हरेंद्र बिष्ट की रिपोर्ट।
चमोली। सतत विकास के लिए समाज और विज्ञान में तालमेल बेहद आवश्यक है। इसके लिए स्कूल स्तर पर विज्ञान का समुदाय की जानकारी देना बहुत जरूरी हैं यह बात,यह बात समाज विज्ञानी उमाशंकर बिष्ट ने एक कार्यक्रम में कही।
उत्तराखण्ड विज्ञान शिक्षा एवं शोध केन्द्र (यूसर्क) एवं ग्राम्य शिक्षण पर्यावरण संस्था डुमक के संयुक्त तत्वाधान में जनता हाई स्कूल बेमरू में छात्र-छात्राओं का तीन दिवसीय कार्यशाला में बच्चों को मिट्टी व जल परीक्षण के माध्यम से हमारे आस-पास मिलने वाले इन बहुमूल्य प्राकृतिक संसाधनों की प्रकृति और गुणवत्ता की जानकारी दी गई। संस्था के मुख्य प्रशिक्षक प्रभा रावत और पंकज पुरोहित ने जल, जंगल व मिट्टी के संबंध में जानकारी दी
इस मौके पर विद्यालय प्रबन्धक बहादुर सिंह रावत ने कहा कि विज्ञान को व्यवहार में लाने के लिए प्रकृति की समझ जरूरी है। कार्यक्रम में राइका कल्कापुरी के विज्ञान भवन का छात्र-छात्राओं को भ्रमण करवाया गया।इस दौरान उन्हें उत्कृष्ट विज्ञान लैब की जानकारी देते हुए किए जाने वाले प्रयोगों के संबंध में जानकारी दी गई। इसके साथ ही औषधीय वन अनुसंधान पौधालय टंगसा का भी भ्रमण करवाया गया। इस इस दौरान वन आरक्षी श्रवण कुमार, पौधालय के संचालक लक्ष्मण सिंह व कस्तूरा देवी ने छात्रों को वनस्पतियों के संबंध में जानकारी दी। अंत में समाज विज्ञानी उमाशंकर बिष्ट ने कहा कि विज्ञान जीवन का अभिन्न अंग हैं उसे समझना हम सबको जरूरी हैं। उन्होंने छात्र, छात्राओं को विज्ञान के प्रति विशेष जागरूक कायम करने की अपील की।