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01-टनल से बाहर निकलते इसी डोजर पर टकटकी लगाए निहारते रहते है परिजन।
02-घटनास्थल के बाहर रोते-विलखते परिजन।
03-मौके पर मौजूद खोजी कुत्तों का दस्ता ।
प्रकाश कपरूवाण
जोशीमठ। बिन वर्षात विनाशकारी हिमस्लखन के सैलाब ने पिता-पुत्र व माॅ- बेटी की जिंदगी को भी एक साथ लील लिया। ऋषि गंगा रैणी व तपोवन में आए विनासकारी सैलाब के कारण कई परिवारों मे मातम पसरा है।
7 फरवरी के विनाशकारी खौफनाक मंजर ने कई घरों के चिराग को तो बुझा दिया। लेकिन इस हादसे मे हृदय विदारक जो घटना हुई है उसमे तपोवन गाॅव की माॅ-बेटी सुबह-सुबह घास के लिए सामने के जंगलों मे गई ही थी कि सैलाब उन्है भी अपने आगोस मे समा ले गयां। तपोवन के रामकृष्ण सेमवाल की पत्नी सरोजनी व बेटी अंजना दोनो एक साथ इस आपदा की भेंट चढ गए। यही नही करछौ गाॅव निवासी पिता कुलदीप सिंह फरंस्वाण व बेटा आशीष जो ऋषि गंगा मे कार्यरत थे दोनो पिता-पुत्र भी इस भीषण आपदा के सैलाब मे कही समा गए। अभी तक इन चारों के शव भी बरामद नही हो सके है। इनके परिजन भी विगत चार दिनांे से घटनास्थल पर पंहुचकर अपने परिजनों के मिलने की उम्मीद बाॅधे खडे है।
16जून 2013 की केदारनाथ आपदा मे तो मूसलाधार वारीश राहत एंव बचाव कार्यो के लिए मुसीबत बनी थी। लेकिन यहाॅ तो सात फरवरी को सुहावने मौसम मे आए इस सैलाब व उसके बाद शवो की तलाश का काम निरंतर जारी हैं। हाॅलाकि रैणी के साथ ही निचले इलाको जहाॅ शव मलबे के साथ बह कर गए है वहाॅ शव तो मिल रहे है, लेकिन मुख्य टनल के अंदर फंसी 35जिंदगियों के बारे मे कुछ भी पता नही लग पा रहा है। 35लोग टनल के अंदर जिस स्थान पर कार्य कर रहे थे उस स्थान तक पंहुचने मे ही राहत कर्मियों को बेहद मुश्किलो से गुजरना पड रहा है।
ढाक व तपोवन के ग्रामीण जिनके परिजन उस वक्त टनल व वैराज मे कार्य रहे थे, चैथे दिवस भी सुराग नही लग पाने के कारण खासे परेशान व आक्रोषित हो चले है। ढाक गाॅव के अनूप थपलियाल की बहन कुसुम गैराला ने दिल्ली मे गढवाल महासभा पंहुचकर अपने भाई की तलाश कराने की गुहार लगाई। गढवाल हितैषणी सभा दिल्ली के महासचित पवन मैठाणी ने बताया कि तपोवन व रैणी हादसे के बाद दिल्ली मे रह रहे उनके परिजन भी परेशान व बैचेन है। लापता लोगो की तलाश जल्द से जल्द की जानी चाहिए। ढाक गाॅव को जो चार स्थानीय लोग लातपा है उनमे एक अनूप थपलियाल भी है।
बुधबार को ज्यों ही मौसम खराब होने लगा टनल मे फॅसे लोगो के परिजनो का भी सब्र का बाॅध अब टूटने लगा हे। वास्तव मे चार दिनो से परिजन सुबह 7बजे टनल के समीप पंहुच जाते है और देर रात को वापस लौट रहे है यह सिलसिला पिछले तीन दिनों से लगातार जारी है, परिजन टनल से मलबा लेकर वापस लौट रहे डोजर के वैकेट पर नजर गढाए है कही मलब के साथ उनके लातपा परिजन तो नही हैं। ऐसे मे ही उनका घटना स्थल पर दिन गुजर रहा है। परिजनो की नजर हर उस सख्स आपदा कर्मी पर भी गढी है जो टनल का निरीक्षण कर बाहर निकल रहे है। लापता हुए लोगो के परिजनो को घटना स्थल पर रोते-विलखते भी देखा जा रहा है।