रिपोर्ट-सत्यपाल नेगी/रुद्रप्रयाग
जिला मुख्यालय स्थित श्री 108 सचिदानंद संस्कृत महाविद्यालय में संस्कृत दिवस सप्ताह के तहत छात्राओं का उपनयन यानि जनेऊ संस्कार कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य अतिथि निदेशक संस्कृत शिक्षा उत्तराखंड शिव प्रसाद खाली एंव प्राचार्य डॉ भानुप्रकाश देवली, चन्द्र शेखर पुरोहित द्वारा सयुंक्त रूप से सरस्वती के चित्र पर पुष्प अर्पित एंव दीप प्रज्वलित तथा आचार्यो व छात्रों द्वारा वेद मंत्रोचारण के साथ किया गया। सर्व प्राचार्य डॉ देवली द्वारा निदेशक संस्कृत शिक्षा को शाल भेट कर ओर अभिनंदन पत्र दिया गया साथ ही विशिष्ट एंव अभिभावको का भी फ़ूल मालाओं के साथ स्वागत किया गया।
निदेशक संस्कृत शिक्षा उत्तराखंड शिव प्रसाद खाली ने कहा कि संस्कृत भाषा विश्व की जननी रही है, हमारे यहाँ युगों युगों से संस्कृत का अपना महत्व चला आ रहा है। जरूरत है तो अपनी संस्कृति को बचाने और पहचानने की। उन्होंने संस्कृत शिक्षा ले रहे छात्रों को उपदेश देते हुए कहा कि कल आपमें से कोई, डॉक्टर, इंजिनियर के साथ साथ आचार्य, शास्त्री, नेता बनेंगे, मगर जिस भी कुर्सी पर आप बैठे पहले उसके चारों पैरों के महत्व को समझ लेना। कुर्सी के चारों पैरों से हमें अलग अलग ज्ञान की अनुभूति मिलेगी।
संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ भानुप्रकाश देवली ने कहा कि ब्राह्मण का बेटा तबतक संस्कृत का ज्ञानी नहीं हो सकता जबतक उसने उपनयन ध्जनेऊ संस्कार पूरा नहीं किया होए आज हमें अपनी विश्व प्रसिद्ध पौराणिक भाषा संस्कृत को बढ़ावा देने ओर पहिचानने की जरूरत है।
कार्यक्रम के दौरान अनेक संस्कृत ज्ञानीयों द्वारा अपने अपने विचार संस्कृत वाणी मे दिये गयेण्ओर संस्कृत भाषा के महत्व को समझाया गया।
अंत में मुख्य अतिथि, प्राचार्य तथा शिक्षकों के द्वारा छात्रों का विधि विधान व मंत्रोचारण के साथ उपनयन यानि जनेऊ संस्कार कराया गया। इस दौरान छात्रों के अभिभावक भी मौजूद रहे।
इस दौरान शिक्षक जयप्रकाश गौड़, शशि भूषण बमोला, देवी प्रसाद नौटियाल, प्रवीण सती, कुलदीप डिमरी, महर्षि कुमार मिश्र सहित छात्र एंव अभिभावक मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन आचार्य सुखदेव प्रसाद सिलोड़ी ने किया।