• About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact
Uttarakhand Samachar
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
Uttarakhand Samachar
No Result
View All Result

चार धाम यात्रा पर आयीं महादेवी वर्मा को जब भा गया रामगढ़

28/03/23
in उत्तराखंड, देहरादून
Reading Time: 1min read
177
SHARES
221
VIEWS
Share on FacebookShare on WhatsAppShare on Twitter

डॉ हरीश चन्द्र अन्डोला
भारत की हिंदी साहित्य में छायावादी काल के प्रमुख चार स्तंभों में से एक महादेवी वर्मा का जन्म 26 मार्च 1907 को फ़र्रुख़ाबाद, संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध, ब्रिटिश भारत में हुआ। उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में जन्मने वाली हिंदी की प्रख्यात साहित्यकार महादेवी वर्मा का उत्तराखण्ड से गहरा लगाव था। यहां का अप्रतिम
प्राकृतिक सौंदर्य और नीरव शांति उन्हें अपनी तरफ आकर्षित करते थे। 1937 में महादेवी वर्मा बदरी-केदार की यात्रा पर आई थीं, इस दौरान उन्हें उत्तराखंड का प्राकृतिक सौंदर्य और यहां की फिजा इस कदर भाई कि उन्होंने यहीं बसने का मन बना लिया। साहित्य सृजन के लिए उन्हें यह स्थान इतना भा गया कि उन्होंने यहां के प्रधान से अपने लिए घर बनवाने के लिए जगह मांगी। उन्होंने इन हसीं वादियों में ग्रीष्मकालीन प्रवास के लिए घर का निर्माण किया, जिसे आज मीरा कुटीर के नाम से जाना जाता है।

इसके बाद वह हर साल गर्मियों में इलाहाबाद से यहां आया करती थीं। गर्मीभर वह यहीं पर रहकर साहित्य सृजन किया करती थीं। यहीं पर उन्होंने अपने कविता संग्रह दीपशिखा की कविताएं लिखीं, अतीत के चलचित्र और स्मृति की रेखाएं के कुछ शब्दचित्र भी इसी भवन में सृजित हुए। उनके साहित्यक मित्र धरमवीर भारती, सुमित्रानंदन पंत, इलाचंद जोशी और तमाम लेखक उनसे मिलने रामगढ़ आया करते थे। इलाचंद्र जोशी ने साल 1960 में इसी भवन घर में रहकर अपना उपन्यास ऋतुचक्र लिखा। इसके अलावा भी कई महान रचनाओं को इसी भवन में पूरा किया गया।

सुमित्रानंदन पंत की अनेक प्रकृति संबंधी कविताएं, डॉ धर्मवीर भारती के यात्रा.संस्मरण डॉ धीरेंद्र वर्मा, गंगा प्रसाद पांडे आदि ने अपनी अनेकों रचनाओं को यहीं पर अंतिम रूप दिया। बताया जाता है कि रामगढ़ तथा आसपास के क्षेत्र की अनेक निर्धन बालिकाओं को महादेवी वर्मा अपने साथ इलाहाबाद ले गई थीं और वहां से पढ़ा.लिखाकर उन्हें आत्मनिर्भर भी बनाया। मीरा कुटीर के कुछ हिस्से उसी तरह संजोकर रखे गए हैं जैसे कि वह महादेवी वर्मा के समय में थे। उनके द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली वस्तुयें आज भी सलामत हैं। रामगढ़ व आस.पास के क्षेत्र की अनेक निर्धन बालिकाओं को वे अपने साथ इलाहाबाद ले गईं और पढ़ा.लिखाकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया।

मीरा कुटीर का महत्व इस कारण भी है कि यहीं उन्होंने अपने कविता संग्रह दीपशिखा यहां पूरा किया । अतीत के चलचित्र और स्मृति की रेखाएं के कुछ शब्दचित्र भी इसी घर में रचे गए। इला चंद्र जोशी ने वर्ष 1960 में इसी घर में रहकर अपना उपन्यास ऋतुचक्र लिखा। रामगढ़ पहुंचने की प्रेरणा कहां से मिली।
दरअसल उनसे यहां की खूबसूरती का जिक्र उनसे गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने किया था। जिसके बाद उन्होंने यहां आने का फैसला किया। जब वह यहां पहुंचीं तो न सिर्फ यहां की खूबसूरती देखकर मुग्ध हुईं बल्कि रहने के लिए घर भी खरीद लिया और नाम रखा मीरा कुटीर। मीटा कुटीर आज भी साहित्यिक गितविधियों का एक बड़ा केन्द्र है।

देश की आजादी क बाद 1952 में महादेवी उत्तर प्रदेश विधान परिषद की सदस्य चुनी गईं। 1956 में भारत सरकार ने पद्म भूषण से सम्मानित किया। 1969 में विक्रम विश्वविद्यालय ने उन्हें डी लिट की उपाधि दी। इससे पहले उन्हें नीरजा के 1934 में सक्सेरिया पुरस्कार और 1942 में स्मृति की रेखाओं के लिए द्विवेदी पदक प्रदान किया गया।

