डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
कुंभ मेले के भव्यता की चर्चा न सिर्फ भारत में बल्कि पूरी दुनिया में हो रही है महाकुम्भ 2025 में मौनी अमावस्या के पावन अवसर पर सरकार ने श्रद्धालुओं के अनुभव को यादगार बनाने के लिए विशेष तैयारी की है। इस अमृत स्नान पर्व पर श्रद्धालुओं पर आसमान से गुलाब की पंखुड़ियों से पुष्प वर्षा की जाएगी। अनुमान जताया जा रहा है कि मौनी अमावस्या पर 10 करोड़ श्रद्धालु अमृत स्नान करेंगे। पुष्प वर्षा का यह आयोजन श्रद्धालुओं के लिए अद्वितीय अनुभव और उत्साह का संचार करेगा और श्रद्धालुओं की धार्मिक आस्था और उत्साह को नई ऊंचाई देगा। श्रद्धालु इस अनोखे अनुभव को देखने और महसूस करने के लिए बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।महाकुंभ के सबसे बड़े अमृत स्नान पर्व मौनी अमावस्या पर दुर्लभ संयोग बन रहा है। पहली बार चतुष्पदीय महायोग में संगम की पावन धारा में डुबकी सर्वसिद्धियों की प्रदाता बनेगी। चार रूपों में ग्रहों की स्थितियां महायोग बना रही हैं। बुधादित्य योग के साथ सर्वसिद्धि योग में पुण्य की डुबकी लगेगी। चंद्रमा और सूर्य दोनों ग्रहों की एकसाथ युति मकर राशि में होगी। साथ ही गुरु भी वृषभ राशि में गोचर करते रहेंगे। इसके अलावा बिगड़े कार्यों को बनाने वाला बुधादित्य योग के साथ ही सिद्धि योग भी बन रहा है। इस योग में किए गए सभी कार्य सफल सिद्ध होंगे। अन्न, वस्त्र, फल के अलावा मनपसंद वस्तुओं के दान का फलित कई गुना अधिक होगा। महाकुम्भ 2025 में मौनी अमावस्या के अमृत स्नान के लिए देश भर से करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु प्रयागराज आ रहे हैं। मेला प्राधिकरण का अनुमान है कि मौनी अमावस्या पर्व पर लगभग 10 करोड़ श्रद्धालु पवित्र संगम में स्नान करेंगे। इस अवसर पर प्रयागराज रेल मण्डल ने श्रद्धालुओं की सुगम, सुरक्षित यात्रा और स्टेशन पर भीड़ प्रबंधन के लिए विशेष क्राउड मैनेजमेंट प्लान तैयार किया है। तीर्थयात्रियों को उनके गंतव्य स्टेशन के अनुसार दिशावार कलर कोडेड आश्रय स्थलों के माध्यम से प्लेटफार्म पर पहुंचाया जाएगा। सभी आश्रय स्थलों में खानपान के स्टाल, उद्घोषणा और पूछताछ काउंटर, प्राथमिक चिकित्सा, पेयजल एवं सार्वजानिक शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध रहेंगी। कुंभ मेला क्षेत्र में भगदड़ की खबरों पर प्रयागराज मेला प्राधिकरण की ओएसडी ने कहा कि मुझे जो जानकारी मिली है उसके अनुसार संगम नोज पर बैरियर टूटने के बाद भगदड़ जैसी स्थिति पैदा हो गई। इस घटना में कुछ लोग घायल हुए हैं। कोई भी गंभीर नहीं है और उन्हें आवश्यक उपचार दिया जा रहा है। महाकुंभ में आज मौनी अमावस्या के मौके पर संगम तट के पास भगदड़ मच गई। 15 लोगों के हताहत होने की खबर है और कुछ बेहोश हुए हैं। मौके पर मुस्तैद प्रशासन ने तत्काल राहत-बचाव का काम शुरू किया। फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है। बताया जाता है कि प्रयागराज के संगम तट पर अमृत स्नान से पहले देर रात करीब 2 बजे भगदड़ मच गई। इसमें कुछ लोगों के मरने की बात कही जा रही है। एक प्रत्यक्षदर्शी के मुताबिक भगदड़ मचते ही लोग दौड़ने लगे। अभी प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है। इससे कुछ महिलाएं जमीन पर गिर गईं और लोग उन्हें कुचलते हुए निकल गए। खबर मिलते ही 5 से ज्यादा एंबुलेंस घायलों को लेकर सेंट्रल हॉस्पिटल रवाना हुई हैं। घटना की सूचना पर कई एंबुलेंस की गाड़ियां संगम के पास पहुंच गई हैं। मौनी अमावस्या पर होने वाले अमृत स्नान को भारी भीड़ के चलते शैव अखाड़ों ने रोक दिया है। महानिर्वाणी और निरंजनी अखाड़े के साधु संत एवं नागा संन्यासी स्नान को नहीं निकले। हजारों की संख्या में नागा संन्यासी छावनी में ही मौजूद हैं। अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी का कहना है भारी भीड़ के चलते स्नान को रोका गया है। अगर स्थिति ठीक हुई तभी अखाड़े स्नान को निकलेंगे। अन्यथा स्नान को निरस्त कर दिया जाएगा। कुम्भ मेला डीआईजी ने दिनांक 28-01-2025 को मौनी अमावस्या पवित्र स्नान की शुभकामना देते हुए, शुभ मुहूर्त की जानकारी श्रद्धालुओं एवं स्नानार्थियों को दी और उनसे अपील की गई कि सभी श्रद्धालु