• About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact
Uttarakhand Samachar
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
Uttarakhand Samachar
No Result
View All Result

देहरादून में 12वां सस्टेनेबल माउंटेन डेवलपमेंट समिट प्रारंभ

26/09/25
in उत्तराखंड, देहरादून
Reading Time: 1min read
33
SHARES
41
VIEWS
Share on FacebookShare on WhatsAppShare on Twitter


हिमालयी क्षेत्रों में प्रकृति-सम्मत जनभागीदारी आधारित सतत विकास की आवश्यकता – सुबोध
देहरादून, 26 सितम्बर। दून विश्वविद्यालय के डॉ. दयानंद ऑडिटोरियम में इंटीग्रेटेड माउंटेन इनिशिएटिव (आईएमआई) द्वारा आयोजित 12वां सस्टेनेबल माउंटेन डेवलपमेंट समिट (SMDS-XII) का शुभारंभ हुआ। दो दिवसीय इस सम्मेलन का उद्घाटन उत्तराखंड सरकार के वन, भाषा एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री श्री सुबोध उनियाल ने दीप प्रज्वलन कर किया। उद्घाटन सत्र में मुख्य वक्ता प्रो. अनिल कुमार गुप्ता (आईसीएआर, रुड़की), दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल; जी.बी. पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण संस्थान (अल्मोड़ा) के निदेशक डॉ. आई.डी. भट्ट, आईएमआई अध्यक्ष (एवं पूर्व आईएएस अधिकारी), श्री रमेश नेगी, सचिव श्री रोशन राय और कोषाध्यक्ष श्रीमती बिनीता शाह मंच पर उपस्थित रहे।

अपने संबोधन में मुख्य अतिथि ने कहा कि हिमालयी क्षेत्र देश को लगभग 80 प्रतिशत जल आपूर्ति करता है, लेकिन वहीं यह समूचा भूभाग लगातार जलवायु आपदाओं से जूझ रहा है। उन्होंने इस वर्ष बरसात से समूचे हिमालयी राज्यों में हुई भीषण जन-धन हानि पर गहरी चिंता व्यक्त की और कहा कि अब समय आ गया है कि हम एक समन्वित, प्रकृति-सम्मत और जनभागीदारी पर आधारित सतत विकास कार्ययोजना तैयार करें।
उन्होंने कहा कि ऐसी कार्ययोजना वैज्ञानिक दृष्टिकोण से तो होनी ही चाहिए, लेकिन जब तक उसमें स्थानीय समुदाय की सीधी भागीदारी और सरोकार नहीं होगा, तब तक वह सफल नहीं हो सकती। “हमारे जल, जंगल और जमीन हमारे जीवन की नींव हैं। स्थानीय निवासी प्रकृति के इन तत्वों से आत्मीय रिश्ता रखते आए हैं और इसी कारण उनका संरक्षण एवं संतुलित उपयोग संभव हुआ है,”
मुख्य अतिथि ने उत्तराखंड में हो रहे सकारात्मक प्रयासों का उल्लेख करते हुए बताया कि बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम में प्रसाद सामग्री स्थानीय लोगों से ही उपलब्ध कराने को प्रोत्साहित किया जा रहा है। जंगलों में आग की घटनाओं को रोकने के लिए ग्रामीणों को पिरूल (चीड़ की सूखी पत्तियाँ) एकत्र कर बेचने से आर्थिक लाभ से जोड़ा गया है, जिससे वनाग्नि पर प्रभावी नियंत्रण पाया गया है।
उन्होंने यह भी कहा कि पलायन रोकने के लिए पर्वतीय अंचलों में इको-होम स्टे की पहल से अच्छे परिणाम सामने आए हैं। सांस्कृतिक और पारिस्थितिक परंपराओं को आगे बढ़ाते हुए हरेला पर्व पर 50 प्रतिशत फलदार वृक्षारोपण तथा जंगलों में 20 प्रतिशत वृक्षारोपण को अनिवार्य किया गया है।
कृषि क्षेत्र की बात करते हुए उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में जैविक खेती को लेकर ठोस पहल हो रही है। किसानों के जैविक उत्पादों की ब्रांडिंग कर उन्हें अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहचान दिलाने का प्रयास किया जा रहा है, जिससे किसानों को आर्थिक मजबूती और सम्मान मिल रहा है।
अपने संबोधन के अंत में श्री उनियाल ने कहा कि हिमालयी क्षेत्र का विकास तभी संभव है जब वह वैज्ञानिक दृष्टि से सुदृढ़ और जन-हितैषी हो। यही विकास भविष्य की पीढ़ियों के लिए टिकाऊ, सुरक्षित और समृद्ध जीवन सुनिश्चित करेगा।