1943 में उन्हें मंगला प्रसाद पुरस्कार और उत्तर प्रदेश के भारत भारती पुरस्कार से भी नवाजा गया। यामा नामक काव्य संकलन के लिए उन्हें देश के सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके अलावा उन्हें साहित्य अकादमी फ़ेलोशिप भी प्रदान की गई।

हिंदी साहित्य में छायावाद युग का उदय हो रहा था, जिसमें निजी अनुभव, प्रेम की अनुभूति और प्रकृति के प्रति सद्भाव जैसे पहलुओं को कागज़ पर उतारा जा रहा था। सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, जयशंकर प्रसाद और सुमित्रानंदन पन्त जैसे महान कवियों का दबदबा था। उस दौर में महादेवी ने अपने नवीन विचारों से इन महान रचनाकारों के बीच अपनी जगह बनाई और उस युग के चार स्तम्भों में गिनी जाने लगीं! यह सिलसिला सन 1930 के दशक से तब से शुरू हुआ था, जब उनकी
विचारधारा उनकी रचनाओं में छलकने लगी थी। अपनी कविताओं और लेखों में उन्होंने महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों और महिलाओं के सशक्तिकरण की ज़रूरत पर प्रकाश डाला। उदाहरण के तौर पर, उन्होंने घर और बाहर लेख में विवाह की तुलना ग़ुलामी से की थी। हिन्दू स्त्री का पत्नीत्व लेख में उन्होंने औरत पर हो अत्याचारों के बारे में विचार प्रकट किए थे। फिर चा और बिबियां जैसे लेखों में उन्होंने औरतों की मानसिक और शारीरिक स्थिति और उन पर हो रही ज़्यादतियों पर प्रकाश पर डाला। ये लेख, उनकी किताब श्रृंखला की कड़ियां में सन 1942 में प्रकाशित हुए थे। कई महत्वपूर्ण लेखकों और साहित्यकारों का मानना है कि साहित्य में नारीवाद को आम जनता के सामने प्रस्तुत करने का श्रेय महादेवी को ही जाता है। कई विद्वान इसका श्रेय मशहूर फ़्रांसीसी लेखिका सिमोन द बुउआर को देते हैं। सिमोन द बुउआर की किताब द सैकंड सेक्स सन 1949 में प्रकाशित हुई थी। जबकि सच यह है कि महादेवी वर्मा नारीवादी विषयों को उससे काफ़ी पहले उठा चुकी थीं।महादेवी ने निहार 1930, रश्मि 1932, नीरजा 1934 और संध्यागीत 1936 कविताएँ लिखीं जो उनके संग्रह यामा 1940 में प्रकाशित हुईं। महादेवी ने क़रीब अट्ठारह उपन्यास और कई लघु कहानियां लिखे। जिनमें दीपशिखा, स्मृति की रेखाएं, अनेक महत्वपूर्ण कविताएं लिखीं, जिनमें पथ के साथ और मेरा परिवार प्रमुख हैं। इनमें से कुछ रचनाओं में उनके निजी जीवन से जुड़े क़िस्से भी शामिल हैं।

कुछ कविताओं में महिलाओं से जुड़े कुछ ऐसे पहलू और बातें हैं, जो आज के सामाजिक परिवेश में भी महत्वपूर्ण हैं। महादेवी, रविन्द्रनाथ टैगोर के शान्तिनिकेतन विश्वविद्यालय से बेहद प्रभावित थीं। महादेव के निधन के बाद लम्बे समय तक यह भवन उपेक्षा का शिकार बना रहा।

महादेवी के सलाहकार रामजी पाण्डेय, उपन्यासकार लक्ष्मण सिंह बिष्ट बटरोही और कवि.सम्पादक वीरेन डंगवाल के प्रयासों से सरकार ने इस इमारत में दिलचस्पी ली। इसे नैनीताल स्थित कुमाऊँ विश्वविद्यालय की देखरेख में एक साहित्य.संग्रहालय का रूप दे दिया गया। आज इस भवन में महादेवी वर्मा सृजन पीठ नामक महत्वपूर्ण साहित्यिक केंद्र संचालित होता है। यहां वर्ष भर होने वाले विविध कार्यक्रमों में देश के युवा.वरिष्ठ लेखक. रचनाकारों आना होता रहता है। दिलचस्प बात ये है कि महादेवी की रचनाओं के अंग्रेजी अनुवादों ने अमेरिका और ब्रिटेन के साहित्य जगत में भी हंगामा मचा दिया था। डेविड रुबिन जैसे मशहूर लेखक उन रचनाओं पर मंत्रमुग्ध हो गए थे। एक लेख में उन्होंने कहा था कि औरतों पर अत्याचार और उनकी आत्मनिर्भरता के भाव को महादेवी वर्मा से बेहतर शायद ही किसी ने प्रकट किया होगा। अपनी रचनाओं से सामाज में बदलावों की बात करने वाली महादेवी को पद्मभूषण और पद्मविभूषण जैसे सम्मानों से नवाज़ा गया। सन 1979 में वो साहित्य अकादमी फ़ेलोशिप प्राप्त करने वाली पहली महिला बनीं। सन 1991 में महादेवी के
सम्मान में भारत सरकार ने एक डाक टिकट जारी किया था। सन 2018 में गूगल ने महादेवी के जन्मदिवस के अवसर पर एक डूडल बनाया था। नारीवाद और मानवतावाद के पहलूओं पर लिखी उनकी रचनाएं आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितनी उनके समय में थीं।
लेखक दून विश्वविद्यालय कार्यरत हैं।

