• About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact
Uttarakhand Samachar
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
Uttarakhand Samachar
No Result
View All Result

भेड़ पालकों का छः माह का प्रवास किसी साधना से कम नहीं

03/03/21
in उत्तराखंड, जॉब
Reading Time: 1min read
302
SHARES
378
VIEWS
Share on FacebookShare on WhatsAppShare on Twitter

डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
पहाड़ों में आजीविका का मुख्य साधन भेड़ पालन अब सिमट रहा है। इस वजह से ऊन का उत्पादन भी कम हो रहा है और इस ऊन के दम पर पनपने वाले कुटीर उद्योग जमीन पर टिक ही नहीं पा रहे हैं। हाल ये है कि एक समय में सबसे अधिक ऊन का उत्पादन करने वाले उत्तरकाशी में ही आठ गुना ऊन उत्पादन कम हो गया। ऊन का प्रयोग केवल दरियां और कालीन बनाने तक ही रह गया है। कभी पहाड़ों में हर घर में बुजुर्ग के हाथ में तकली घूमा करती थी। इनके हाथों से तकली गायब हो गई है। उत्तराखंड के 6 जिलों में करीब 17 हजार परिवार ही भेड़पालन व्यवसाय से जुड़े हैं। चारे की समस्या और ऊन के सही दाम न मिलने की वजह से नई पीढ़ी पुश्तैनी व्यवसाय अपनाने में रुचि नहीं दिखा रही है।

उत्तरकाशी जिले में अकेले 1200 मीट्रिक टन ऊन का उत्पादन होता था। जो महज 180 मीट्रिक टन पर सिमट कर रह गया है। हर्षिल घाटी में जाड़ जनजातीय समुदाय का बगोरी गांव स्थित है। जो अपने ऊन उद्योग और ऊनी सामानों के लिए देश और विदेश में विख्यात है, लेकिन आज यहां का ऊन उद्योग मात्र बुजुर्गों तक सीमित रह गया है। ग्रामीणों का कहना है कि पहले भेड़ पालन और ऊन उद्योग के लिए उद्योग विभाग और खादी ग्रामोद्योग की तरफ से ऊन खरीदी जाती थी, लेकिन आज किसी प्रकार का प्रोत्साहन इस उद्योग को बढ़ावा देने के लिए नहीं किया जा रहा है। यही कारण है कि इस पारंपरिक उद्योग से युवा पीढ़ी मुंह मोड़ रहा है। वर्ष 2012 में हुई पशु गणना में प्रदेश में भेड़ों की संख्या 3.69 लाख थी, लेकिन 2018 में हुई पशु गणना में भेड़ों की संख्या में कमी आई है। वर्तमान में उत्तराखंड में 538.24 हजार किलोग्राम ऊन का उत्पादन हो रहा है। भेड़ पालक का कहना है कि उत्तराखंड सरकार भेड़पालकों से 46 रुपये प्रति किलो की दर से ऊन खरीद रही है। जबकि हिमाचल के व्यापारी 75 रुपये किलो में मिश्रित ग्रेड की ऊन खरीद रहे हैं। भेड़पालकों को ऊनी वस्त्र तैयार करने का प्रशिक्षण तक नहीं दिया जाता। यदि ढांचागत सुविधाएं और हुनर विकसित किया जाए, तो भेड़ पालक उच्च गुणवत्ता के ऊनी धागे से बाजार में टिकने लायक उत्पाद तैयार कर सकते हैं। इससे घर बैठे रोजगार मिलने के साथ ही पलायन भी काफी हद तक रुक सकता है।

