थराली से हरेंद्र बिष्ट।
तो इस राज्य का जल निगम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्टों में सुमार हर हर घर जल, हर घर नल को अधिकारियों एवं कर्मचारियों की भारी किल्लत के बीच ही परवान चढ़ा देगा? इससे पीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट पर सवाल खड़े होने लगे हैं।
पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्टों में हर घर जल, हर घर नल भी शामिल है।जिसे कि 2020 में पूरे देश में शुरू किया गया था। इसके तहत उत्तराखंड में भी जोर.शोर से पहले चरण में हर घर तक पानी की लाइन ले जाने का कार्य लगभग पूरा हो गया है। दूसरे चरण में पाइप लाइनों, चैंबरों, टैंकों आदि के निर्माण कार्य शुरू हो चुके हैं। चमोली जिले के 9 ब्लाकों में भी कार्य शुरू हुए हैं। किंतु इस जिले के 9 में से 5 बड़े ब्लाकों थराली, देवाल, नारायणबगड़, कर्णप्रयाग एवं गैरसैंण में जेजेएम सहित अन्य मदों से बड़ी.बड़ी पानी की योजनाओं के निर्माण व रखरखाव की जिम्मेदारी संभाले उत्तराखंड जल निगम का कर्णप्रयाग डिवीजन में अधिशासी अभियंता का पद जहां पिछले 6 माह से रिक्त पड़ा हुआ है।
वहीं सहायक अभियंताओं के स्वीकृत तीन पदों के विरुद्ध यहां पर मात्र एक ही एई तैनात है। इसके अलावा आफिस स्टाफ की कमी से भी डिवीजन को जूझना पड़ रहा हैं। इसके चलते पीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट के सेकिंड फेज के स्टीमेट तक नही बन पा रहे हैं। जिसका विपरीत प्रभाव पेयजल योजनाओं के निर्माण पर पड़ने का खतरा उत्पन्न हो गया है। यही नही अरबों रुपयों की योजनाएं बनाने वाला यह डिवीजन 4 कमरों के दशकों पुराने भवन पर जैसे.तैसे संचालित हो रहा है। ऐसे हालातों में इस क्षेत्र में पीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट को कैसे एवं कितनी गति मिल सकती है स्वंयम अनुमान लगाया जा सकता है।
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पहाड़ी क्षेत्रों के तकनीकी विभागों में तकनीकी स्टाफ की कमी का सीधा प्रभाव विभागों की कार्यकुशलता पर पड़ता है। इसके अलावा निर्माण कार्यों पर भी इसका विपरीत प्रभाव पड़ता है। जल निगम कर्णप्रयाग में ईई एवं एई जैसे महत्वपूर्ण अधिकारियों की कमी के संबंध में वें तत्काल मुख्यमंत्री से मिल कर पदों के भरने की मांग उठाएंगे। ताकि पानी की समस्या से जूझ रहे ग्रामीणों को प्रर्याप्त पानी की आपूर्ति सुनिश्चित हों सके।