

फोटो–
01-चिनूक हेलीकाफ्टर ने लगातार दूसरे दिन भी उडान भरी।
02-आपदा के दिन से ही चट्टानों में फंसी गायें।
03- तपोवन घटनास्थल के टीक सामने के गाॅव भंग्यूल राहत सामग्री देता चाॅपर।
प्रकाश कपरूवाण
जोशीमठ। टनल के अंदर दलदल के कारण तीनों सेनाओं के साथ पैरामिलट्री फोर्स व एनडीआरएफ भी बेबस नजर आ रहे है। चैथे दिन भी टनल के अंदर टी-प्वाइंट पर नही पंहुच सके। परिजनो का सब्र का बाॅध मे टूटता नजर आ रहा है।
आखिर वैराज को तोडकर कितना मलबा टनल के अंदर घुसा जिसे साफ करने मे चार दिन का समय लग गया। लेकिन नतीजा कुछ भी नही निकल सका। टनल के अंदर जो 35लोग फॅसे है वे अब जीवित भी होगे या नही कुछ कहा नही जा सकता। इस बीच दिनभर इस बात पर चर्चा रही कि आखिर कैसे इस दलदल को साफ किया जाय। यह बात भी सामने आई कि ड्रिलिंग मशीन को सुरंग के अंदर ले जाकर ड्रिल करते हुए टी-प्वाइंट तक पंहुचा जाय। जबकि इस बात पर भी चर्चा हुई कि पंप के माध्यम से मलबे को बाहर निकालने का उपक्रम किया जाय। इस बीच आयुक्त गढवाल जो पहले दिन से मौके पर मौजूद है उन्होने भी अधिकारियांे के साथ बैठके कर कई विकल्पो पर चर्चा की।
चैैथे दिन भी लापता हुए लोगो के परिजन रोज की भाॅति घटनास्थल वैराज साइट पर रहे। उन्होने अभी भी कुदरत पर भरोसा है कि हो सकता है कि कोई जीवित निकल जाय। हाॅलाकि टनल से मलबा हटाने का काम डोजरो द्वारा जारी है। लेकिन जितना मलबा वो जिस स्थान से बाहर निकाल रहे है फिर उतना ही मलबा उसी स्थान तक पंहुच जा रहा है। जिसके कारण टी-प्वाइंट तक पंहुचने मे मुश्किलों का सामना करना पड रहा है।
इस बीच सडक संपर्क से कट चुके सीमांत गाॅवों मे जरूरत की वस्तुओं को चापर द्वारा पंहुचाने का काम जारी है। जहाॅ अस्थाई हेलीपेड नही है वहाॅ चापर समतल खेतो मे सामग्रियो को ड्राप कर रहा है। नंदा देवी से हिमस्खलन की घटना के बाद लगातार दूसरे बिन भी चिनूक हेलीकाफ्टर ने उडान भरी। हेलीकाफ्टर को नंदा देवी चोटी की ओर जाते देखा गया। ड्रोन कैमरे से भी दोनो प्रभावित स्थलो पर निगरानी की जा रही है।
इधर आपदा के दिन से दो गायें तपोवन से आगे बलदौडा नामक चटटान मे फंसी है। दलदल चटटान तक पंहुचने के कारण दोनो गाए दलदल मे है जहाॅ से उन्है निकलना मुश्किल हो रहा है। तपोवन के पूर्व प्रधान परमांनद पंत द्वारा इसकी जानकारी एनडीआरएफ व प्रशासन को भी दे दी गई है।