ऊंचाई वाले इलाकों में ग्रामीणों की आजीविका पारंपरिक रूप से भेड़.बकरी पालन पर टिकी थी। पहले उद्योग विभाग उत्तरकाशी, पुरोला और डुंडा में लगे कार्डिंग प्लांट की मदद से ऊन तैयार कर घरों में कताई बुनाई कर ऊनी वस्त्र तैयार करता था। आज स्थिति ये है कि कार्डिंग प्लांट बंद हैं और भेड़ पालक अधिकांश ऊन बाहरी राज्यों के व्यापारियों को औने पौने दामों पर बेचने को मजबूर हैं। थोड़ी बहुत ऊन को लुधियाना भेजकर इससे धागा तैयार कर कुछ ग्रामीण ऊनी वस्त्र तैयार तो कर रहे हैं, लेकिन महंगे और आकर्षक नहीं होने के कारण यह बाजारी प्रतिस्पर्द्धा में नहीं टिक पा रहे हैं। भेड़पालकों को कार्डिंग प्लांट से तैयार ऊन 105 रुपये किलो पड़ती है। जब इसे धागा तैयार करने के लिए लुधियाना स्पिनिंग मिल में भेजा जाता है तो यह धागा 800 रुपये किलो पड़ता है। यहीं स्पिनिंग मिल हो तो यह धागा 400 रुपये किलो में ही मिल सकता है। इसके साथ ही ऊन उत्पादकों को जरूरी हुनर एवं डिजाइन का प्रशिक्षण देना भी जरूरी है। उत्तरकाशी जिला में 1482 क्विंटल, चमोली में 1443, टिहरी में 608, रुद्रप्रयाग में 136, पिथौरागढ़ में 417, बागेश्वर में 289 क्विंटल ऊन का उत्पादन होता है वर्तमान समय में राज्य में 16 राजकीय भेड़.बकरी प्रजनन केंद्र है। लेकिन करीब तीन दशकों से इन केंद्रों में भेड़ों की नस्ल को नहीं बदला गया। मैरीनों भेड़ से 4 से 5 किलो. प्रति भेड़ ऊन प्राप्त होता है। जबकि पहाड़ों में पाई जाने वाले भेड़ों से 1.700 किलोण् ऊन निकलती है। वहीं, मैरीनों भेड़ का ऊन 16 से 19 माइक्रॉन का होता है। जो उच्च कोटि का मानना जाता है। लेकिन प्रदेश में 28 से 30 माइक्रॉन का ऊन उत्पादन हो रहा है। यह ऊन दरियां व कारपेट बनाने का काम आ रहा है। सरकार की यह योजना सफल हुई तो आने वाले समय में भेड़पालन व्यवसाय की तस्वीर बदल सकती है। जिससे पहाड़ों से पलायन भी रुकेगा।

भारतीय संस्कृति अरण्य प्रधान रही है! हमारे ऋषि दृ मुनियों ने पेड़ों के नीचे बैठकर मानव जीवन की गम्भीर समस्याओं पर चिन्तन किया और उपनिषदों तथा वेद पुराणों की रचना की! वे प्रकृति के पास शुद्ध भावना से गये और उसके प्रति आदर और प्रेम रखा! हम सब वनवासियों को विरासत में इन ऋषि मुनियों की सीख का फल मिला है! उनके बचन आज भी पर्वतों के वातावरण में गूंज रहे हैं! मनुष्य और प्राणियों का प्रकृति से जन्मजात सम्बन्ध रहा है और उन सम्बन्धों का निर्वहन आज भी छः माह सुरम्य मखमली बुग्यालों में प्रवास करने वाले भेड़ पालकों द्वारा किया जा रहा है! केदार घाटी के त्रियुगीनारायण पवालीकांठा, तोषी वासुकी ताल, केदारनाथ. खाम, चौमासी. खाम, रासी. मनणामाई, मदमहेश्वर. पाण्डवसेरा. नन्दीकुण्ड, बुरूवा. टिगरी.विसुणीतात, गडगू. ताली, तुगनाथ रौणी इलाकों के आंचल में फैले सुरम्य मखमली बुग्यालों में भेड़ पालकों द्वारा छः माह प्रवास कर अपनी पौराणिक परम्परा को जीवित रखने में अहम योगदान दिया जा रहा है!

भेड़पालकों का जीवन खानाबदोश जैसा है। पूरे वर्षभर भेड़ों के साथ रहने के कारण ये लोग अपने गांवों तक नहीं जा पाते हैं। ग्रीष्मकाल में उच्च हिमालयी बुग्यालों में तो शीतकाल में तराईए भावर में इनका जीवन गुजरता है। अलग.अलग स्थानों पर प्रवास करने के कारण इनका सारा जीवन टेंटों में गुजरता है। अधिकांश लोगों के पास टेंट तक नहीं होने के कारण मोटे कपड़े का टेंट बनाकर भेड़ पालक टेंटों में ठिठुरने को मजबूर रहते हैं। भेड़ों के साथ जाने वाले चरवाहों की हालत भी दयनीय ही रहती है।

Share121SendTweet76
https://uttarakhandsamachar.com/wp-content/uploads/2025/10/yuva_UK-1.mp4
Previous Post

105 वर्ष की उम्र में पं.महीधर बहुगुणा का निधन

Next Post

रेई में क्रिकेट प्रतियोगिता का समापन, खेलों के लिए सुविधा जुटाए सरकार

Related Posts

उत्तराखंड

पर्यटन स्थल हैं त्रिपुरा देवी मंदिर!

