सामने आई कि एनओसी की
शर्तों के विपरीत की गई गतिविधि को रोकने के नाम पर विभागीय अधिकारियों ने महज खानापूर्ति की
है। *लेखक विज्ञान व तकनीकी विषयों के जानकार दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं।*

ShareSendTweet
http://uttarakhandsamachar.com/wp-content/uploads/2025/02/Video-National-Games-2025-1.mp4
Previous Post

वन नेशन वन इलेक्शन देशहित में क्रन्तिकारी कदम- सीएम धामी

Next Post

युवाओं को कौशल विकास का प्रशिक्षण देकर संसाधनों का वैज्ञानिक विदोहन कर राज्य की आर्थिकी को मजबूत बनाया जाए: कल्याण सिंह रावत

Related Posts

उत्तराखंड

विश्व योग दिवस पर दिल्ली में आसन करेंगी उत्तराखंड की हर्षिका

June 20, 2025
6
उत्तराखंड

हेली क्रैश के बाद क्यों चर्चा में केदारनाथ पैदल मार्ग यहां हैं कई डेंजर जोन

June 20, 2025
7
उत्तराखंड

डोईवाला: लच्छीवाला रेलवे अंडरपास के नीचे बस खराब, घंटों बाधित रहा मार्ग

June 20, 2025
36
उत्तराखंड

“इकोलॉजी और इकोनॉमी के समन्वय” की भावना के अनुरूप ठोस और नवाचारपरक प्रस्ताव तैयार करें: मुख्यमंत्री

June 19, 2025
15
उत्तराखंड

आश्वासन देकर विधायक टम्टा ने कराया मोख तल्ला के ग्रामीणों का आंदोलन स्थगित

June 19, 2025
191
उत्तराखंड

कांग्रेसियों ने दिव्यांग बच्चों संग कैक काटकर वरिष्ठ नेता राहुल गांधी का मनाया जन्मदिन

June 19, 2025
5

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Popular Stories

  • चार जिलों के जिलाधिकारी बदले गए

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • डोईवाला : पुलिस,पीएसी व आईआरबी के जवानों का आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण सम्पन्न

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • ऑपरेशन कामधेनु को सफल बनाये हेतु जनपद के अन्य विभागों से मांगा गया सहयोग

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  •  ढहते घर, गिरती दीवारें, दिलों में खौफ… जोशीमठ ही नहीं

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • विकासखंड देवाल क्षेत्र की होनहार छात्रा ज्योति बिष्ट ने किया उत्तराखंड का नाम रोशन

    0 shares
    Share 0 Tweet 0

Stay Connected

संपादक- शंकर सिंह भाटिया

पता- ग्राम एवं पोस्ट आफिस- नागल ज्वालापुर, डोईवाला, जनपद-देहरादून, पिन-248140

फ़ोन- 9837887384

ईमेल- shankar.bhatia25@gmail.com

 

Uttarakhand Samachar

उत्तराखंड समाचार डाॅट काम वेबसाइड 2015 से खासकर हिमालय क्षेत्र के समाचारों, सरोकारों को समर्पित एक समाचार पोर्टल है। इस पोर्टल के माध्यम से हम मध्य हिमालय क्षेत्र के गांवों, गाड़, गधेरों, शहरों, कस्बों और पर्यावरण की खबरों पर फोकस करते हैं। हमारी कोशिश है कि आपको इस वंचित क्षेत्र की छिपी हुई सूचनाएं पहुंचा सकें।
संपादक

Browse by Category

  • Bitcoin News
  • Education
  • अल्मोड़ा
  • अवर्गीकृत
  • उत्तरकाशी
  • उत्तराखंड
  • उधमसिंह नगर
  • ऋषिकेश
  • कालसी
  • केदारनाथ
  • कोटद्वार
  • क्राइम
  • खेल
  • चकराता
  • चमोली
  • चम्पावत
  • जॉब
  • जोशीमठ
  • जौनसार
  • टिहरी
  • डोईवाला
  • दुनिया
  • देहरादून
  • नैनीताल
  • पर्यटन
  • पिथौरागढ़
  • पौड़ी गढ़वाल
  • बद्रीनाथ
  • बागेश्वर
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • रुद्रप्रयाग
  • रुद्रप्रयाग
  • विकासनगर
  • वीडियो
  • संपादकीय
  • संस्कृति
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • साहिया
  • हरिद्वार
  • हेल्थ

Recent News

विश्व योग दिवस पर दिल्ली में आसन करेंगी उत्तराखंड की हर्षिका

June 20, 2025

हेली क्रैश के बाद क्यों चर्चा में केदारनाथ पैदल मार्ग यहां हैं कई डेंजर जोन

June 20, 2025
  • About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.

No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.