रिपोर्ट- सत्यपाल नेगी/रुद्रप्रयाग
जनपद रुद्रप्रयाग की भटवाड़ी गाँव के पूर्व सैनिक व वन सरपंच की सुन्दर सोच व कड़ी मेहनत से 25 सालो से बंजर पड़ी जमीन,अब फिर से आबाद होने जा रही है।यह अपने आप मे बेहतरिन उदाहरण भी है।
*हम आपको तस्वीरे दिखा रहे है कि कैसे बंजर जमीन पर सुन्दर फलदार पेड़ तैयार हो रहे है यह अपने आप मे जीता जागता बेहतरीन उदाहरण भी है* जी हॉ हम आपको रुद्रप्रयाग जिले की भटवाड़ी गाँव के लोगों द्वारा एक नायब शुरुआत की तस्वीरे दिखा रहे है, अगर मौसम व सब कुछ सही चलता रहा तो जल्द ही 25 सालो से बंजर खेती एक बड़ी फल पट्टी के रूप मे दिखेगी।
आपको बता दे कि कोरोना महामारी के चलते लोग अपने गाँवो-घरो पहुचे तो खाली बैठे रहने से ऊभ चुके इन ग्रामीणों ने एक नई सोच के साथ फिर से अपनी बंजर जमीनों पर फलदार पौधे,चारापती,एंव दाल बौ कर गुलजार करने की ठान ली है।
भटवाड़ी गाँव विकास खण्ड अगस्त्यमुनि रुद्रप्रयाग की सारी न्याय पंचायत के अन्तर्गत आता है। यहॉ कभी इस खेती मे गेहू,दाल,जौ,सरसो,हर सीजन की फसले हुआ करती थी। मगर उत्तराखण्ड राज्य बनने के बाद से अचानक पर्वतीय लोगों ने अच्छी शिक्षा-स्वास्थ्य की कमी को देखते हुए पहाड़ो-गाँवो से मैदानों की ओर पलायन करना शुरू कर दिया,जिसके कारण पहाड़ो मे खेती भी बंजर होने लगी। जानकारों की माने तो पलायन के साथ साथ,यहॉ पर जंगली जानवरो जैसे-बन्दरो,सुअरो,लंगूरो आदि का बड़ा आतंक-नुकसान भी बढ़ने से लोगों ने खेती करना छोड़ दिया है।
भटवाड़ी गाँव के वन सरपंच सुरेंद्र सिह जगवाण एंव पूर्व सूबेदार तीरथ सिह रावत की पहल पर लगभग 8 से 10 नाली बंजर भूमि को फिर से फल पट्टी तैयार करने की सराहनीय पहल शुरू हुई है,,अभी इस जमीनी मे आम,अमरूद,अखरोट,नींबू,अदरक, के साथ-साथ औषधी पौधे,एलोबेरा,आँवला,तुलसी आदि भी उगाये जा रहे है। साथ ही मौसमी सब्जी कददू, लौंकी,खीरा ,दाले भी लगाई गई है। अगर सभी ग्रामीणों व परिवारो का सहयोग मिला तो यहॉ पर लगभग 100 से 150 नाली बंजर खेती भी जल्द बड़े पैमाने पर आबाद हो जायेगी।
बड़ी कठिन मेहनत करके इस बंजर भूमि को आबाद किया जा रहा है,अभी 4 परिवारो की इस जमीन के चारो तरफ घेरबाड़ भी किया जा चुका है।
सूबेदार तीरथ सिह रावत व सुरेन्द्र सिह जगवाण का कहना है कि हमने कृषि-उद्यान,व वन विभागों को इस सम्बन्ध मे प्रार्थना पत्र दिये है ताकि विभागों से हमे तार बाड़, पेड़-पौधे तथा पानी की मदद के लिए सहयोग मिले,जिससे हम ओर बची बंजर भूमि को भी आवाद कर सके।
क्योकि अभी यहॉ पर पानी की बड़ी समस्या है,,बहुत दूर से पानी लाना पड़ता है,हालाकि इन्होंने यहॉ पर एक पानी का टैंक भी बना रखा है ताकि बारिश का पानी इसमे जमा हो ओर हमे पोधो मे डालने को आसानी मिले। इन सेवानिवृत 60 साल के दोनो लोगों के जज्बे से अन्य युवाओ व ग्रामीणों को भी प्रेरणा लेनी होगी, जिससे आने वाले समय मे अपने ही गाँवो-घरो मे रहकर अपनी आर्थिकी भी मजबूत कर सकेंगे।साथ ही पलायन भी रुकेगा,ओर खेती बंजर होने से भी बचेगी। राज्य सरकार व जिला प्रशासन ऐसे सेवानिवृत सैनिको की मेहनत को जरूर देखे साथ ही इनके हौसले को बढाने के लिए सरकारी सहयोग भी करे। हम भी ऐसे कृषको को सलाम करते है