डोईवाला (प्रियांशु सक्सेना)। थानों के लेखक गांव में आयोजित स्पर्श हिमालय महोत्सव के दूसरे दिन योग, आयुर्वेद और संगीत की स्वास्थ्य में भूमिका में भारतीय परंपराओं और स्वास्थ्य के बीच के संबंध पर गहन चर्चा की गई। कार्यक्रम में 65 से अधिक देशों का प्रतिनिधित्व किया गया है और विभिन्न सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी गई।
मुख्य अतिथि पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य बालकृष्ण ने योग और आयुर्वेद को जीवन की संजीवनी बताते हुए इनके नियमित अभ्यास के महत्व पर बल दिया। विशिष्ट अतिथि डॉ अश्वनी काम्बोज ने आयुर्वेदिक पद्धतियों के आधुनिक चिकित्सा में योगदान पर अपने विचार साझा किए।
मुख्य वक्ता डॉ लक्ष्मी नारायण जोशी ने विशेष रूप से नाड़ी विज्ञान के महत्व पर प्रकाश डाला और समझाया कि प्राचीन भारतीय चिकित्सा प्रणाली का यह हिस्सा स्वास्थ्य की समग्र स्थिति को समझने में सहायक है। वहीं डॉ राजेश नैथानी ने स्वास्थ्य और शिक्षा के संतुलन पर अपने विचार प्रस्तुत किए।
इसके बाद संविधान, भारतीय भाषाएं और राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 विषय पर गहन संवाद हुआ। इस सत्र के मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया ने प्रेरणादायक विचार साझा किए। मुख्य वक्ता अतुल कोठारी ने मातृभूमि और माँ की महत्ता पर जोर दिया और शिक्षा में भारतीय मूल्यों की आवश्यक भूमिका को रेखांकित किया। अधिवक्ता राजेश कुमार पाण्डेय ने संविधान और शिक्षा की प्रासंगिकता पर विचार प्रस्तुत किए।
इसके अलावा पर्यावरण और साहित्य तथा संस्कृति, प्रकृति और साहित्य पर भी विशेष सत्र आयोजित किया। इसमें विशेषज्ञों ने विचार साझा किए और साहित्य एवं पर्यावरण के आपसी संबंधों को रेखांकित किया। इस मौके पर पूर्व सीएम डॉ रमेश पोखरियाल निशंक, उत्तराखंड आयुर्वेदिक विवि के कुलपति प्रो अरुण कुमार त्रिपाठी, शक्ति मिनोचा, ओपी जिंदल ग्लोबल विवि कुलपति प्रो सी राजकुमार, विदुषी निशंक, पुरुषोत्तम डोभाल आदि मौजूद रहे।