रिपोर्ट – प्रकाश कपरूवाण।
जोशीमठ : जोशीमठ भू धंसाव प्रभावित क्षेत्रों मे अजीब सी वीरानगी छाई है,मकानों पर लाल निशान,पीड़ित परिवार घरों से सामान समेटते हुए,चेहरों पर उदासी व आँखों मे लिए राहत शिविरों मे जा रहे हैं। संकट जीवन बचाने के साथ वर्षों से एकत्रित घर गृहस्थी के सामान को भी सुरक्षित रखने का है। ऐतिहासिक-धार्मिक नगरी जोशीमठ को इस त्रासदी का सामना करना पड़ेगा यह किसी ने सोचा भी नहीं था,भू धंसाव प्रभावित इलाकों मे प्रतिदिन सुबह आठ बजे से विभिन्न दलों के नेताओं व मीडिया कर्मियों का जमावड़ा शुरू हो जाता है। पीड़ित परिवार सबके सामने अपनी हालात भी बयां कर रहे है,पर प्रभावित परिवारों के जहन मे जीवन भर की पूंजी-अचल संपत्ति के जमींदोज होने का दर्द साफ दिख रहा है। सबकी निगाहें अब पीएमओ द्वारा गठित भूगर्भ वेत्ताओं की टीम के सर्वेक्षण रिपोर्ट पर टिकी हैं,लेकिन मौसम विभाग की अगले एक दो दिनों मे वारिश की चेतावनी के कारण लोग सहमे हुए हैं,पीड़ित परिवार समझ नहीं पा रहे हैं कि आखिर कब तक राहत शिविरों मे खानाबदोश का जीवन गुजारना पड़ेगा। आपदा की इस घड़ी के शुरवाती दौर में शाशन-प्रशासन, मीडिया व नेताओं का जमावड़ा तो लग रहा है,लेकिन वो कब तक डेरा डालकर पीड़ितों का ढांढस बांधते रहेंगे ? अब जोशीमठ के सामने स्थाई विस्थापन ही एक मात्र विकल्प नजर आ रहा है, लेकिन विस्थापन कहाँ होगा,कौन सा स्थान भविष्य के लिए सुरक्षित होगा और पुराने जोशीमठ के ट्रीटमेंट पर कितना समय लगेगा यह सब भविष्य के गर्त मे है। जोशीमठ इन दिनों 46 वर्ष पूर्व मिश्रा कमेटी द्वारा किए गए सर्वेक्षण के बाद दिए गए सुझावों की अनदेखी का दंश झेल रहा है,लेकिन एनटीपीसी की टनल व बाईपास निर्माण भी इस भीषण त्रासदी का एक कारक है। अभी तो निर्माणाधीन टनल मे उफनती धौली नदी का प्रवाह ही शुरू नहीं हुआ,लोग आशंकित है कि धौली नदी के सुरंग मे प्रवेश के बाद क्या तपोवन से लेकर सेलंग- अणीमठ तक का पूरा क्षेत्र सुरक्षित रह पाएगा? इस चिन्ता व आशंका का प्रमुख कारण है जेपी एशोसिएट की जल विद्युत परियोजना,यह भी टनल आधारित परियोजना है,और लामबगड़ से चट्टानों के अंदर सुरंग बनाकर जोशीमठ के ठीक सामने चांई गावँ के नीचे पवार हाउस तक तैयार की गई। लामबगड़ से चांई गांव के तलहटी तक मात्र एक गांव चाईं टनल की चपेट मे आया और टनल में जल प्रवाह शुरू होते ही चाईं गांव भू धंसाव की भेँट चढ़ गया। इसलिए एनटीपीसी की निर्माणाधीन 520 मेघावाट की इस परियोजना पर जन भावना व जन सुरक्षा को देखते हुए जनहित मे त्वरित निर्णय लिया जाना ही हितकर होगा।