डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
राष्ट्रीय महिला दिवस 13 फरवरी को स्वर कोकिला सरोजिनी नायडू के जन्म दिन के स्मरण में मनाया जाता है जबकि 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। 13 फरवरी को उनकी 146वीं जयंती है। सरोजिनी नायडू एक कवयित्री, राजनीतिज्ञ, और स्वतंत्रता सेनानी थीं। वे भारत की पहली महिला राष्ट्रीय कांग्रेस अध्यक्ष और संयुक्त प्रांत उत्तर प्रदेश की राज्यपाल भी बनीं। उन्हें ‘भारत की कोकिला’ या ‘नाइटिंगेल ऑफ़ इंडिया’ के नाम से भी जाना जाता है । सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी, 1879 को हैदराबाद में सरोजिनी चट्टोपाध्याय के रूप में हुआ था। उनके पिता अघोरनाथ चट्टोपाध्याय निज़ाम कॉलेज के प्रिंसिपल थे और महिलाओं के लिए सामाजिक सुधार और शिक्षा की वकालत करते थे। नायडू की माँ, वरदा सुंदरी , एक बंगाली लेखिका और नर्तकी थीं। ब्रिटिश सरकार ने भारत में प्लेग महामारी के दौरान उनकी उत्कृष्ट सेवा के लिए उन्हें ‘कैसर-ए-हिंद’ पदक से सम्मानित किया था।
उनकी शैक्षणिक योग्यता और राजनीतिक कौशल के कारण उन्हें 1925 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया । उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया और 21 महीने तक जेल में रहीं। सरोजिनी नायडू संविधान निर्माण में भी योगदानकर्ता थीं। महिला दिवस हमारे देश के इतिहास में एक महत्वपूर्ण उत्सव है। यह महिलाओं को सशक्त बनाता है और समाज में उनके योगदान को मान्यता देता है। सरोजिनी नायडू ने अपनी शिक्षा चेन्नई में पूरी की और उच्च शिक्षा के लिए लंदन और कैम्ब्रिज चली गईं। 2 मार्च 1949 को उत्तर प्रदेश के लखनऊ में दिल का दौरा पड़ने से उनकी मृत्यु हो गई।
सरोजिनी नायडू ने प्रेम, धर्म, रोमांस, देशभक्ति और त्रासदी के विषयों पर आधारित कई कविताएँ लिखी हैं। उनकी कुछ साहित्यिक कृतियां हैं – गोल्डन थ्रेशोल्ड(1905), किताबिस्तान, समय का पक्षी: जीवन, मृत्यु और वसंत के गीत, टूटा पंख: प्रेम, मृत्यु और वसंत के गीत, भारत का उपहार, भारतीय बुनकर, राजदंडधारी बांसुरी: भारत के गीत आदि। राष्ट्रीय महिला दिवस की सबको शुभकामनाएं।लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं।लेखक वर्तमान में दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं।