गैरसैंण। उत्तराखंड युवा शक्ति संगठन की ओर से देहरादून से गैरसैंण तक निकली 300 कीमी की गैरसैंण राजधानी संकल्प यात्रा का 17 सितंबर को गैरसैंण रामलीला मैदान में पहुंच कर समापन हो गया।
यात्रा का गैरसैंण पहुंचते ही स्थाई राजधानी गैरसैंण संघर्ष समिति के अध्यक्ष नारायण सिंह बिष्ट व अन्य पदाधिकारयों एवं स्थानीय व्यापारियों सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा फूल मालाओं और जोरदार नारों के साथ भव्य स्वागत किया गया। इस मौके पर यात्रा के संयोजक राकेश नाथ ने कहा कि राज्य निर्माण आन्दोलन की तर्ज पर ही सभी उत्तराखंड प्रेमियों को एकजुट होकर आर पार का संघर्ष करने की जरूरत है। इसके लिए जनता के बीच गैरसैंण राजधानी को लेकर जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से ही यह संकल्प यात्रा का आयोजन किया गया।
उन्होंने कहा उत्तराखंड राज्य निर्माण के शहीद आन्दोलनकारीयों ने जिस पहाड़ी राज्य की परिकल्पना की थी उस राज्य निर्माण का मार्ग गैरसैंण ही होकर जाता है। पैदल यात्रा के दौरान उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों के बुद्धिजीवियों, आम जनता का पक्ष गैरसैंण राजधानी की ओर हो रहा है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत व राज्य सभा सांसद अनिल बलूनी को ज्ञापन प्रेषित कर जन भावनाओं को सरकार तक पहुंचाया जायेगा ।
उन्होंने कहा उत्तराखंड में बारी बारी से राज करनेे वाली दोनों राष्ट्रीय पार्टियों का गैरसैंण स्थायी राजधानी बनाने को ले कर ढुलमुल रवैया रहा है। उनको राज्य में जुड़े तराई क्षेत्र के वोटों का भय सता रहा है। उनका संघर्ष राजधानी गैरसैंण बन जाने तक जारी रहेगा।
गैरसैंण स्थायी राजधानी बनने से राज्य निर्माण के अमर शहीदों को सच्ची श्रृद्धांजली की साथ साथ एक ओर जहां पहाड़ के युवाओं को रोजगार के अवसर प्राप्त होने के साथ साथ पलायन पर भी काफी हद तक रोक लगेगी। राज्य बनने के 19 सालों बाद भी पहाड़ में समस्यायें पहाड़ जैसी ही बनी हैं। अस्पताल, स्कूल, कालेज, उद्योग धंधे, कृषि बागवानी आदि तमाम क्षेत्रों में स्थिति बद से बद्दतर होते जा रही है।
देहरादून से चले यात्रा दल के चार सदस्य संयोजक राकेश नाथ, घ्यान सिंह रावत, महेंद्र सिंह रावत, प्रेम प्रकाश ही गैरसैंण तक पहुंच पाये हैं। संयोजक ने बताया कि स्वास्थ्य संबंधी कारणों से कई लोग गैरसैंण तक नहीं पहुंच पाये। इस दौरान यात्रा समापन समारोह में भिकियासैंण से आये तुला सिंह तड़ियाल, मदन कठैत, रूद्रप्रयाग से राजे सिंह रावत, एडवोकेट के पी
ढौंडियाल, पुरूषोत्तम चंद्रवाल, जी आर खंडूडी और गैरसैंण स्थायी राजधानी संघर्ष समिति के नारायण सिंह बिष्ट, सभासद सरोज शाह, कृष्णा नेगी, कमला पंवार, काशी कंडारी, राम प्रसाद उप्रेती, घनश्याम सिरस्वाल, जसवंत बिष्ट, नंदन सिंह नेगी, रणजीत शाह, धनसिंह शाह, लक्ष्मी गुसोंई, पार्वती देवी, प्रताप सिंह राणा, मंजू तथा कर्णप्रयाग के छात्र नेता शिवराष्ट्र सेना के सदस्य सूरज व मनोज आदि मौजूद रहे।