एवं स्नानार्थी अपने नजदीकी घाट पर स्नान करके अपने-अपने गंतव्यों को रवाना हो जाएं। चूंकि मौनी अमावस्या के पवित्र स्नान पर करोड़ों श्रद्धालुओं एवं स्नानार्थियों के घाट पर आकर स्नान करने की सम्भावना है अतः श्रद्धालु स्नान करके घाट पर रात में न रुकें और न ही अपना सामान वहां पर छोड़ें ताकि बाद में आने वाले श्रद्धालुओं को भी शुभ मुहूर्त में स्नान करने का अवसर मिल सके । आनन-फानन पैरामिलिट्री फोर्स, एबुंलेंस को अलग-अलग स्थान से संगम की ओर रवाना किया गया। इसके बाद एंबुलेंस में तमाम श्रद्धालुओं को भरकर लाया गया। केंद्रीय अस्पताल में कई लोगों को जमीन पर लिटाया गया था, जिनके बारे में एक अस्पताल कर्मी ने कहा कि उनकी मौत हो गई है।महाकुंभ नगर में अमृतकाल की पूर्व संध्या पर ही प्रमुख सड़कों से लेकर गाटा मार्ग तक श्रद्धालुओं की श्रद्धा की गवाही दे रहे हैं। साधु-संतों से लेकर कल्पवासियों और संस्थाओं के शिविर पैक हो चुके हैं। पार्किंग स्थल वाहनों से फुल हो चुके हैं। रैन बसेरों में जगह ही नहीं बची है।लगभग साढ़े सात लाख वाहनों की क्षमता के कुल 105 पार्किंग स्थलों में ज्यादातर फुल हो चुके हैं। मेला के प्रवेश मार्गों चाहे शहर में अथवा नैनी, झूंसी या फाफामऊ में हों, सभी सड़कें श्रद्धालुओं से भर गईं। संगम समेत सभी 44 घाट स्नानार्थियों से ठस हैं। संगम तट से पहले बने द्वार के पास हुई भगदड़ के बाद स्थिति अनियंत्रित हो गई। कई श्रद्धालुओं की मौत और घायल होने से अफरातफरी मच गई। पुलिस, प्रशासन, आपदा प्रबंधन की टीम ने तत्परता दिखाते हुए राहत और बचाव कार्य शुरू किया। करीब तीन घंटे की बाद स्थिति को काफी नियंत्रित कर लिया गया। प्रशासन के अनुरोध पर अखाड़ा परिषद ने अमृत स्नान न करने का निर्णय किया है और कहा है कि वह मेला प्रशासन का पूरा सहयोग करेंगे। पब्लिक एड्रेस सिस्टम से लगातार संगम तट पर न आने के लिए श्रद्धालुओं से अनुरोध किया जाता रहा है, जबकि संगम के अलावा दूसरे घाटों पर श्रद्धालु स्नान करते रहे। बताया गया है कि संगम तट से कुछ दूर पहले बने द्वार पर उस समय हादसा हुआ जब आने-जाने वाले श्रद्धालु टकरा गए। स्नानार्थियों में आमना-सामना होने पर आगे निकलने के लिए धक्का-मुक्की शुरू हो गई। इसके बाद भगदड़ मच गई। केंद्रीय चिकित्सालय के बाद मौजूद कुछ प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि तेजी से भगदड़ हुई और लोग जमीन पर गिर पड़े। इसके बाद लोग उन पर चढ़ते गए। मेला क्षेत्र में सक्रिय एडीजी जोन भानु भास्कर, महाकुंभ मेलाधिकारी, आइजी रेंज, कमिश्नर पुलिस कमिश्रर ने भगदड़ की खबर पाते ही पूरे तंत्र को एक्टिव कर दिया। कुछ ही देर में वहां एंबुलेंस पहुंचने लगी और घायलों को अस्पताल लाया जाने लगा। मरीजों को अस्पताल ले जाने के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया। भोर तक सभी अधिकारी स्थिति को पूरी तरह से नियंत्रित करने के लिए प्रयासरत रहे। महाकुंभ में ‘मौनी अमावस्या’ पर ‘अमृत स्नान’ से पहले भगदड़ मच गई. आज यहां लगभग 10 करोड़ तीर्थयात्रियों के आने की उम्मीद है. हालांकि घायलों और मृतकों की सटीक संख्या की अभी पुष्टि नहीं की गई है. मौनी अमावस्या पर अमृत स्नान महाकुंभ का सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान है. इस साल, ‘त्रिवेणी योग’ नामक एक दुर्लभ खगोलीय संरेखण 144 वर्षों के बाद हो रहा है, जो इस दिन के आध्यात्मिक महत्व को बढ़ाता है.अधिकारियों ने बताया कि प्रतिनिधियों ने इस दौरान न केवल महाकुंभ के धार्मिक महत्व को समझा, बल्कि भारतीय संस्कृति के अद्भुत पहलुओं का भी अनुभव किया। आस्था के महासंगम में चहुंओर सारा दिन हर-हर गंगे के जयकारे गूंजते रहे। साधु संतों की उपस्थिति से वातावरण भक्ति रस से ओतप्रोत बना रहा। गरीब अमीर, जाति धर्म से परे आस्था का यह समागम देश की एकता और अखंडता का प्रतीक बन कर दुनिया भर में अपनी आभा फैला रहा था। इस मेले में पहुंचने के लिए दुनियाभर से करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे हैं. लोग थक भी रहे हैं लेकिन मां गंगा की आस्था सब पर भारी है.।लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं।लेखक वर्तमान में दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं।