ज्ञानव्यापी मंदिर-मसजिद विवाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचने के बाद वापस जिला न्यायालय पहुंच गया है। मसजिद के सर्वेक्षण शिवलिंग मिलने का दावा किया जा रहा है, हिंदू पक्ष जिसे ज्ञानव्यापी मसजिद के मंदिर होने का सबसे बड़ा प्रमाण मान रहा है, मुसलिम पक्ष इसे फब्बारा बता रहा है। इस विवाद के बीच जब सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर जिला न्यायालय में मामले की सुनवाई चल रही है, एक बहुत बड़े गवाह के तौर पर सरकारी दस्तावेज सामने आया है, जिसे उत्तर प्रदेश डिस्टिक्ट गजेटियर 1965 के नाम से जाना जाता है। इस गजट में साफ तौर पर कहा गया है कि बनारस में मंदिर तोड़ने का क्रम 1033-41 में मोहमद गजनी के गर्वनर नैलटिगिन के कार्यकाल में शुरू हुआ। 9 अप्रैल 1669 को ओरंगजेब से बनारस के सभी हिंदू मंदिरों और स्कूलों के ध्वस्तीकरण के निर्देश जारी कर दिए।
गजट के पेज संख्या 38 से लेकर 57 और अन्य पृष्ठों में साफ तौर पर कहा गया है कि किस तरह हिंदू मंदिरों और स्कूलों को ध्वस्त किया गया है। यह सरकारी दस्तावेज जो तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा 1965 में प्रकाशित किया गया है, माना जा रहा है कि ज्ञानव्यापी मामले की सुनवाई में सबसे बड़े गवाह के तौर पर कोर्ट में पेश किया जा सकता है।