उद्घाटन सत्र में सतत विकास और जनकेन्द्रित नीतियों की आवश्यकता पर बल
देहरादून, [तारीख] – उद्घाटन सत्र में मुख्य वक्ता डॉ. गुप्ता ने सभागार में उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा कि हम अपनी नीतियों और कार्यों में प्रकृति को केंद्र में रखने की बात तो करते हैं, परंतु व्यवहार में यह परिवर्तन प्रकृति-सम्मत दिखाई नहीं देता। उन्होंने कहा कि हिमालयी क्षेत्र में सतत विकास तभी संभव है जब विज्ञान और तकनीक का समन्वय परंपरागत ज्ञान के साथ किया जाए।
डॉ. गुप्ता ने जोर देकर कहा कि हमारे दैनिक जीवन के ताने-बाने में प्रकृति का समावेश होना चाहिए। उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि उत्तराखंड सहित अन्य राज्यों में तीर्थाटन और पर्यटन तो लगातार बढ़ रहा है, लेकिन इसके साथ ही हम पहाड़ों को प्लास्टिक से ढकते जा रहे हैं। “हम पर्यटन के माध्यम से आर्थिक लाभ तो कमा रहे हैं, लेकिन इसके बदले इन पर्वतों को विनाशकारी दौर में धकेल रहे हैं,” उन्होंने कहा।
सतत विकास के लिए उन्होंने कुछ ठोस सुझाव भी दिए—
• आपदा प्रबंधन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सदुपयोग
• आजीविका संवर्धन और आपदा नियंत्रण में परंपरागत ज्ञान का उपयोग
• कृषि पारिस्थितिकी को बढ़ावा देना और इसके लिए क्षमता विकास कार्यक्रम
• हिमालयी क्षेत्र में नवाचार (इनोवेशन) आधारित उद्यमिता को प्रोत्साहित करना
विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. सुरेखा डंगवाल ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि हमारे पास कई महत्वपूर्ण संस्थान हैं, जिन्हें आपसी समन्वय से कार्य करना होगा। “यदि हम मिलकर कार्य करेंगे, तो हमारे अनुभव, साझी सोच, शोध और सुझाव मिलकर एक मजबूत नीति और सकारात्मक परिणाम देंगे,” उन्होंने कहा।
कार्यक्रम में श्री रमेश नेगी ने कहा कि हिमालय अब अव्यवस्थित विकास नहीं झेल सकता। “हमें ऐसी राह चुननी होगी जो विज्ञान-सम्मत हो और जनता की सुरक्षा को प्राथमिकता दे। हिमालय को विज्ञान-आधारित और जनकेन्द्रित विकास की आवश्यकता है,” उन्होंने जोड़ा।
इस अवसर पर श्री रोशन राय ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया और आईएमआई के कार्यों पर प्रकाश डाला, जबकि श्रीमती बिनीता शाह ने मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन से हुई और उत्तराखंड की नीति घाटी की महिलाओं ने स्वागत गीत प्रस्तुत कर वातावरण को जीवंत बना दिया। सत्रारंभ से पहले सभी ने इस वर्ष बरसात में हताहत हुए लोगों को 2 मिनट का मौन रखकर श्रधांजलि दी. हुए पर्वतीय कार्यक्रम का संचालन डॉ. पल्लवी ने किया।

उद्घाटन सत्र में लगभग 250 अधिकारी, वैज्ञानिक, किसान और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हुए। सिक्किम, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के सुदूरवर्ती हिमालयी अंचलों से आए महिला और पुरुष किसानों ने सक्रिय भागीदारी की। कार्यक्रम स्थल पर स्थानीय उत्पादों की प्रदर्शनी भी लगाई गई, जिसने प्रतिभागियों का विशेष ध्यान आकर्षित किया। पहले दिन कुल तीन समानांतर सत्र आयोजित हुए, जिनमें पर्वतीय समुदायों के जमीनी मुद्दों और समाधान पर केंद्रित चर्चा हुई।
कल समापन सत्र में श्रीमती ऋतु खंडूरी, विधानसभा अध्यक्ष प्रतिभागियोको सबोधित करेंगी साथ ही कल के सत्र में श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत, सांसद एवं पूर्व मुख्यमंत्री विशिष्ट अतिथि होंगे.

