रिपोर्ट – सत्यपाल नेगी /रुद्रप्रयाग।
रुद्रप्रयाग : रुद्रप्रयाग वन प्रभाग द्वारा एक सराहनीय पहल की जा रही है,साथ ही धीरे धीरे चीड़ को लेकर लोगों की सोच मे फैली नफ़रत भी आर्थिकी का जरिया बन सकेगा.तो “अब नही बनेगा चीड़ पहाड़ के लिए अभिशाप।
डीएफओ रुद्रप्रयाग अभिमन्यु ने बताया कि उत्तराखंड के पहाड़ो मे चीड़ के पत्ते जिसे पिरुल के नाम से जाना जाता है,इसी पिरुल की पत्तियों के कारण हर वर्ष जंगलों में वनाग्नि की घटनाएं बहुत ज्यादा होती रहती हैं जिसके कारण पर्यावरण को करोड़ो का नुकसान हो जाता है यह आंकना भी मुश्किल होता है।पिरूल के कारण वनों मे फैलने वाली आग की रोकथाम के लिए पिरूल का ज्यादा से ज्यादा रोजगार परक स्तेमाल पर जोर दिया जा रहा,लोगों को आगे आकर सहयोग करने के लिए जागरूक भी किया जा रहा है।जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग के निर्देश पर एंव पिरुल की पत्तियों से वनाग्नि की रुद्रप्रयाग उप वन संरक्षक अभिमन्यु के कुशल नेतृत्व में कुछ दिनों पहले सिंगोली भटवाड़ी कैट प्लान के तहत लस्तर हिलाई फार्मर्स प्रोड्यूसर कम्पनी लिमिटेड के कार्यालय तिमली डोबलिया में पिरुल की पत्तियों से रोजगार के साधन जैसे सजावटी समाग्री,राखियां बनाने का प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में 58 महिलाओं ने प्रतिभाग किया और पिरुल की पत्तियों से सजावटी सामग्री और राखियां बनाने का प्रशिक्षण प्राप्त किया।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए वन दरोगा अनूप सिंह ने चीड़ की पत्तियों से जंगल को हो रहे नुकसान ओर हमारी सहभागिता अपने जंगलों के प्रति क्या है, इसपर विस्तार से बताया और पहाड़ में रोजगार का साधन यही पर आसानी से मिलने वाले कच्चे माल से तैयार सामग्री जिसमें पिरुल मुख्यतः है को रोजगार का साधन कैसे बनाया जाय के बारे में जानकारी दीं। वहीँ समूह से जुड़ी महिलाओं को प्रशिक्षण देते हुए मास्टर ट्रेनर इंदु नोटियाल ने कहा कि किसी भी कार्य को सीखने की कोई उम्र नही होती और अपने भीतर छुपी हुई कला को हम कैसे प्रदर्शित करें इसके लिए हमने अपने हुनर ओर लगन को एक साथ सामंजस्य बनाकर ऐसे कार्य करने हैं जिससे कि साथ कि महिलाओं के लिए भी स्वावलम्बन की मिशाल बन सकें। पहाड़ में महिलाओं को रोजगार के साधन नही मिलते हैं पर आज वह समय नही है जब ये बोला जाता था आज पहाड़ में महिलाएँ नए कृतिमान स्थापित कर रही हैं जिसमें की केंद्र सरकार व राज्य सरकार महिलाओं के लिए कई तरह के कार्यक्रम आयोजित कर रही हैं चाहे वह प्रशिक्षण हो या स्वरोजगार के लिए वित्तीय साधन हमें तय करना है कि हम ऐसे क्या कर सकतें हैं जो अलग उत्पाद हो और बाजार में हाथों हाथ बिक जाए। वहीँ महिलाओ से जब पिरुल पतियों के प्रशिक्षण को लेकर पूछा गया तो महिलाओं में बड़ा उत्साह दिखा और इसे बेहतर रोजगार का साधन बनाने के लिए दुबारा प्रशिक्षण दिलाने की भी महिलाओ ने बात कही जिससे कि कुशलतापूर्वक पिरुल उत्पाद को बाजार में उतारा जा सके। इस अवसर पर मास्टर ट्रेनर इंदु नोटियाल,मास्टर ट्रेनर हेमवंती मैठाणी,मास्टर ट्रेनर नीलम भट्ट,रिप परियोजना से ग्रुप मोबलाइजर सरोजनी देवी, एरिया कॉर्डिनेटर आशा भंडारी व वन विभाग रुद्रप्रयाग से वन दरोगा अनूप सिंह,राजेन्द्र रावत भी मौजूद रहे।