संयुक्त नागरिक संगठन के द्वारा पर्यावरण संरक्षण के विरुद्ध सहस्त्रधारा रोड,गणेशपुर से देहरादून आदि सडको के चौड़ीकरण मे प्रस्तावित हजारो पेड़ों के कटान पर रोक लगाने,राजधानी को कंक्रीट के जंगल मे बदलने से रोक लगाने समेत पर्यावरण के संरक्षण को लेकर,राज्यपाल को सम्बोधित ज्ञापन जिलाधिकारी के माध्यम से भेजा गया। ज्ञापन मे उल्लेख किया गया है की हिमालय की वादियो मे बसा उत्तराखंड पर्यावरण की दृष्टि से अत्याधिक संवेदनशील राज्य है ,जहा गंगा यमुना जैसी सदानीरा नदियों पूरे उत्तरी भारत को जलापूर्ति करती है।
राज्य के हरे भरे घने जंगलों से निकली छोटी-छोटी गैर हिमनदियों भी डांग गधेरों के द्वारा पर्याप्त जल मुहैया कराती हैं। इसी जल राशि से यह हिमानी नदियां वास्तविक रूप से पोषित होती है।इन विशाल जल संसाधनो में हमारे हरे-भरे जंगलों का भी अत्याधिक योगदान है।वर्तमान में विकास की विभिन्न संचालित योजनाओं के लिए राज्य के वनों का अत्याधिक ह्रास हुआ है।
कई हाइड्रो प्रोजेक्टस सहित सड़कों के निर्माण, विस्तारीकरण,चौड़ीकरण तथा स्थापत्य विकास योजनाओं के एवज में वनसंपदा के हरे भरे पेड़ों का भारी संख्या मे कटान हुआ है। शहरीकरण के विस्तार में भी कई हेक्टेयर वनो को नुकसान पहुंचा है 1 वैश्विक जलवायु परिवर्तन की भावी चुनौतियो को देखते हुए हमसब को हरियाली कार्यक्रम को अधिक गंभीरता से लेने की आवश्यकता है।
देहरादून जनपद में सहस्त्रधारा रोड के चौड़ीकरण में भी कई सैकड़ों पुराने पेड़ों को काटे जाने की योजना शामिल है। ज्ञापन सोपने वाले प्रतिनिधिमंडल मे ब्रिकेजीबहल, अध्यक्ष, संयुक्त नागरिक संगठन, पर्यावरणविद डाक्टर एस एस खेरा, एडवोकेट रवि सिंह नेगी संस्थापक क्षत्रिय चेतना मंच उत्तराखंड। प्रदीप कुकरेती जिलामहासचिव उत्तराखंड आंदोलनकारी मंच ,मुकेश नारायण शर्मा संयुक्त सचिव स्वतन्त्रता सेनानी उत्तराधिकारी कल्याण समिति,मेजर आर एस कैथुरा,संकल्प की अनिता नेगी,सोशल जस्टिस फाउंडेशन की आशा टमटा,पर्यावरणविद श्वेता राज तलवार,दून सिख फेडरेशन के सेवासिहं मठार,संसदे के संस्थापक सुशील त्यागी,समाज सेवी पीसी नागलिया, , जितेन्द्र डडोना संस्थापक दून फूड रिलीफ फंड आदि शामिल हुए।











