शंकर सिंह भाटिया
देहरादून। विभाग-दर-विभाग उत्तराखंड में सामने आ रहे भर्ती घोटालों को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी गंभीर नजर आ रहे हैं। राज्य में जिस तरह भर्तियों में बड़े पैमाने पर मनमर्जियां हुई हैं, संभव है, उससे निपटने के लिए मुख्यमंत्री सीबीआई जांच की सिफारिश कर सकते हैं। क्योंकि उत्तराखंड में भर्ती घोटाने की जड़ें बहुत गहरी हैं, एसआईटी जांच से उन्हें पूरी तरह बेपर्दा किया जाना संभव नहीं है। चूंकि विधानसभा एक संवैधानिक स्वायत्त संस्था है, उसके कार्यों में राज्य सरकार हस्तक्षेप नहीं कर सकती है, इसलिए उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर विधानसभा में हुई भर्तियों की जांच कराने का आग्रह विधानसभा अध्यक्ष से किया है।
अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा दिसंबर 2021 में कराई गई स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा के पेपर लीक का मामला सामने आने के बाद विभाग-दर-विभाग भर्तियों में की गई अनियमितताएं सामने आने लगी। सरकारी विभागों में भर्ती में मनमानी की एक के बाद एक अनियमितताएं सामने आ रही हैं। जिसका क्रम थम नहीं रहा है। नियम कानूनों के अनुपालन की जिन पर जिम्मेदारी थी, उन्होंने अपनों को नौकरी देने और नौकरी के बादले पैसा कमाने के लिए सभी नियमों को तार-तार कर दिया है। यह अनैतिक काम कोई आज ही हुआ है, ऐसा नहीं है, राज्य बनने के साथ ही यह अनैतिक काम शुरू हो गया था। अब यह बेशर्मी की हद तक बढ़ गया है। यदि सरकार की जिम्मेदारी संभाल रहे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भर्तियों में हुई धांधलियों को बेपर्दा नहीं किया तो फिर हालात काबू से बाहर हो जाएंगे। मुख्यमंत्री को शायद इस बात का आभास है, इसलिए उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर विधानसभा में हुई भर्तियों की जांच कराने का आग्रह किया है।
अब तक अधीनस्थ सेवा चयन आयोग चयन आयोग द्वारा आयोजित की गई स्नातक स्तरीय भर्ती की जांच एसटीएफ कर रही है। इसके अलावा अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की दो और भर्तियों सचिवालय सुरक्षा और वीडीओ वीपीडीओ भर्ती के अलावा पंतनगर विश्वविद्यालय द्वारा की गई दरोगा भर्ती की जांच की जा रही है। अब मुख्यमंत्री द्वारा विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर विधानसभा में हुई भर्ती की जांच करने का आग्रह किया गया है।
लेकिन सवाल सिर्फ इतना ही नहीं है। एम्स ऋषिकेश में नर्सिंग के 600 पदों पर एक ही राज्य राजस्थान के लोगों की भर्ती होना, हर भर्ती में एक गिरोह की सक्रियता, भाजपा सरकार के एक पूर्व मंत्री पर बिहार से लाकर अपने सजातीय भाईयों की भर्ती कराने को लेकर लग रहे कई आरोपों से सरकार तभी बच सकती है, जब इन सभी प्रकरणों की निष्पक्ष जांच हो पाएगी।
सवाल और भी हैं, कांग्रेस पार्टी की सरकार के दौरान विधानसभा अध्यक्ष रहे गोविंद सिंह कुंजवाल अपने बेटे बहू को नौकरी में रखने के लिए जनता से माफी मांगने को तैयार हैं, लेकिन वे माफी इसलिए मांगना चाहते हैं कि उनके बेटे बहू की नौकरी बनी रहे। क्या यह संभव है, जिसके लिए कुंजवाल माफी मांग रहे हैं, वह अवैध होने के साथ ही अनैतिक कार्य है, क्या माफी मांग कर अवैध को वैध किया जा सकता है?
एक अन्य पूर्व विधानसभा अध्यक्ष भाजपा की पिछली सरकार में रहे प्रेम अग्रवाल हैं। वह अपने सभी अवैध कार्यों को वैध ठहरा रहे हैं। इसके लिए वह कोर्ट की आड़ भी ले रहे हैं, अवैध कार्यों के लिए उनकी यह सीना ठोकू मुद्रा बहुत कुछ बयान करती है। एक सीना ठोकू मंत्री रेख आर्या वर्तमान सरकार में मंत्री हैं, जो अफसरों को नौकरी देने के लिए लिखी गई अपनी छिट्ठी को अपना अधिकार बता रही हैं और भविष्य में भी ऐसा करते रहने की हुंकार भर रही हैं।
ये सारे घटनाक्रम साबित करते हैं कि जो भी सरकार में रहा उसी ने अवैध और अनैतिक कार्य किए हैं। यह परंपरा उत्तराखंड में बहुत गगहरी पैंठ बना चुकी है। यदि इसे यहीं नहीं रोका गया और अवैध करने वालों को कानून के अनुसार सजा नहीं दी गई तो हालात काबू से बाहर हो जाएंगे।
यह एक कटु संदेश भी पूरे देश दुनिया में दे रहा है कि उत्तराखंड में सरकारी नौकरियां बिकती हैं या फिर नेताओं की सिफारिश पर दी जाती हैं। मेहनत करने वाले छात्रों का यहां कोई भविष्य नहीं है। किसी समाज में इस तरह का संदेश जाना राज्य की सरकार की सेहत के लिए अच्छा नहीं होता। सरकार पर पुनः विश्वास कायम करने के लिए सरकार को निष्पक्ष जांच करानी होगी। दोषियों को सजा दिलानी होगी।