प्रकाश कपरूवाण
जोशीमठ। पहले बर्फ के लिए मनौतियाॅ अब बर्फ मे विचरण के लिए टैक्स वसूली की तैयारी। जी हाॅ राज्य सरकार के पर्यटन महकमे द्वारा जारी किए गए नये फरमान से तो ऐसा ही लग रहा है। पर्यटन महकमे द्वारा जारी किए गए नए आदेश के अनुसार औली मे बर्फ से पटी स्कीइंग ढलान की ओर बर्फ मे विचरण करना है तो न केवल पर्यटकों को ब्लकि स्थानीय लोगों को भी निर्धारित शुल्क अदायगी करनी होगी। इस नए आदेश के बाद जीएमवीएन भी स्वयं को असहज महसूस कर रहा है।
शीतकाल मे भी पर्यटको का रूख उत्तराख्ंाड राज्य की ओर बना रहे इसके लिए विश्व विख्यात हिमक्रीडा केन्द्र को शीतकालीन स्की रिजोर्ट के रूप मे विकसित किया गया। और यहाॅ प्राक्रतिक स्कीइंग स्लोप का विस्तार कर अंर्तराष्ट्रीय मानको के अनुसार स्कीइंग स्लोप तैयार किया गया। और इस स्लोप पर अंर्तराष्ट्रीय स्तर के सैफ गैम्स का आयोजन भी किया जा चुका है। लेकिन अब अचानक पर्यटन महकमे को स्की स्लोप पर बर्फ बची रहे इसके लिए स्लोप पर जाने वालो से शुल्क लिये जाने का फैसला कर लिया गया है। औली मे करीब डेढ किमी0 से अधिक का स्कीइंग स्लोप है जो औली बुग्याल व स्थानीय गाॅवांे के गौचर/पनघट को रौंद कर तैयार किया गया हैं। इस स्लोप के निर्माण के लिए स्थानीय लोगो की भूमि अधिग्रहित की गई। स्थानीय लोगो ने भी प्रदेश मे पर्यटन से स्वरोजगार मिले इसके लिए खुशी-खुशी भूमि भी दे दी। लेकिन अब राज्य के पर्यटन महकमे ने एक फरमान जारी कर कह दिया है कि स्कीइंग स्लोप जिसकी आज तक कोई फैनसिंग नही हुई है उस स्लोप पर जाने के इच्छुक पर्यटको से पाॅच सौ रूपया व स्थानीय लोगो से दो सौ रूपया शुल्क लिया जाय।
विना फैनसिंग के डेढ किमी के स्लोप एरिया मे जाने से पर्यटको को व स्थानीय नागरिकों को कैसे रोका जाय! यह तो पर्यटन महकमा ही जाने लेकिन इस फैसले से औली की शीत वादियों मे गर्माहट जरूर शुरू हो गई है। औली मे शीतकालीन पर्यटन के माध्यम से स्थानीय बेरोजगार युवावो को रोजगार मिले इसके लिए जोशीमठ, रविग्राम, सलूड-डंुग्रा आदि क्षेत्रों के ग्रामीणों ने स्वय की काश्त की भूमि को बर्फ मे फिसलने के इस खेल के लिए समर्पित कर दिया। इन ग्रामीणों को क्या पता था कि आने वाले वर्षो मे अपनी भूमि मेब र्फ को देखने व विचरण करने के लिए उन्है भी शुल्क अदायगी करनी होगी।
सवाल यह है कि वामुश्किल औली शीतकालीन पर्यटन मानचित्र पर उभर रहा है, और धीरे-धीरे पर्यटकों की ंसंख्या मे भी इजाफा हो रहा है। ऐसे मे सिर्फ बर्फ को नजदीक से देखने व छूने के लिए सैकडो किमी0 दूर से पर्यटक औली पंहुच रहे है और यहाॅ बर्फ मे चलने के लिए भी शुल्क अदायगी करनी होगी तो क्या इस कुप्रभाव इस उभरते शीतकालीन क्रीडा केन्द्र पर नही पडेगा! स्कीइंग स्लोप के दोनो ओर विना तार-बाड किए कैसे शुल्क वसूला जाऐगा यह एक गंभीर विषय बन गया है। जीएमवीएन औली को इस प्रकार के शुल्क वसूली के आदेश मिल चुके है इसकी पुष्टि निगम के क्षेत्रीय प्रबंधक एसपीएस रावत ने भी की है।
जीएमवीएन के महाप्रबंधक-पर्यटन बीएल राणा का कहना है कि शासन की मंशा स्कीइंग स्लोप पर जमी बर्फ को स्कीइंग स्पर्धाओ के आयोजन के लिए बचाना है। हाॅलाकि उनका यह भी मानना था कि विना फैनसिंग के डेढ किमी क्षेत्र मे पर्यटको को रोक पाना संभव नही होगा। लेकिन इस फैसले से स्लोप पर जाने वालो की कमी अवश्य होगी। उनका यह भी कहना था कि यह फैसला सिर्फ स्कीइंग स्लोप पर जाने वालो के लिए है। स्लोप से बाहर कही भी धूमने पर शुल्क नही होगा।
औली जहाॅ खेलो से पहले बर्फबारी प्रचुर मात्रा मे हो इसके लिए सरकारी महकमे भी लाता नंदा देवी सहित विश्वकर्मा मंदिर मे जाकर बर्फ के लिए मनौतियाॅ मांगते थे। ताकि बर्फ गिरने के बाद लोग औली का रूख कर सके। लेकिन अब उस बर्फ मे जाने का ही शुल्क देना पडेगा यह किसी के गले नही उतर रहा है। होटल एशोसिएशन जोशीमठ के उपाध्यक्ष सुभाष डिमरी कहते है कि स्लोप पर बर्फ को बचाए रखना बेहद जरूरी है लेकिन इसके लिए पहले पूरे स्लोप की फैनंिसंग/जाली लगाई जानी चाहिए। यदि स्लोप के दोनो ओर जाली लगी रहेगी तो पर्यटक व आमआदमी स्वत ही स्लोप पर जाने से परहेज करेगा।
ब्लाक कांग्रेस अध्यक्ष हरीश भंडारी का कहना है कि यदि स्थानीय लोगो से बर्फ मे जाने का किसी भी प्रकार को शुल्क लिया जाऐगा तो इसका पुरजोर विरोध किया जाऐगा।