: हरीश अंडोला, दून विश्वविद्यालय

Share13SendTweet8
https://uttarakhandsamachar.com/wp-content/uploads/2025/10/yuva_UK-1.mp4
Previous Post

राज्य सरकार दिव्यांगजनोें के अधिकारों एवं सम्मान की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध: धामी

Next Post

चिरायता पौधे के वरदान

Related Posts

उत्तराखंड

एसडीआरएफ के जवान सागर सिंह ने जीता वुशु प्रतियोगिता में कांस्य पदक

October 23, 2025
6
उत्तराखंड

सवाल उठ रहा है कि क्या ये योजनाएं इस अवधि में पूरी हो पाएंगी?

October 23, 2025
5
उत्तराखंड

रसायन विज्ञान पर लिखी किताबों भेंट की

October 23, 2025
9
उत्तराखंड

कपाट बंद होने के मौके पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी श्री केदारनाथ धाम पहुंचे

October 23, 2025
4
उत्तराखंड

केंद्रीय ओबीसी की सूची मे शामिल होने की आस लगाए सीमांत पैनखंडा समुदाय के लोगों का अब सब्र का बाँध भी टूटने लगा है

October 23, 2025
14
उत्तराखंड

सुबह साढ़े आठ बजे बंद हुए बाबा केदारनाथ के कपाट

October 23, 2025
4

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Popular Stories

  • चार जिलों के जिलाधिकारी बदले गए

    67469 shares
    Share 26988 Tweet 16867
  • डोईवाला : पुलिस,पीएसी व आईआरबी के जवानों का आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण सम्पन्न

    45755 shares
    Share 18302 Tweet 11439
  • ऑपरेशन कामधेनु को सफल बनाये हेतु जनपद के अन्य विभागों से मांगा गया सहयोग

    38026 shares
    Share 15210 Tweet 9507
  •  ढहते घर, गिरती दीवारें, दिलों में खौफ… जोशीमठ ही नहीं

    37422 shares
    Share 14969 Tweet 9356
  • विकासखंड देवाल क्षेत्र की होनहार छात्रा ज्योति बिष्ट ने किया उत्तराखंड का नाम रोशन

    37293 shares
    Share 14917 Tweet 9323

Stay Connected

संपादक- शंकर सिंह भाटिया

पता- ग्राम एवं पोस्ट आफिस- नागल ज्वालापुर, डोईवाला, जनपद-देहरादून, पिन-248140

फ़ोन- 9837887384

ईमेल- shankar.bhatia25@gmail.com

 

Uttarakhand Samachar

उत्तराखंड समाचार डाॅट काम वेबसाइड 2015 से खासकर हिमालय क्षेत्र के समाचारों, सरोकारों को समर्पित एक समाचार पोर्टल है। इस पोर्टल के माध्यम से हम मध्य हिमालय क्षेत्र के गांवों, गाड़, गधेरों, शहरों, कस्बों और पर्यावरण की खबरों पर फोकस करते हैं। हमारी कोशिश है कि आपको इस वंचित क्षेत्र की छिपी हुई सूचनाएं पहुंचा सकें।
संपादक

Browse by Category

  • Bitcoin News
  • Education
  • अल्मोड़ा
  • अवर्गीकृत
  • उत्तरकाशी
  • उत्तराखंड
  • उधमसिंह नगर
  • ऋषिकेश
  • कालसी
  • केदारनाथ
  • कोटद्वार
  • क्राइम
  • खेल
  • चकराता
  • चमोली
  • चम्पावत
  • जॉब
  • जोशीमठ
  • जौनसार
  • टिहरी
  • डोईवाला
  • दुनिया
  • देहरादून
  • नैनीताल
  • पर्यटन
  • पिथौरागढ़
  • पौड़ी गढ़वाल
  • बद्रीनाथ
  • बागेश्वर
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • रुद्रप्रयाग
  • रुद्रप्रयाग
  • विकासनगर
  • वीडियो
  • संपादकीय
  • संस्कृति
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • साहिया
  • हरिद्वार
  • हेल्थ

Recent News

एसडीआरएफ के जवान सागर सिंह ने जीता वुशु प्रतियोगिता में कांस्य पदक

October 23, 2025

सवाल उठ रहा है कि क्या ये योजनाएं इस अवधि में पूरी हो पाएंगी?

October 23, 2025
  • About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.

No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.