डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
दून की हवा की गुणवत्ता अभी मध्यम स्तर की है। हम न तो सुरक्षित जोन में हैं और न ही खराब स्थिति में। हालांकि, दून की हवा की गुणवत्ता को काफी हद तक वाहनों की रेलमपेल और जगह-जगह चल रहे निर्माण कार्यों से उठने वाली धूल-मिट्टी खासी प्रभावित करती है। हमारी हवा की गुणवत्ता खराब स्थिति में न जाने पाए, इसके लिए नागरिकों की भागीदारी भी बेहद आवश्यक है। खासकर दीपावली के दौरान हमारी हवा की गुणवत्ता खराब से लेकर बेहद खराब स्थिति तक चली जाती है।दून शहर एक घाटी के बीच में है, लिहाजा वायु प्रदूषण को बाहर निकलने में लंबा समय लग जाता है। दीपावली नजदीक है और इस दौरान हवा की गुणवत्ता पर पड़ने वाले असर पर बारीकी से नजर रखने के लिए पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड रविवार से 24 घंटे थर्ड पार्टी मानिटरिंग करेगा। इस तरह दीपावली से पहले 13 अक्टूबर और दीपावली के बाद 27 अक्टूबर तक हवा की गुणवत्ता की निगरानी की जाएगी।दीपावली के दौरान पटाखों का धुआं कितना अतिरिक्त प्रदूषण घोलता है, इसकी जांच के लिए उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने तैयारी पूरी कर ली है। हवा की गुणवत्ता की जांच के लिए थर्ड पार्टी के रूप में आइटीएस कंपनी का चयन किया गया है।हवा की गुणवत्ता के रूप में मुख्यतः पीएम 10 और पीएम 2.5 (सूक्ष्म कणों) के साथ ही सल्फर डाईआक्साइड (साक्स) और नाइट्रोजन डाईआक्साइड (नाक्स) के साथ ही मेटल्स की उपस्थिति का भी पता लगाया जाएगा। वायु प्रदूषण में इन सभी तत्वों की अधिकतम सीमा पहले से तय है। हवा की इनकी उपस्थिति के आधार पर एयर क्वालिटी इंडेक्स निकाला जाएगा। दीपावली के दौरान बढ़ने वाले वायु और ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (PCB) ने विशेष निगरानी अभियान शुरू करने का निर्णय लिया है। इस वर्ष भी दीपावली से पहले राज्य के आठ प्रमुख शहरों में हवा की गुणवत्ता और शोर स्तर की निगरानी की जाएगी। यह अभियान 13 अक्तूबर से शुरू होकर दीपावली के बाद तक यानी लगभग 15 दिनों तक चलेगा।प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, राज्य में देहरादून, ऋषिकेश, टिहरी, हरिद्वार, काशीपुर, रुद्रपुर, हल्द्वानी और नैनीताल को निगरानी के लिए चयनित किया गया है। इन शहरों में वायु गुणवत्ता की जांच के लिए विशेष मॉनिटरिंग स्टेशन स्थापित किए गए हैं। प्रमुख स्थान जहां निगरानी की जाएगीदेहरादून घंटाघर क्षेत्र और नेहरू कॉलोनीऋषिकेश नगर निगम परिसरटिहरी जिलाधिकारी कार्यालय व नगर पालिका परिषद परिसरहरिद्वार ऋषिकुल आयुर्वेदिक कॉलेजकाशीपुर एल.डी. भट्ट उप जिला अस्पतालरुद्रपुरनगर निगम परिसरहल्द्वानीजल संस्थान कार्यालयनैनीताल नगर पालिका परिषद परिसरइन सभी स्थानों पर हवा में मौजूद PM10, PM2.5, सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO₂) और अन्य गैसों के स्तर की जांच की जाएगी। दीपावली के दौरान पटाखों और यातायात से होने वाले शोर प्रदूषण की स्थिति जानने के लिए PCB ने इस बार ध्वनि स्तर की माप भीतयकीहै।इसके तहत दिवस और रात्रिकालीन शोर सीमा को अलग-अलग मापा जाएगा, ताकि यह देखा जा सके कि दीपावली के दौरान ध्वनि स्तर मानक सीमा से कितना अधिक बढ़ता है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एक अधिकारी ने बताया“हमारा उद्देश्य लोगों पर प्रतिबंध लगाना नहीं, बल्कि उन्हें जागरूक करना है। दीपावली जैसे त्योहार का आनंद तभी सार्थक है जब हम पर्यावरण को सुरक्षित रखें। हवा और ध्वनि की निगरानी से हमें आगामी नीति निर्धारण में भी मदद मिलेगी।” उत्तराखंड को देश के उन राज्यों में गिना जाता है जहां की वायु गुणवत्ता अन्य राज्यों की तुलना में बेहतर मानी जाती है। इसी स्थिति को बनाए रखने के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड लगातार काम कर रहा है। बोर्ड के अधिकारी सुनिश्चित करते हैं कि राज्य में कार्यरत उद्योग, निर्माण कार्य और ट्रैफिक जैसे कारकों से होने वाले प्रदूषण पर समय-समय पर नियंत्रण लगाया जाए।. *लेखक विज्ञान व तकनीकी विषयों के जानकार दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं*