सड़क के लिए लंबे समय से शासन.प्रशासन के चक्कर काट रहे थे लोग।सरकार को आईना दिखाती ग्रामीण जनता
रिपोर्ट.सत्यपाल नेगी/रुद्रप्रयाग।
जनपद रुद्रप्रयाग के रानीगढ़ क्षेत्र मे जसोली गांव के ग्रामीणों ने सिस्टम से हारकर अब अपने हाथों में सब्बल, गैंती, कुदाल, फावड़ा उठाकर स्वयं ही सड़क का निर्माण कार्य शुरू कर दिया है। इसमें बड़ी संख्या में महिलाएं.पुरुष शामिल हैं। सड़क निर्माण के लिए ग्रामीण चंदा भी एकत्रित कर रहे हैं।
आपको बता दे कि स्थानीय ग्रामीण लंबे समय से करीब डेढ़ किमी जसोली. जीआईसी चमकोट मोटरमार्ग निर्माण की मांग कर रहे हैं। इस मोटरमार्ग के बनने से जसोली गांव की अनुसूचित जाति की बस्ती के साथ ही राजकीय इंटर कॉलेज, स्वास्थ्य केंद्र, आंगनबाड़ी केंद्र को भी जुड़ना है। सड़क के लिए स्थानीय लोग कई बार शासन.प्रशासन के चक्कर भी काट चुके हैं। लेकिन किसी के कान में जूं तक नहीं रेंगा। ऐसे में जसोली के ग्रामीणों ने थक.हारकर स्वयं ही सड़क बनाने का काम शुरू कर दिया है। सड़क के लिए बड़ी संख्या में ग्रामीण श्रमदान कर रहे हैं।
वहीं जसोली.जीआईसी चमकोट मोटरमार्ग निर्माण में श्रमदान कर रहे ग्रामीणों को समर्थन देने क्षेत्रीय दल उक्रांद के नेता भी मौके पर पहुँचे। उन्होंने स्वयं भी श्रमदान किया और कहा कि ग्रामीणों के संघर्ष में वह उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं। उन्होंने कहा कि इस सड़क से हमारी दलित बस्ती को जुड़ना है। सरकार दलितों के कल्याण के नाम पर सिर्फ ढोंग करती हैए जमीनी हकीकत कुछ और ही है। इस सड़क के न बनने से सरकार की दलितों.वंचितों के प्रति सोच भी स्पष्ट हो गई है। उक्रांद नेताओ ने कहा कि स्पेशल कंपोनेंट प्लान में दलित बस्ती को शामिल न किया जाना भी साजिश का एक हिस्सा लगता है। गांव की चालीस प्रतिशत आबादी अनुसूचित जाति की है। इस आधार पर एससीपी में इस सड़क को प्राथमिकता मिलनी चाहिए थी।
ग्राम प्रधान जसोली अर्चना चमोली ने कहा कि हमने पूर्व में ही अल्टीमेटम दिया था कि सड़क निर्माण का काम शुरू नहीं हुआ तो ग्रामीण खुद ही श्रमदान के जरिये सड़क का काम शुरू करेंगे। सरकार ने हमें गेंती.फावड़ा उठाने के लिये मजबूर किया है। इस सडकको वन भूमि के नाम पर लटकाया जा रहा है। जबकि इसमें लोगों के नापखेत हैं। वनभूमि कहीं भी नहीं है।
वाइट. अर्चना चमोलीएप्रधान।
वाइट. गुड्डी देवीए स्थानीय ग्रामीण।