Share71SendTweet44
https://uttarakhandsamachar.com/wp-content/uploads/2025/10/yuva_UK-1.mp4
Previous Post

चमोली जिले में मत्स्य पालन के क्षेत्र में स्वरोजगार की संभावना

Next Post

हाथ से हाथ जोड़ो कार्यक्रम में मनीष खंडूड़ी ने गैरसैंण क्षेत्र का भ्रमण किया

Related Posts

उत्तराखंड

आयुर्वेद कोर्सों में इस बार सीटें भरने की चुनौती

October 21, 2025
5
उत्तराखंड

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने पुलिस स्मृति दिवस परेड के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में किया प्रतिभाग किया

October 21, 2025
9
उत्तराखंड

नारायणबगड़ के पंती कस्बे से चोरी की गई 77 सेटरिंग प्लेटों के मामले में थराली थाना पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार किया

October 21, 2025
5
उत्तराखंड

वर्दी का गौरव, शहादत की प्रेरणा, पौड़ी पुलिस ने शहीदों को दी श्रद्धांजलि

October 21, 2025
4
उत्तराखंड

जिला प्रशासन ने मा. मुख्यमंत्री के निर्देशों पर आपदा प्रभावितों के साथ मनाई सैंजी में दीवाली

October 21, 2025
5
उत्तराखंड

राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से.नि.)मंगलवार को बदरीनाथ धाम पहुंचे

October 21, 2025
8

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Popular Stories

  • चार जिलों के जिलाधिकारी बदले गए

    67467 shares
    Share 26987 Tweet 16867
  • डोईवाला : पुलिस,पीएसी व आईआरबी के जवानों का आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण सम्पन्न

    45754 shares
    Share 18302 Tweet 11439
  • ऑपरेशन कामधेनु को सफल बनाये हेतु जनपद के अन्य विभागों से मांगा गया सहयोग

    38026 shares
    Share 15210 Tweet 9507
  •  ढहते घर, गिरती दीवारें, दिलों में खौफ… जोशीमठ ही नहीं

    37422 shares
    Share 14969 Tweet 9356
  • विकासखंड देवाल क्षेत्र की होनहार छात्रा ज्योति बिष्ट ने किया उत्तराखंड का नाम रोशन

    37293 shares
    Share 14917 Tweet 9323

Stay Connected

संपादक- शंकर सिंह भाटिया

पता- ग्राम एवं पोस्ट आफिस- नागल ज्वालापुर, डोईवाला, जनपद-देहरादून, पिन-248140

फ़ोन- 9837887384

ईमेल- shankar.bhatia25@gmail.com

 

Uttarakhand Samachar

उत्तराखंड समाचार डाॅट काम वेबसाइड 2015 से खासकर हिमालय क्षेत्र के समाचारों, सरोकारों को समर्पित एक समाचार पोर्टल है। इस पोर्टल के माध्यम से हम मध्य हिमालय क्षेत्र के गांवों, गाड़, गधेरों, शहरों, कस्बों और पर्यावरण की खबरों पर फोकस करते हैं। हमारी कोशिश है कि आपको इस वंचित क्षेत्र की छिपी हुई सूचनाएं पहुंचा सकें।
संपादक

Browse by Category

  • Bitcoin News
  • Education
  • अल्मोड़ा
  • अवर्गीकृत
  • उत्तरकाशी
  • उत्तराखंड
  • उधमसिंह नगर
  • ऋषिकेश
  • कालसी
  • केदारनाथ
  • कोटद्वार
  • क्राइम
  • खेल
  • चकराता
  • चमोली
  • चम्पावत
  • जॉब
  • जोशीमठ
  • जौनसार
  • टिहरी
  • डोईवाला
  • दुनिया
  • देहरादून
  • नैनीताल
  • पर्यटन
  • पिथौरागढ़
  • पौड़ी गढ़वाल
  • बद्रीनाथ
  • बागेश्वर
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • रुद्रप्रयाग
  • रुद्रप्रयाग
  • विकासनगर
  • वीडियो
  • संपादकीय
  • संस्कृति
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • साहिया
  • हरिद्वार
  • हेल्थ

Recent News

आयुर्वेद कोर्सों में इस बार सीटें भरने की चुनौती

October 21, 2025

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने पुलिस स्मृति दिवस परेड के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में किया प्रतिभाग किया

October 21, 2025
  • About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.

No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.