October 24, 2025
31
उत्तराखंड

चंपावत में खोला जाएगा कृषि विश्वविद्यालय : मुख्यमंत्री

October 24, 2025
6
उत्तराखंड

मुख्यमंत्री ने टनकपुर ( चंपावत) में भैया दूज (च्यूड़ा पूजन) समारोह में किया प्रतिभाग, महिलाओं ने किया पारंपरिक पूजन

October 24, 2025
6
उत्तराखंड

दून पुस्तकालय में बहे ऋत्विज पंत के शास्त्रीय गायन के रंग

October 24, 2025
3
उत्तराखंड

वार्षिक पत्रिका ‘प्रयास’ के 16वें संस्करण का हुआ विमोचन

October 24, 2025
5
उत्तराखंड

सरदार पटेल केवल भारत के लौह पुरुष नहीं, बल्कि एकता और अखंडता के प्रतीक थे – जिलाधिकारी

October 24, 2025
3

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Popular Stories

  • चार जिलों के जिलाधिकारी बदले गए

    67469 shares
    Share 26988 Tweet 16867
  • डोईवाला : पुलिस,पीएसी व आईआरबी के जवानों का आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण सम्पन्न

    45755 shares
    Share 18302 Tweet 11439
  • ऑपरेशन कामधेनु को सफल बनाये हेतु जनपद के अन्य विभागों से मांगा गया सहयोग

    38026 shares
    Share 15210 Tweet 9507
  •  ढहते घर, गिरती दीवारें, दिलों में खौफ… जोशीमठ ही नहीं

    37422 shares
    Share 14969 Tweet 9356
  • विकासखंड देवाल क्षेत्र की होनहार छात्रा ज्योति बिष्ट ने किया उत्तराखंड का नाम रोशन

    37293 shares
    Share 14917 Tweet 9323

Stay Connected

संपादक- शंकर सिंह भाटिया

पता- ग्राम एवं पोस्ट आफिस- नागल ज्वालापुर, डोईवाला, जनपद-देहरादून, पिन-248140

फ़ोन- 9837887384

ईमेल- shankar.bhatia25@gmail.com

 

Uttarakhand Samachar

उत्तराखंड समाचार डाॅट काम वेबसाइड 2015 से खासकर हिमालय क्षेत्र के समाचारों, सरोकारों को समर्पित एक समाचार पोर्टल है। इस पोर्टल के माध्यम से हम मध्य हिमालय क्षेत्र के गांवों, गाड़, गधेरों, शहरों, कस्बों और पर्यावरण की खबरों पर फोकस करते हैं। हमारी कोशिश है कि आपको इस वंचित क्षेत्र की छिपी हुई सूचनाएं पहुंचा सकें।
संपादक

Browse by Category

  • Bitcoin News
  • Education
  • अल्मोड़ा
  • अवर्गीकृत
  • उत्तरकाशी
  • उत्तराखंड
  • उधमसिंह नगर
  • ऋषिकेश
  • कालसी
  • केदारनाथ
  • कोटद्वार
  • क्राइम
  • खेल
  • चकराता
  • चमोली
  • चम्पावत
  • जॉब
  • जोशीमठ
  • जौनसार
  • टिहरी
  • डोईवाला
  • दुनिया
  • देहरादून
  • नैनीताल
  • पर्यटन
  • पिथौरागढ़
  • पौड़ी गढ़वाल
  • बद्रीनाथ
  • बागेश्वर
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • रुद्रप्रयाग
  • रुद्रप्रयाग
  • विकासनगर
  • वीडियो
  • संपादकीय
  • संस्कृति
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • साहिया
  • हरिद्वार
  • हेल्थ

Recent News

पर्यटन स्थल हैं त्रिपुरा देवी मंदिर!

October 24, 2025

चंपावत में खोला जाएगा कृषि विश्वविद्यालय : मुख्यमंत्री

October 24, 2025
  • About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.

No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.