दस वर्ष के बाद भी 300 मीटर सड़क का काम नहीं हो पाया पूरा उपेक्षित है। तोलमा जनजाति गांव उरगम घाटी जोशीमठ जोशीमठ विकास खंड का सीमांत गांव तोलमा आज भी विकास की राह देख रहा है। वैसे तो सरकार बड़े.बड़े दावा करती हैं, सीमांत गांव में सड़क पहुंचा दी, किंतु आज भी लोग सड़क के लिए तरस रहे हैं। 10 नवंबर 2011 को यहां सड़क की स्वीकृति शासन से हुई थी, किंतु उसके बाद भी सड़क का काम नहीं हो पाया।
दो किलोमीटर पर कई वर्षों से कटिंग आधी अधूरी छोड़ी गई है। कई बार लोगों ने अपने विधायक सांसद मंत्रियों से भी गुहार लगाई है, किंतु किसी ने नहीं सुना। एक प्रतिनिधि मंडल जिलाधिकारी चमोली से मिला। उन्होंने तोलमा सुराईथोटा मार्ग के निर्माण में हो रही देरी के बारे में विस्तार से बात की लोगों ने कहा कि देश के लोग चांद पर पहुंच गए, किन्तु हमें मोटर रोड भी नसीब नहीं है यह सीमांत क्षेत्र का गांव है। इस गांव में भोटिया जनजाति के 40 के लगभग परिवार निवास करते हैं। यहां ग्रीष्म काल के लिए निवासी तो आते हैं। 7 से 8 माह यहां गांव में निवास करते हैं। उसके बाद निचली घाटी वाले क्षेत्र में कुछ दिन के लिए आते हैं। यहां ट्रेकिंग के लिए भी लोग जाते रहते हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि यह ऊंचाई वाला गांव है। जहां पर जड़ी बूटियां की अपार संभावनाएं विद्यमान है। स्थानीय ग्रामीणों का मानना है कि सड़क निर्माण के नाम पर मात्र 300 मीटर ही सड़क निर्मित हुई है। 15 वर्ष बीत जाने के बाद भी गांव में सड़क नहीं पहुंची। कई बार के नेताओं के वादे होते रहे हैं, किंतु सड़क नहीं बन पाए, जो चिंता का विषय है।
भल्ला गांव की प्रधान लक्ष्मण सिंह बुटोला ने बताएं उन्होंने भी कई बार उच्च अधिकारियों को इस प्रकरण में कार्रवाई के लिए मौखिक रूप से भी कहा कोई सुनने वाला नहीं है। जिलाधिकारी ने आज कड़ी शब्दों में कहां है कि अधीक्षण अभियंता इस प्रकरण में स्पष्ट आख्या प्रस्तुत करे सड़क का काम क्यों शुरू नहीं किया जा रहा है? ग्रामीणों ने अपने लिखे ज्ञापन में सड़क स्वीकृति का शासनादेश भी संलग्न किया है और उप जिला अधिकारी जोशीमठ के अलावा तमाम अधिकारियों को पत्र प्रेषित कर कार्रवाई की मांग की है। ज्ञापन देने वालों में महेंद्र सिंह, लक्ष्मण सिंह, कलम सिंह आदि लोग उपस्थित थे।
लक्ष्मण सिंह नेगी की रिपोर्ट